अपडेटेड September 27th 2024, 19:57 IST
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पौष्टिक पेय कॉम्प्लान के खिलाफ अपमानजनक वीडियो हटाने का निर्देश देते हुए कहा कि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर ऐसे विषय पर लापरवाह टिप्पणी नहीं कर सकते जिसके वे ‘विशेषज्ञ’ नहीं हैं।
न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने पाया कि प्रशांत देसाई के इंस्टाग्राम पर लगभग दस लाख और फेसबुक पर 60,000 से अधिक फालोअर्स हैं और उन्होंने ‘चिकित्सक, पोषण विशेषज्ञ, आहार विशेषज्ञ न होते हुए और स्वास्थ्य से किसी प्रकार का संबंध नहीं होते हुए भी कॉम्प्लान के पीछे के ‘रसायन विज्ञान’ पर बात की जबकि भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) दिशानिर्देशों के अनुसार उपयोगकर्ता को स्वास्थ्य-संबंधी पोस्ट प्रकाशित करने के लिए प्रासंगिक योग्यता रखने की आवश्यकता होती है।
अदालत ने देसाई को उत्पाद को बदनाम करने वाली कोई भी सामग्री प्रकाशित करने से भी रोक दिया और उन्हें दो सप्ताह के भीतर अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल से मौजूदा वीडियो को हटाने के लिए कहा।
वीडियो में देसाई ने दावा किया कि कॉम्प्लान के साथ-साथ उससे मिलते जुलते उत्पादों में शक्कर की मात्रा बच्चों की दैनिक जरूरत से अधिक है।
जाइडस वेलनेस प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने इस संबंध में दर्ज याचिका में दलील दी कि वीडियो में झूठे और साथ ही अप्रमाणित दावे किए गए हैं। साथ ही अदालत से अनुरोध किया कि देसाई को उसके ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने और कॉम्प्लान और कॉम्प्लान पिस्ता बादाम के बारे में दुष्प्रचार करने से रोकने का निर्देश दिया जाए।
पब्लिश्ड September 27th 2024, 19:57 IST