Updated April 26th, 2024 at 18:58 IST
केजरीवाल को कोर्ट की लताड़- दिल्ली सरकार की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में रहने की, गिरफ्तारी के बावजूद...
Delhi HC on Kejriwal: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी को 2 लाख से अधिक छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध न करा पाने को लेकर फटकार लगाई है।
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अखिलेश राय
Delhi HC on Kejriwal: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी को 2 लाख से अधिक छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध न करा पाने को लेकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में बने रहने की है और गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित के ऊपर निजी हित को प्राथमिकता दी है।
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आपको बता दें कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह तीखी टिप्पणी की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम की आपसी खींचतान के कारण एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं और वे टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
सौरभ भारद्वाज पर भी दिल्ली हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज पर भी तीखी टिप्पणी की और कहा कि उन्होंने हालात को लेकर आंखें मूंद रखी हैं और घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। कोर्ट ने ये सख्त टिप्पणी उस वक्त की जब दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में, किसी उपयुक्त प्राधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी जो अभी हिरासत में हैं।
दिल्ली सरकार की दलील पर एक्टिंग CJ मनमोहन ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि छात्रों को पाठ्यपुस्तकों के बिना पढ़ने के लिए छोड़ दिया जाए। कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह आपकी पसंद है कि आपने कहा है कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार चलती रहेगी। आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे। हमने अपने सामने आई जनहित याचिकाओं में कई बार यह कहा है, लेकिन यह आपके प्रशासन का फैसला है। अगर आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम इस पर विचार करेंगे।
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जस्टिस मनमोहन ने कहा कि वह सौरभ भारद्वाज का नाम भी ऑर्डर में शामिल करेंगे। दिल्ली सरकार के वकील सदान फरासत ने कहा कि एमसीडी के पास स्थायी समिति न होने का कारण यह है कि एलजी ने अवैध रूप से एल्डरमैन नियुक्त किए हैं और सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार कर रहा है। फरासत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के पास वैसे भी बहुत अधिक शक्ति नहीं है।
'दिल्ली सरकार को जरा भी चिंता नहीं'
हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी मे कहा कि दिल्ली सरकार को इस बात की जरा भी चिंता नहीं है कि छात्र स्कूल नहीं जा रहे हैं या उनके पास किताबें नहीं हैं। आपकी दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में है। कोर्ट ने कहा कि यहां सत्ता का अहंकार ही है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन ने कहा कि इस मामले में दिल्ली सरकार का रुख सही नहीं है। दिल्ली में हालात बहुत खराब हैं और एमसीडी के तहत लगभग हर प्रमुख कार्य ठप्प पड़ा हुआ है। आपको बता दें कि इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया। सोमवार को हाईकोर्ट इसपर अपना फैसला सुनाएगा।
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(Note: यह एक ब्रेकिंग स्टोरी है। अधिक जानकारी के साथ अपडेट हो रही है)
Published April 26th, 2024 at 18:58 IST
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