अपडेटेड 21 September 2024 at 19:58 IST
EXPLAINER/ आतिशी नहीं ब्रह्म प्रकाश थे दिल्ली के सबसे युवा CM, एक विमान दुर्घटना के कारण मिला मौका, पूरी कहानी
बहुत से लोग इस बात का कयास भी लगा रहे हैं कि आतिशी दिल्ली की सबसे युवा CM हैं तो हम आपका ये भ्रम यहीं दूर कर देते हैं कि आतिशी दिल्ली की सबसे युवा CM नहीं हैं।
- भारत
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Delhi Youngest CM: शनिवार (21 सितंबर) को आतिशी ने दिल्ली की 8वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली। इसके साथ ही वो दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। आतिशी ने महज 11 साल के सियासी अनुभव और 43 साल की उम्र में मुख्यमंत्री का पद हासिल कर लिया है। हममें से बहुत से लोग इस बात का कयास भी लगा रहे हैं कि आतिशी दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं तो हम आपका ये भ्रम यहीं दूर कर देते हैं कि आतिशी दिल्ली की सबसे युवा सीएम नहीं हैं बल्कि दिल्ली के सबसे युवा सीएम का तमगा दिल्ली के सबसे पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव के नाम पर ही दर्ज है। इस तरह से आतिशी दिल्ली की दूसरी सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनी हैं। आइए आपको बताते हैं कि दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री कौन थे और इतनी कम उम्र में कैसे उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला?
चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव दिल्ली के पहले और अब तक के दिल्ली के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। वो महज 33 साल की उम्र में ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। ब्रह्म प्रकाश यादव का जन्म भी भारत में नहीं हुआ था। उनका केन्या की राजधानी नैरोबी में हुआ था। ब्रह्म प्रकाश यादव ने आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। ब्रह्म प्रकाश यादव साल 1952 में महज 33 साल की उम्र में दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने थे और अभी तक दिल्ली के सबसे युवा मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड उन्हीं के पास है। वो 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहे। उनका कार्यकाल 3 सालों तक रहा।
33 की उम्र में कैसे मिला सीएम बनने का मौका?
भारत को आजादी मिलने के बाद पहला आम चुनाव साल 1952 में हुआ था। तब आम चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होते थे। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए भी साल 1952 में चुनाव हुए थे। चुनाव के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे देशबंधु गुप्ता (Deshbandhu Gupta) का नाम चल रहा था और इसका ऐलान भी हो चुका था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री देशबंधु गुप्ता ही बनेंगे। उसी समय देशबंधु गुप्ता की एक विमान हादसे में मौत हो गई। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर एक ही चेहरा सबकी नजर में आ रहा था जो ऊर्जावान था स्वतंत्रता संग्राम सेनानी था और देश की आजादी के लिए कई बार जेल भी जा चुके थे।
ऐसा रहा चौधरी ब्रह्म प्रकाश का सियासी करियर
चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव महात्मा गांधी के 1940 के सत्याग्रह आंदोलन काफी सक्रिय रहे और इसके बाद 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में वो दिल्ली के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का मुख्य चेहरा बने थे इसके लिए अग्रेज हुकूमत ने उन्हें कई बार जेल भी भेजा था। चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के शकूरपुर गांव से थे और उन्हें शेर-ए-दिल्ली और मुगल-ए-आजम के नाम से जाना जाता था। वो साल 1952 से लेकर 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर बने रहे। उन्हें भारत के प्रथम निर्दलीय मुख्यमंत्री बनने का भी गौरव प्राप्त है। बाद में वे सांसद बने तथा केन्द्रीय खाद्य, कृषि, सिंचाई और सहकारिता मंत्री के रूप में उल्लेखनीय कार्य किये। 1977 में उन्होंने पिछड़ी, अनुसूचित जातियों व अल्पसंख्यकों का एक राष्ट्रीय संघ बनाया। राष्ट्र के प्रति उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उनके सम्मान में 11 अगस्त 2001 स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 21 September 2024 at 19:58 IST