अपडेटेड 28 October 2025 at 13:58 IST
Delhi Artificial Rain: दिल्ली में होने वाली है कृत्रिम बारिश, एयरक्राफ्ट ने कानपुर से भरी उड़ान; 'जहरीली हवा' से मिलेगी राहत
क्लाउड सीडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले सेसना एयरक्राफ्ट ने कानपुर से उड़ान भरली है। दिल्ली की हवा में घुलते प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए यह सरकार का बड़ा कदम है।
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Delhi Cloud Seeding Update : दिल्ली की हवा में घुलते प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए एक नया कदम उठाया गया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि कानपुर से एक विशेष विमान उड़ान भर चुका है, जो दिल्ली के ऊपर कृत्रिम बारिश (Cloud Seeding) का पहला परीक्षण करेगा। यह प्रयास दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को सुधारने और सर्दियों के मौसम में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
सेसना एयरक्राफ्ट ने कानपुर से मेरठ के लिए उड़ान भरी है। आज दिल्ली में क्लाउड सीडिंग होने की संभावना है। सर्दियों का मौसम आते ही दिवाली के बाद दिल्ली- NCR के आसमान में स्मॉग की मोटी परत छा जाती है और हवा जहरीली हो जाती है। AQI का स्तर 400 के पार पहुंचने से लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। इस प्रदूषण से राहत पाने के लिए अब कृत्रिम तरीके से बारिश कराने की तैयारी है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने सुबह कहा था कि "क्लाउड सीडिंग के संबंध में, जैसे ही कानपुर में मौसम साफ होगा, हमारा विमान वहां से आज उड़ान भरेगा। अगर यह सफलतापूर्वक उड़ान भर लेता है, तो दिल्ली में आज ही क्लाउड सीडिंग की जाएगी।"
बुराड़ी में हुआ था सफल ट्रायल
बता दें कि IIT कानपुर ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश का जिम्मा संभाला है। पिछले सप्ताह भी दिल्ली के बुराड़ी में इसके लिए सफल ट्रायल हुआ था। IIT कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मनीन्द्र अग्रवाल ने बताया था कि उस दिन बादल कम थे, इसलिए बारिश नहीं हुई। ट्रायल पूरी तरह सफल रहा।
क्लाउड सीडिंग क्या है और कैसे काम करता है?
क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है, इस प्रोसेस में हवा में मौजूद बादलों में सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे रसायन मिलाए जाते हैं। ये कण बादलों में नमी को आकर्षित करते हैं और पानी की बूंदों के तौर पर बारिश लाने में मदद करते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह प्रक्रिया तब प्रभावी होती है जब बादल पर्याप्त मात्रा में मौजूद हों। यह प्रक्रिया विशेष विमानों के माध्यम से की जाती है, जो बादलों के ऊपर उड़ान भरते हुए इन रसायनों को छिड़कते हैं।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 28 October 2025 at 13:36 IST