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Published 19:42 IST, August 30th 2024

क्या गांव हो रहे शहरों से अधिक प्रदूषित? वायु प्रदूषण को लेकर विशेषज्ञ ने किया बड़ा दावा

भारत में बंद जगह पर होने वाला वायु प्रदूषण खुले स्थान के वायु प्रदूषण से अधिक जोखिम पैदा करता है। कई बार शहर आस-पास के गांवों की तुलना में अधिक स्वच्छ होते हैं।

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Air pollution
Air pollution | Image: Unsplash

 देश के दो शीर्ष नीति विशेषज्ञों के अनुसार भारत में बंद जगह पर होने वाला वायु प्रदूषण खुले स्थान के वायु प्रदूषण से ज़्यादा स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है और कई बार शहर आस-पास के गांवों की तुलना में ज़्यादा स्वच्छ होते हैं।

भारत स्वच्छ वायु शिखर सम्मेलन (आईसीएएस) 2024 को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की प्रधान सलाहकार सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, "दिल्ली में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं का 'ब्लैक कार्बन' के उच्च स्तर के संपर्क में आने का औसत जोखिम (महिलाएं जो ज्यादातर घर पर रहती हैं) उतना ही है जितना कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के संपर्क में बाहर घूमने वाले 'ऑटो' यात्री होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप 'उच्च सिस्टोलिक रक्तचाप' होता है।"

'कभी-कभी शहर, गांवों की तुलना में अधिक स्वच्छ'

उन्होंने थिंक टैंक 'सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन में कहा, “जहां भी मूल्यांकन किया गया है, शहरों का योगदान समग्र राज्य उत्सर्जन में 20 प्रतिशत से कम है, लेकिन घरेलू उत्सर्जन प्रमुख है, जो 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच है। देश भर में हम देख रहे हैं कि कभी-कभी शहर आसपास के गांवों की तुलना में अधिक स्वच्छ होते हैं।” यह भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के दायरे को विस्तृत करने के लिए एक मजबूत आधार बनाता है।

स्वास्थ्य के साथ खेती के लिए भी हानिकारक

सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, "हम हमेशा वायु प्रदूषण को एक समस्या के रूप में ही देखते हैं, लेकिन अध्ययनों से स्वच्छ वायु के लिए कार्रवाई का एक मजबूत आर्थिक तर्क भी सामने आता है। वायु को साफ करने में निवेश करने के महत्वपूर्ण सकारात्मक परिणाम हैं। हम जानते हैं कि वायु प्रदूषण न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह कृषि के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि यह फसलों तक पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी को कम करता है और यह हमारी या किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि यह लोगों को उन स्थानों पर आने-जाने और रहने से रोकता है।"

विश्व स्वास्थ्य संगठन के व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य सहयोग केंद्र की निदेशक कल्पना बालकृष्णन ने कहा कि स्वच्छ खाना पकाने वाले ईंधन को अपनाने में मुख्य बाधा वित्त है, जो घरेलू वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा, "अगर हम महिलाओं को दो वर्षों के लिए मुफ्त एलपीजी प्रदान करें, तो वे सब्सिडी हटाने के बावजूद बायोमास खाना पकाने की ओर वापस नहीं जाएंगी।"

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 19:42 IST, August 30th 2024