अपडेटेड 23 March 2025 at 13:39 IST
साजिश तो शिकायत क्यों नहीं, 17 घंटे की देरी किस लिए...जस्टिस वर्मा के घर मिले 'कैशलोक' में कई अनसुलझे सवाल?
दिल्ली HC के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर मिले 'कैशलोक' मामले में कई अनसुलझे सवाल हैं। जस्टिस वर्मा ने कहा कि ये साजिश है। तो फिर शिकायत 17 घंटे बाद क्यों की गई?
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दिल्ली हाईकोर्ट कैशकांड मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए शनिवार को तीन सदस्यीय समिति गठित की। बता दें, दिल्ली हाईकोर्ट जज के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में नोटों का अंबार मिलने के बाद से वह सुर्खियों में हैं। वहीं मामले के खुलासे के बाद इसे लेकर तरह-तरह की बातें भी सामने आ रही है। जस्टिस वर्मा का कहना है कि उनके घर में इतने सारे कैश होने के बारे में जानकारी नहीं थी। वहीं अग्निशामक चीफ की ओर से भी एक बयान सामने आया। ऐसे में कई अनसुलझे सवाल हैं, जिसकी जवाब का इंतजार देश की जनता कर रही है।
आरोप है कि जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने के बाद वहां से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। एक ओर कॉलेजियम ने वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका विरोध किया है। सवाल ये उठता है कि अगर जस्टिस वर्मा को नहीं पता कि कैश कहां से आया है, तो फिर कैश मिलने के तुरंत बाद शिकायत क्यों नहीं की गई? आखिरकार 17 घंटे से भी ज्यादा का वक्त लग गया लेकिन अबतक कोई शिकायत नहीं की गई, ऐसा क्यों? जबकि मामला सामने आने के बाद SC की तरफ से जज के ट्रांसफर की बात भी सामने आ गई थी।
सिंभावली बैंक फ्रॉड से तो नहीं है कैश का लिंक!
कैश मामले में के बाद सिंभावली शुगर मील का मामला तेजी से चर्चा का विषय बन रहा है। दरअसल, ये मामला भारत के सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक सिंभावली शुगर्सलिमिटेड की करीब 10 करोड़ की संपत्ति जब्त करने का है। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शिकायत पर CBI ने फरवरी 2018 में जांच शरू की थी। ओरिएंटल बैंक ने आरोप लगाया था कि 5,762 किसानों के लिए बैंक की तरफ से दिए गए 150 करोड़ लोन का सिंभावली शुगर मील ने दुरुपयोग किया और इन रकमों का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया। इलाहाबाद HC के आदेश के बाद CBI ने FIR दर्ज की और इसके 5 दिन बाद ED ने भी ECR दर्ज की।
यशवंत वर्मा को बनाया गया था आरोपी
CBI ने मामले में सिंभावली शुगर मिल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गुरमीत सिंह मान, उप प्रबंध निदेशक गुरपाल सिंह और कंपनी के CFO, कार्यकारी और गैर-कार्यकारी निदेशकों सहित 8 अन्य का नाम शामिल किया था। वहीं मामले का 10वां आरोपी जस्टिस यशवंत वर्मा को बनाया गया था। 13 अक्टूबर, 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायाधीश बनने से पहले तक सिंभावली शुगर मिल के गैर-कार्यकारी निदेशक रहे। ऐसे में लगातार सवाल ये खड़े हो रहे हैं कि आखिर जस्टिस वर्मा के पास इतने कैश कहां सेआए? किसने और किस वजह से उन्हें इतने कैश दिए? बता दें, सिंभावली बैंक फ्रॉड मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 23 March 2025 at 11:13 IST