अपडेटेड 9 February 2025 at 23:54 IST

बेवफा प्रेमी ने बेटी को 35 टुकड़ों में काटा, अंतिम संस्कार की आस में पिता ने भी तोड़ा दम, ये कैसा न्यायतंत्र?

दिल्ली से 2022 में दिल दहला देने वाले मामले का खुलासा हुआ था, जिसे सुन हर शख्स कांप उठा। तीन साल से बेटी के अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे पिता ने भी तोड़ दिया।

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shraddha walkar father dies.
करीब तीन साल से बेटी के अंतिम संस्कार की आस लगाए पिता ने तोड़ा दम। | Image: ANI/ Republic

राजधानी दिल्ली में प्यार के बदले अपनी प्रेमी के हाथों 32 टुकड़ों में कटने वाली श्रद्धा वालकर को आप भूले तो नहीं? वही श्रद्धा वालकर जिसे उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने 32 टुकड़ों में काटर उसके शरीर के अलग-अलग हिस्सों को पहले फ्रिज में रखा और फिर अलग-अलग जगहों पर ठिकानों लगाने लगा। वही श्रद्धा जिसके पिता विकास वालकर को उनकी बच्ची का आखिरी दर्शन भी नहीं मिल पाया। बेटी के लिए इंसाफ का इंतजार करते-करते, न्यायतंत्र से न्याय की उम्मीद में बैठे उसके पिता ने दम तोड़ दिया।

मुंबई में श्रद्धा के पिता की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। एक पिता अपनी बेटी के लिए इंसाफ की राह देखते-देखते खुद ही नींद की आगोश में सो गए। बताया जा रहा है कि विकास वाल्‍कर बेटी श्रद्धा की हत्या के बाद से उदास रहते थे और उसका अंतिम संस्कार करने के लिए शव के नाम पर बचे टुकड़े पाने का इंतजार कर रहे थे।

2022 में बेरहमी से हुई हत्या लेकिन 2025 तक भी नहीं मिला इंसाफ

बता दें, श्रद्धा वालकर का ये मामला 2022 में सामने आया, आरोपी पकड़ा भी जा चुका है, उसके अपराध के कई सबूत भी पुलिस को मिल गए, साल 2025 आ गया लेकिन अबतक श्रद्धा को इंसाफ नहीं मिला। अपनी बेटी के लिए न्याय की आस लगाए वो बेबस पिता इस दुनिया को छोड़कर जा चुका है। मई 2022 में श्रद्धा की बेरहमी से हत्या हुई, नवंबर में इस मामले का खुलासा हुआ था। ये घटना दिल दहला देने वाली थी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। दिल्ली पुलिस ने 24 जनवरी 2023 को इस मामले में 6,629 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन सवाल ये उठता है कि ये 6 हजार के आरोप पत्र का अब क्या किया जाएगा? जब इस देश का न्यायतंत्र एक लड़की को 3-4 सालों में भी न्याय ना दिला सके, उस लड़की का पिता तड़पते-तड़पते दम तोड़ दे, तो वो हजारों पन्नों का चार्जशीट किस काम का? 

लाचार पिता को बेटी के शव के टुकड़े भी नहीं हुए नसीब

विकास वालकर एक इतने बेबस पिता थे, जो अपनी बेटी के शव तो छोड़िए, उसक शरीर के बचे हुए टुकड़े भी लेने को तड़पते रहे। आज भी श्रद्धा के शरीर के उन 32-35 टुकड़ों में से कुछ बचे हुए पुलिस की कस्टडी में है। इसे बदनसीबी कहना गलत होगा, क्योंकि ये विफलता है इस देश के न्यतंत्र की, ये विफलता है, इस सरकार की, ये विफलता है इस देश में रह रहे लोगों की, ये विफलता है इस समाज की।

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इस देश में किसी नेता या दल के लिए रातों-रात कोर्ट के दरवाजें खुल जाते हैं, लेकिन भरी दोपहरी में भी इस देश की बेटियों को न्याय नहीं मिलता है। दिन के उजाले में भी देश की बेटियां, उनका परिवार कोर्ट
के अंदर-बाहर अपनी चप्पल घिसता रहता है, लेकिन इंसाफ देने वाला कोई नहीं होता है।

श्रद्धा वालकर केस के बाद कई ऐसे मामले सामने आए, जहां बेटियों ने जिनपर भरोसा किया उन्होंने उसे टुकड़ों में काटकर कहीं प्रेशर कुकर में उबाल दिया, तो कहीं फ्रिज में सड़ने के लिए छोड़ दिया। इस पंगु समाज में ना जाने कितनी श्रद्धा ने प्यार पर भरोसा करके दम तोड़ दिया, लेकिन कुछ भी नहीं बदला। 

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हाल ही में कोलकाता के आरजी में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ दरिंदगी का भयावह मामला सामने आया, जिसने हर पिता को ये सोचने पर जरूर मजबूर कर दिया कि वो अपनी बच्ची को पढ़ा लिखाकर नौकरी करने योग्य तो बना देंगे, लेकिन क्या वो जिस जगह नौकरी करने जाएगी वहां से सुरक्षित लौटेगी?

ये मुर्दा समाज है

आज हम उस मुर्दा समाज में रह रहे हैं, जहां बेटी के साथ हुई दरिंदगी और हर अन्याय के लिए लड़ते नहीं है, सरकार से सवाल नहीं करते, कोर्ट पर दस्तक नहीं देते, हम रात के अंधेरे में एक तस्वीर और हाथ में कैंडिल के साथ के सड़क पर उतर जाते हैं। ये मुर्दा समाज दिन के उजाले में बटियों के चरित्र पर कीचड़ उछालती है और बेटों को उनकी गलतियों पर छिपने के लिए आश्रय देती है। ये वो मुर्दा समाज है, जहां देवी की मूर्ति को पूजते हैं, और चलती-फिरती जिंदा देवियों के साथ दुष्कर्म करते हैं, उनकी इज्जत उछालते हैं, उन्हें जानवरों की तरह नोच खाते हैं।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 9 February 2025 at 23:54 IST