अपडेटेड 25 September 2025 at 21:33 IST
Delhi BMW Crash: 'अगर गगनप्रीत भाग जाती तो... वो सोच-समझकर घायल को अपने जानने वालों के अस्पताल में ले गईं' सुनवाई में क्या-क्या हुआ?
Dhaula Kuan BMW Case: आरोपियों के वकील ने संजीव नंदा बीएमडब्ल्यू मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आरोपी गगनप्रीत कौर मौके से भागी नहीं थी, बल्कि वह घायलों को अस्पताल ले गई थी। मोबाइल फोन पुलिस के पास है। वे पुष्टि कर सकते हैं कि उसने पीसीआर को कॉल किया था या नहीं।
- भारत
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Dhaula Kuan BMW Case: बीते दिनों दिल्ली के धौला कुआं क्षेत्र में एक BMW कार की टक्कर से बाइक सवार वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी (उप सचिव) नवजोत सिंह की मौत में हो गई थी,जबकि उनकी पत्नी जख्मी हो गईं थीं। आरोप है कि हादसे के वक्त कार (BMW Car) गगनप्रीत कौर (मुख्य आरोपी) चला रही थी और कार में 5 लोग सवार थे। पुलिस ने आरोपी गगनप्रीत को गिरफ्तार कर लिया था।
अब यह मामला दिल्ली के पटियाला हाउस में है। आज गुरुवार को कोर्ट ने धौला कुआं बीएमडब्ल्यू दुर्घटना मामले में गिरफ्तार गगनप्रीत कौर की जमानत याचिका पर सुनवाई की और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) अंकित गर्ग ने घटना के सीसीटीवी फुटेज देखने और विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव, बचाव पक्ष के वकील प्रदीप राणा और शिकायतकर्ता के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। आइए जानते हैं कि कोर्ट में बहस के दौरान क्या-क्या हुआ...
कम दूरी पर एक दर्जन से ज्यादा अस्पताल लेकिन आरोपी घायलों को दूर ले गए
न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार,सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत में घटना का सीसीटीवी फुटेज दिखाया। विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने दलील दी कि कम दूरी पर एक दर्जन से ज्यादा अस्पताल उपलब्ध हैं। लेकिन आरोपी घायलों को दूर स्थित अस्पताल ले गए। न्यूलाइफ़ एक छोटा नर्सिंग होम है।
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यह भी दलील दी गई कि कार की गति तेज थी, जो कार की हालत से साफ है। एसपीपी ने दलील दी कि इस सड़क पर अधिकतम गति 50 किमी प्रति घंटा है। उन्होंने यह भी कहा कि कार तेज गति में थी और उसने बाइक को टक्कर मार दी।
उन्होंने यह भी कहा कि न्यूलाइफ अस्पताल एक नर्सिंग होम है जो आगे की देखभाल के लिए है। अस्पताल प्रारंभिक उपचार के लिए होते हैं।
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अगर उसका इरादा होता, तो वह (गगनप्रीत कौर) मौके से भाग जाती - बचाव पक्ष
दूसरी ओर, आरोपी के वकील गगन भटनागर के साथ अधिवक्ता प्रदीप राणा ने दलील दी कि फुटेज के एक भी फ्रेम में मृतक की मोटरसाइकिल कार से आगे नहीं थी। दलील दी गई कि जब कार फुटपाथ से टकराकर पलट गई, तो बाइक भी कार के पीछे चल रही थी। दोनों की गति एक ही थी।
वकील प्रदीप राणा ने तर्क दिया कि ड्राइवर को इस बात की जानकारी नहीं थी कि बाइक पीछे आ रही है और कार से टकरा जाएगी। गगनप्रीत कौर को इसकी जानकारी नहीं थी, इसलिए उसका कोई इरादा नहीं था। आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) लगाने का कोई आधार नहीं है। बचाव पक्ष के वकील ने आगे तर्क दिया, "क्या उसे आघात की स्थिति में अस्पतालों के विवरण में जाने की आवश्यकता थी? अगर उसका इरादा होता, तो वह (गगनप्रीत कौर) मौके से भाग जाती।"
आरोपियों के वकील ने संजीव नंदा बीएमडब्ल्यू मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आरोपी गगनप्रीत कौर मौके से भागी नहीं थी, बल्कि वह घायलों को अस्पताल ले गई थी। मोबाइल फोन पुलिस के पास है। वे पुष्टि कर सकते हैं कि उसने पीसीआर को कॉल किया था या नहीं। उनके पास सीडीआर हो सकती है। वह मौके से भागी नहीं, बल्कि घायलों को अस्पताल ले गई थी, वकील ने तर्क दिया।
आरोपी ने मदद लेने से इनकार कर दिया - एसपीपी
अधिवक्ता राणा ने तर्क दिया कि लापरवाही से वाहन चलाने के तत्व और इरादे के तत्व एक साथ नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि बुनियादी जांच पूरी हो चुकी है और अब उसकी हिरासत की जरूरत नहीं है। दूसरी ओर, एसपीपी ने कहा, "हमारे पास एम्बुलेंस में मौजूद एक व्यक्ति का बयान है जिसने मदद की पेशकश की थी, लेकिन आरोपी ने मदद लेने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि वह घायलों को अपनी एम्बुलेंस से निकटतम अस्पताल ले जा सकता है, लेकिन उसने मदद लेने से इनकार कर दिया।"
एसपीपी ने आगे कहा कि आरोपी, जो पूरी तरह स्वस्थ थी, को न्यूलाइफ अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसका रक्त का नमूना नहीं लिया गया था। यह सात घंटे बाद लिया गया था। एसपीपी ने यह भी दलील दी कि जांच अभी जारी है। उन्होंने कहा, "अब, बीएनएसएस के तहत, हम 60 दिनों के भीतर हिरासत में लेने के हकदार हैं। अभियुक्त को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।"
दुर्घटना आरोपी की गलती के कारण हुई - एसपीपी
शिकायतकर्ता के वकील अतुल कुमार ने दलील दी कि अगर गगनप्रीत कौर भाग जातीं, तो उनका पता लगाया जा सकता था। उन्होंने बहुत सोच-समझकर, और बेहद ठंडे दिमाग से योजना बनाई और घायलों को अपने जानने वालों के अस्पताल ले गईं। एसपीपी ने आगे कहा कि आरोपी ने घायल को अपनी हिरासत में अस्पताल पहुंचाया, जो घायल के लिए घातक साबित हुआ। एसपीपी ने दलील दी कि दुर्घटना आरोपी की गलती के कारण हुई। एफआईआर में भी यही बात सही-सही कही गई है।
27 सितंबर को आएगा फैसला
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में दिल्ली के पटियाला हाउस ने अपने फैसले को सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट अब 27 सितंबर फैसला सुनाएगा।
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 25 September 2025 at 21:33 IST