अपडेटेड 20 June 2025 at 16:13 IST
Fake degree: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े अंतरराज्यीय फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश किया है। जॉइंट सीपी सुरेंदर कुमार के नेतृत्व में इस कार्रवाई में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह गैंग देशभर में हजारों युवाओं को फर्जी डिग्री बेच चुका है। मुख्य आरोपी विक्की रोहिणी से फर्जी डिग्री बनाया करता था। खुद सिर्फ 10वीं पास होने के बावजूद, नेताजी सुभाष प्लेस पर कॉल सेंटर चला रहा था और हजारों लोगों को फर्जी डिग्री के जाल में फंसा रहा था।
दूसरा आरोपी विवेक गुप्ता (नोएडा), सतबीर सिंह (फरीदाबाद) और नारायण अलग-अलग इलाकों से ऑपरेशन संभालते थे। एक आरोपी राजस्थान की जेल में बंद है। इन आरोपियों द्वारा BMS, B.Tech, B.Pharma जैसे व्यावसायिक कोर्स की नकली डिग्रियां बनाई जाती थीं।
अब तक 5000 से ज्यादा डिग्री बनाकर युवाओं को बेची गई हैं। पुलिस ने आरोपियों के लैपटॉप और मोबाइल से फर्जी डिग्रियों का डिजिटल डेटा जब्त किया है। ये सभी आरोपी बच्चों को फंसाते थे, पहले उस इलाके की पहचान की जाती थी जहां कोचिंग सेंटर और छात्र ज्यादा होते थे। वहां किराए पर कमरा लेकर पंपलेट बांटते थे या मोबाइल के जरिए संपर्क करते थे। कई बार सेंटर में फर्जी आईडी से प्रवेश कर सीधे छात्रों से संपर्क करते थे। हर डिग्री के लिए 1 से 1.5 लाख रुपये वसूलते थे, और 45 दिन में डिग्री उपलब्ध कराते थे।
जॉइंट सीपी क्राइम ब्रांच सुरेंदर कुमार के अनुसार, यह गिरोह कई मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की नकली डिग्रियां बना चुका है। इन डिग्रियों की मदद से कई युवाओं ने सरकारी और निजी नौकरियां भी हासिल कर ली हैं। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि कितने लोग इस नेटवर्क से जुड़कर नौकरियों में लगे हुए हैं और वे फिलहाल किन संस्थानों में कार्यरत हैं।
इस मामले से यह स्पष्ट है कि शिक्षा प्रणाली और भर्ती प्रक्रिया की निगरानी में चूक किस हद तक खतरनाक साबित हो सकती है। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई ने इस गंभीर अपराध को उजागर कर एक बड़ा संदेश दिया है।
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पब्लिश्ड 20 June 2025 at 16:13 IST