अपडेटेड 17 May 2025 at 15:48 IST

Crime News: मां के बगल में सो रहा था युवक, तभी घुसा दोस्त और ताबड़तोड़ कुल्हाड़ी से काट डाला फिर बोला- दुश्मनी का बदला ले लिया...

आधी रात के सन्नाटे में एक युवक ने अपने ही दोस्त की कुल्हाड़ी से बेरहमी से हत्या कर दी। हत्या के बाद आरोपी ने न केवल खुद को छिपाया नहीं, बल्कि खुलेआम घोषणा कर दी कि उसने तीन साल पुरानी दुश्मनी का बदला ले लिया है।

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Crime News: मां के बगल में सो रहा था युवक, तभी घुसा दोस्त और ताबड़तोड़ कुल्हाड़ी से काट डाला फिर बोला- दुश्मनी का बदला ले लिया... | Image: Meta- AI

Rajasthan Crime News: राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पिलानी थाना क्षेत्र के भगीना गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। आधी रात के सन्नाटे में एक युवक ने अपने ही दोस्त की कुल्हाड़ी से बेरहमी से हत्या कर दी। हत्या के बाद आरोपी ने न केवल खुद को छिपाया नहीं, बल्कि खुलेआम घोषणा कर दी कि उसने तीन साल पुरानी दुश्मनी का बदला ले लिया है अब जो सजा मिले, वह उसे स्वीकार है। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। शुरुआती जांच में यह घटना व्यक्तिगत रंजिश का नतीजा बताई जा रही है, जिसने एक दोस्ती को खून में बदल दिया। गांव में इस घटना के बाद से दहशत का माहौल है, और लोग यह सोचकर हैरान हैं कि एक पुरानी दुश्मनी किस हद तक इंसान को वहशी बना सकती है।

दलीप स्वामी, 30 वर्षीय युवक, बेंगलुरु की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करता था। कुछ समय की छुट्टी लेकर वह अपने गांव आया हुआ था, ताकि कुछ दिन सुकून के साथ अपने परिवार के साथ बिता सके। दो दिन बाद उसकी वापसी की तैयारी थी। वह अपनी मां सुगनी देवी के साथ घर के आंगन में चारपाई पर सो रहा था। चारों ओर गांव का गहरा सन्नाटा पसरा था। रात के लगभग डेढ़ बजे अचानक एक परिचित चेहरा वहां आ पहुंचा आशीष शर्मा, 25 वर्ष का युवक, जो दलीप का दोस्त बताया जाता है। किसी को भनक तक नहीं लगी और अगले ही पल उसने सोते हुए दलीप पर कुल्हाड़ी से जानलेवा हमला कर दिया। उसने दलीप की गर्दन और चेहरे पर कई बार वार किए। चारपाई पर सोया दलीप कुछ समझ पाता, उससे पहले ही उसका चेहरा और गर्दन खून से लथपथ हो चुके थे।

हत्या के बाद छत पर चढ़कर गांव वालों को ललकारा

गांव की शांत रात अचानक चीखों से गूंज उठी। आधी रात का समय था, जब दलीप की मां की नींद एक अजीब और डरावनी आवाज से टूटी जैसे किसी तेज हथियार की टकराहट पंखे से हो रही हो। घबराकर उठी मां ने जो दृश्य देखा, वह उसकी आंखों को विश्वास नहीं हुआ। उसका बेटा दलीप खून से लथपथ पड़ा था, और उसके सामने खड़ा था आशीष, जिसके हाथ में एक कुल्हाड़ी थी। आशीष पागलपन की हालत में लगातार दलीप पर वार कर रहा था। मां ने चिल्लाकर शोर मचाया, मदद की गुहार लगाई, लेकिन आशीष पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वह तब तक वार करता रहा, जब तक दलीप की सांसे थम नहीं गईं। हत्या के बाद आशीष घर की छत पर चढ़ गया। पूरा गांव उसकी आवाज से जाग उठा, जब उसने ऊंची आवाज में ललकारा- "मैंने अपनी दुश्मनी का बदला ले लिया है। अब जो करना हो, कर लो!" उसने यह भी कहा कि उसे जो भी सजा मिलेगी, वह मंजूर होगी। गांववालों के मन में डर और सन्नाटा छोड़कर आशीष ने ये बात कही और फिर रात के अंधेरे में वो गायब हो गया।


तीन साल पुरानी रंजिश, दोस्ती की आड़ और एक खौफनाक अंत

दलीप स्वामी, 30 वर्षीय युवक, बेंगलुरु की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करता था। कुछ दिनों की छुट्टी पर वह अपने गांव आया था। दो दिन बाद उसे वापस जाना था। लेकिन गांव की एक रात, जो सामान्य सी लग रही थी, अचानक खून से सनी एक दिल दहला देने वाली वारदात में बदल गई। रात करीब डेढ़ बजे दलीप अपने घर के आंगन में अपनी मां सुगनी देवी के पास चारपाई पर सो रहा था। उसी समय उसका पुराना दोस्त आशीष शर्मा (25) वहां पहुंचा। किसी को कोई शक नहीं था, क्योंकि आशीष और दलीप लंबे समय से दोस्त माने जाते थे। लेकिन जो हुआ, वह किसी ने सोचा तक नहीं था। आशीष ने सोते हुए दलीप के चेहरे और गर्दन पर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार किए। दलीप की मां चीखती रही, गिड़गिड़ाती रही, लेकिन आशीष पर कोई असर नहीं हुआ। घटना की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी रणजीत सेवदा और डीएसपी विकास धींधवाल मौके पर पहुंचे। एफएसएल और एमओबी की टीमों ने घटनास्थल से जरूरी सबूत जुटाए। जांच में धीरे-धीरे जो सच सामने आया, वह चौंकाने वाला था।

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दोस्ती के चेहरे के पीछे सुलग रही थी बदले की आग

ग्रामीणों के अनुसार, तीन साल पहले दलीप को नींद में चलने की बीमारी थी। एक रात वह अनजाने में आशीष के घर घुस गया और वहां जाकर सो गया। यह बात आशीष को बहुत बुरी लगी। बात इतनी बढ़ी कि दोनों के बीच कहासुनी और मारपीट तक हो गई। बाद में गांव के बुजुर्गों ने हस्तक्षेप कर दोनों में सुलह करवा दी, और मामला शांत हो गया कम से कम ऊपर से। पर अंदर ही अंदर आशीष के दिल में बदले की आग जल रही थी। दलीप के चाचा शंभू स्वामी के अनुसार, आशीष ने दोस्ती का मुखौटा पहन लिया। उसने तीन साल तक धैर्य रखा, दलीप से मिलना-जुलना जारी रखा, उसके साथ घूमता रहा, उसका भरोसा जीतता रहा। घटना के दिन भी, हत्या से पहले, दोनों दिनभर साथ घूमे। कोई नहीं जानता था कि आशीष उस दिन का वर्षों से इंतजार कर रहा था। और जैसे ही मौका मिला, उसने उस पुराने अपमान का बदला ले लिया बेहद बेरहमी से। यह कहानी सिर्फ एक हत्या की नहीं, बल्कि एक ऐसे छल की है, जिसमें दोस्ती के चेहरे के पीछे बदले की आग धीरे-धीरे सुलगती रही, और फिर एक दिन भयानक रूप में फूट पड़ी।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 17 May 2025 at 15:30 IST