अपडेटेड 2 August 2024 at 16:52 IST

Jaipur Blast Case: राजस्थान सरकार को बड़ी सफलता, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिका मंजूर की

इस मामले में पहले ट्रायल कोर्ट ने सैफुर्रहमान अंसारी और शहबाज हुसैन सहित सभी आरोपियों को दोषी ठहराते हुए फांसी और उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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Supreme Court
राजस्थान सरकार को बड़ी सफलता, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिका मंजूर की | Image: PTI/File

Supreme Court Accepted Jaipur Serial Blast Case Plea: राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) को साल 2008 में जयपुर सीरियल धमाकों (Jaipur Serial Blast) के मामले में बड़ी सफलता मिली है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में राजस्थान सरकार की सुनवाई की याचिका को स्वीकार कर लिया है। अब सीरियल धमाकों के इस मामले में आरोपियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चलेगा। राजस्थान सरकार ने इस सीरियल ब्लास्ट के केस में शाहबाज हुसैन (Shahbaz Husaain) और सैफुर्रहमान अंसारी (Safurrahman Ansari) के खिलाफ याचिका दाखिल की है। इन दोनों पर आरोप है कि साल 2008 में इन दोनों ने जयपुर में हुए सीरियल धमाकों के लिए बम प्लांट किए थे और इस ब्लास्ट को अंजाम देने में इन्हीं दोनों आरोपियों की मुख्य भूमिका रही थी।

इस मामले में पहले ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने सैफुर्रहमान अंसारी और शहबाज हुसैन को दोषी ठहराया था,18 नवंबर 2019  और 20 दिसंबर 2019 को क्रमशः फांसी (Death) और उम्रकैद (Life Time Imprisonment) की सजा सुनाई गई थी। हालांकि बाद में राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने बम ब्लास्ट (Bomb Blast) के आरोपियों को पिछले साल 29 मार्च 2023 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था, जिसके चलते मौजूदा सरकार ने एसएलपी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस एसएलपी को स्वीकार कर लिया है। 

क्या था पूरा मामला?

13 मई 2008 को राजस्थान के जयपुर में 7 जगहों पर एक के बाद एक करके 8 धमाके होते हैं इन धमाकों में 71 लोगों की मौत हो जाती है और लगभग 200 से भी ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं। ये धमाके कुल 20 मिनट अंतराल पर होते हैं। इस मामले पर एक विशेष कोर्ट ने दिसंबर 2019 में 4 लोगों (मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी, सैफुर रहमान और मोहम्मद सलमान) के खिलाफ सुनवाई करते हुए दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई। कोर्ट ने इस मामले में एक और अभियुक्त शहबाज अहमद, जिसने इन धमाकों की ई-मेल के जरिए जिम्मेदारी लेने का आरोप था, उसे नाबालिग होने की वजह से बरी कर दिया था।


हाईकोर्ट ने सबूतों को बताया था फेक, पुलिस टीम पर दिए थे जांच के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने 29 मार्च 2023 को लोअर कोर्ट से फैसलों पर रोक लगाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके अलावा लोअर कोर्ट द्वारा पांचवें नाबालिग अभियुक्त को भी बरी करने के फैसले को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने तर्क दिया था कि पुलिस का आतंकवादी निरोधी दस्ता इन आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं कर सका जिसकी वजह से साजिश को साबित करने का कोई आधार साबित नहीं कर पाया। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि पुलिस द्वारा पेश किए गए ये सबूत फेक दिखाई दे रहे हैं इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए थे।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 2 August 2024 at 16:28 IST