अपडेटेड 4 April 2025 at 14:00 IST

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में केंद्र और ASI को पक्षकार बनाने की मांग, अब इस तारीख को SC में होगी सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के केंद्र सरकार और ASI को पक्षकार बनाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

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Mathura Krishna Janmabhoomi case
मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला | Image: PTI

Krishna Janmabhoomi Shahi Shahi Idgah Dispute: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में नया मोड़ आ गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर अब CJI की अध्यक्षता की बेंच ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट मे इससे जुड़े लंबित मामलों के साथ 8 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के साथ इस मामले पर भी सुनवाई करेगा।

हिंदू पक्ष का दावा- मंदिर तोड़कर बनाई मस्जिद

दरअसल, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को तोड़कर किया गया था और इस विवादित भूमि को लेकर 1968 का एक समझौता था, इस समझौते में जमीन विवाद को निपटाने के लिए मंदिर और मस्जिद के लिए जमीन का बंटवारा किया गया था। जिसे हिंदू पक्ष अवैध बताता है। इसलिए हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और जमीन का कब्जा वापस पाने की मांग के साथ 18 मुकदमे दायर किए हैं। 

क्या है विवाद ?

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद के 13.37 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है। करीब 11 एकड़ पर मंदिर है और 2.37 एकड़ जमीन पर मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1669-70 में कराया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 

जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि इसके कोई सबूत मौजूद नहीं हैं कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को तोड़कर कराया गया था। शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी है कि ईदगाह मस्जिद की संरचना पर दावा करने वाले हिंदू भक्तों द्वारा दायर याचिकाएं पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत वर्जित हैं।

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उपासना स्थल अधिनियम 1991 का जिक्र भी जरूरी

इस मामले में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 का भी जिक्र आता है, जो कि 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थलों के स्वरूप को बदलने से रोकता है।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 4 April 2025 at 14:00 IST