अपडेटेड 23 November 2025 at 13:59 IST
Delhi Blast: एक को ISIS था पसंद तो दूसरे को अलकायदा, फिर बीच में आई 40 लाख रकम...लाल किला धमाके से पहले हुआ था उमर-मुजम्मिल में झगड़ा
दिल्ली लाल किला ब्लास्ट केस में पड़ताल के दौरान रोज नई जानकारियां सामने आ रही हैं। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि फरीदाबाद में सक्रिय डॉक्टरों के इस आतंकी मॉड्यूल के भीतर मतभेद काफी गहराए हुए थे।
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दिल्ली लाल किला ब्लास्ट केस में पड़ताल के दौरान रोज नई जानकारियां सामने आ रही हैं। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि फरीदाबाद में सक्रिय डॉक्टरों के इस आतंकी मॉड्यूल के भीतर मतभेद काफी गहराए हुए थे। इसी वैचारिक दरार की वजह से हमले का मुख्य आरोपी उमर नबी अपने साथी आदिल राथर की शादी में शामिल नहीं हुआ था।
सूत्रों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े इस मॉड्यूल के सदस्य अक्सर रणनीति, धन के इस्तेमाल और हमले की दिशा को लेकर एक-दूसरे से असहमत रहते थे। उमर नबी की सोच ISIS से प्रभावित थी, जबकि बाकी सदस्य अल-कायदा की विचारधारा के समर्थक थे। जहां अल-कायदा बाहरी ताकतों पर वार करने में विश्वास रखता है, वहीं आईएसआईएस निकट के इलाकों में खिलाफत स्थापित करने की दिशा में कार्रवाई को प्राथमिकता देता है। यही वैचारिक टकराव उनके रिश्तों में तनाव की असली वजह बना।
ब्लास्ट से पहले क्यों हुआ झगड़ा
डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच 40 लाख रुपए को लेकर झगड़ा हुआ था। फंडिंग जमात की तरफ से हुई थी। इसी पैसे से सामान खरीदने में हुए खर्च को लेकर उमर और मुजम्मिल की बीच तनाव था। NIA टीम यूनिवर्सिटी के पास की मस्जिद के मौलवी इश्तियाक को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। इसे ही जमात के जरिए कई लाख रुपए मिले थे, जिसका इस्तेमाल मुजम्मिल ने ब्लास्ट के लिए सामान खरीदने में किया था। सूत्रों के मुताबिक इन्हीं पैसों में हेरफेर को लेकर मुजम्मिल और उमर के बीच तनाव था।
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संगठन में सुलह का ही परिणाम था दिल्ली ब्लास्ट
अक्टूबर में जब घाटी में मौलवी इरफान वागे को हिरासत में लिया गया, तो उमर ने रिश्ते सुधारने का प्रयास किया। 18 अक्टूबर को वह काजीगुंड पहुंचा, ताकि संगठन को एक दिशा में बनाए रख सके। बताया जाता है कि इसी बैठक के तीन हफ्ते बाद दिल्ली के लाल किले के पास कार ब्लास्ट हुआ। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह हमला उसी सुलह-संधि की परिणति था, जिसमें उमर ने समूह पर फिर से नियंत्रण हासिल करने की कोशिश की थी।
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10 नवंबर की शाम को उसने विस्फोटक से भरी आई20 कार में धमाका कर दिया। इस विस्फोट में चौदह लोगों की मौत हो गई और पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। सूत्रों का कहना है कि यह हमला योजना से अधिक घबराहट में किया गया कदम था, क्योंकि इससे ठीक पहले एक और सदस्य मुजम्मिल गनई गिरफ्तार हो चुका था।
डॉक्टरों ने जुटाए थे 26 लाख रुपए, कई शहरों में थी धमाके की साजिश
करीब दो वर्षों तक चले इस मॉड्यूल के नेटवर्क ने विस्फोटक उपकरण और रिमोट ट्रिगरिंग सिस्टम हासिल करने पर काम किया था। जांच में यह बात सामने आई है कि पांच डॉक्टरों ने मिलकर करीब 26 लाख रुपये जुटाए थे ताकि कई शहरों में आतंकी हमले किए जा सकें। इनमें डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, मुफ्ती इरफान वागे, डॉ. शाहीन सईद, और खुद उमर नबी शामिल थे। इस फंडिंग में गनई ने पांच लाख, अदील ने आठ लाख, वागे ने छह लाख, शाहीन ने पांच लाख और उमर ने दो लाख रुपये दिए थे। जांच के अनुसार, उमर खुद को कश्मीर के बुरहान वानी और जाकिर मूसा की कट्टरपंथी विरासत का उत्तराधिकारी मानता था और 2023 से लगातार आईईडी बनाने पर प्रयोग कर रहा था।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 23 November 2025 at 13:59 IST