अपडेटेड 10 April 2025 at 17:33 IST
Tahawwur Rana: क्या है SWAT कमांडो? पालम एयरपोर्ट पहुंचते ही जिसने संभाली आतंकी तहव्वुर राणा की सुरक्षा की जिम्मेदारी
SWAT कमांडो को दिल्ली पुलिस की रीढ़ माना जाता है, खासकर आतंकवाद और संगठित अपराध से निपटने के लिए। SWAT अत्यधिक कुशल के साथ दिल्ली की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं
- भारत
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Delhi Police SWAT Unit: 17 साल बाद 26/11 का दोषी पाकिस्तानी मूल के आतंकी तहव्वुर राणा को उसके अंजाम तक पहुंचाने की कार्यवाही शुरू हो गई है। आतंकी तहव्वुर राणा को विशेष चार्टेड प्लेन से भारत लाया गया है। उसे रखने के लिए भारत की दो जेल में दो स्पेशल सेल तैयार किए गए हैं। NIA, पुलिस और दूसरी खुफिया एजेंसियों के अफसरों ने राणा के खिलाफ भारतीय कानून के तहत कार्रवाई का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है।
160 से अधिक लोगों की हत्या की साजिश में शामिल तहव्वुर राणा पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए बारीक से बारीक चीजों का ध्यान रखा जा रहा है। कानून के जानकारों के मुताबिक, राणा के केस में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया जाएगा। जिससे विदेश में बैठे आतंकियों के रहनुमाओं को किसी इंटरनेशनल फोरम पर भारतीय न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाने का मौका ना मिल सके। इस कड़ी में तहव्वुर राणा की सुरक्षा भी बड़ी चुनौती है।
SWAT पर सुरक्षा का जिम्मा
तहव्वुर राणा को अमेरिका से स्पेशल विमान से पालम एयरपोर्ट स्टेशन लाया गया है। दिल्ली पुलिस की 3 गाड़ियां और एंबुलेंस पालम एयरपोर्ट पर मौजूद हैं। उसे कोर्ट तक सुरक्षित ले जाने के लिए सुरक्षा का जिम्मा दिल्ली पुलिस के SWAT (Special Weapons and Tactics) कमांडो का है। SWAT कमांडो आतंकवादी हमलों से निपटने में बेमिसाल हैं। दिल्ली पुलिस की इस विशेष हाई ट्रेड यूनिट को आतंकवाद, बंधक संकट और दूसरे उच्च जोखिम वाली स्थितियों से निपटने के लिए तैयार किया गया है।
26/11 हमले के बाद बनी SWAT
26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले में लॉजिस्टिकल कारणों के चलते पहले 12 घंटों तक NSG कमांडो को कार्रवाई में नहीं लगाया जा सका था। अब दिल्ली में ऐसे हमलों से निपटने के लिए SWAT है। यह टीम दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के तहत काम करती है और इसे 2009 में मुंबई के 26/11 हमलों के बाद बनाया गया था। ताकि दिल्ली में ऐसी आपात स्थितियों से तुरंत निपटा जा सके। आधुनिक हथियारों, रणनीति, और तकनीकों से लैस SWAT कमांडो शहरी क्षेत्रों में किसी भी हमले का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में सक्षम हैं।
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आदर्श वाक्य- एक गोली, एक मार
SWAT कमांडो इमरजेंसी अलार्म बजने के बाद एक मिनट के भीतर पूरी तरह से सशस्त्र होकर गहरी नींद से उठकर कार्रवाई कर सकते हैं। कुछ सेकंड के भीतर बहुमंजिला इमारतों पर चढ़ने से लेकर किसी होटल, DTC बस या मेट्रो के अंदर स्थित कमरे से बंधकों को बचाने में महारथ रखते हैं। अमेरिकी नौसेना के सील्स (जिन्होंने आतंकी ओसामा बिन लादेन को मारा था) टारगेट के सिर पर दो गोलियां दागते हैं। इसे डबल टैप कहा जाता है, लेकिन दिल्ली पुलिस के SWAT कमांडो को प्रत्येक लक्ष्य को सिर्फ एक गोली से खत्म करना सिखाया जाता है।
SWAT की क्षमताएं
SWAT कमांडो के पास बुलेटप्रूफ माइन-प्रोटेक्टेड वाहनों का बेड़ा है और उन्हें इस तरह से तैनात किया जाता है कि वे 20 मिनट के भीतर दिल्ली में किसी भी स्थान पर पहुंच सकते हैं। दिल्ली में 20-30 कमांडो हमेशा तैयार रहते हैं। एक्शन शुरू होने पर वो नक्शे बना सकते हैं और किसी स्थान पर पहुंचने के 10 मिनट के भीतर हमला शुरू कर सकते हैं। हर "हिट-टीम" में एक टीम लीडर, 2 रेकी अधिकारी, एक कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट, 2 शार्पशूटर और एक डॉक्टर शामिल होते हैं।
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SWAT के हर कमांडो के पास एक AK-47 असॉल्ट राइफल या MP5 सबमशीन गन, कम से कम चार 30-राउंड मैगजीन, एक ग्लॉक 17 या ग्लॉक 26 पिस्टल, हैंड ग्रेनेड, एक वायरलेस सेट, एक 20-मीटर नायलॉन रस्सी, एक पेंसिल टॉर्च, एक बुलेटप्रूफ हेलमेट (सिखों के लिए पटका), बुलेटप्रूफ जैकेट, फ्लेम टॉर्च, कटर और एक कमांडो डैगर होता है। चुपके से किए गए हमलों के दौरान सुरक्षा के लिए घुटने और कोहनी पर विशेष पैड भी पहने जाते हैं।
महिला SWAT टीम
दिल्ली पुलिस की रीढ़ माने जाने वाले SWAT कमांडो को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), पूर्व सैन्य कमांडो और विदेशी सेनाओं जैसे इजराइल की मोसाद से ट्रेनिंग मिलती है। इसमें इजराइली मार्शल आर्ट क्राव मागा, बम डिफ्यूज करना और क्लोज फाइट की तकनीकें भी शामिल हैं। दिल्ली पुलिस में महिला SWAT टीम भी है। 2018 में दिल्ली पुलिस ने भारत की पहली ऑल-वुमन SWAT टीम शुरू की थी। जिसमें 36 महिला कमांडो शामिल थीं।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 10 April 2025 at 16:34 IST