Published 23:19 IST, September 10th 2024
अदालत ने 2012 में सेबी के जुर्माने का भुगतान न करने पर 64 वर्षीय महिला को दोषी ठहराया
एक विशेष अदालत ने 2012 में बाजार नियामक सेबी के पांच लाख रुपये के जुर्माने का भुगतान न करने पर 64 वर्षीय महिला को दोषी ठहराया है।
एक विशेष अदालत ने 2012 में बाजार नियामक सेबी के पांच लाख रुपये के जुर्माने का भुगतान न करने पर 64 वर्षीय महिला को दोषी ठहराया है। यह जुर्माना ‘चक्रीय कारोबार’ के चलते लगाया गया था।
उक्त महिला ने हालांकि 2005 में शेयर बाजार कारोबार के नियमों का उल्लंघन किया था, लेकिन अदालत का आदेश दस साल बाद चार सितंबर को आया।
शिला बाबूराव सूर्यवंशी नामक इस महिला की उम्र और सेहत को देखते हुए अदालत ने जेल की सजा नहीं सुनाई, लेकिन उन्हें सात लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया।भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मामलों की विशेष अदालत ने कहा, ‘‘अपराध की गंभीरता और आरोपी की उम्र और बीमारियों को देखते हुए मैंने पाया कि हिरासत में कारावास उचित सजा नहीं होगी।’’
चक्रिय कारोबार (सर्कुलर ट्रेडिंग) का अर्थ शेयर की कीमत में हेरफेर करने के लिए धोखाधड़ी के साथ उनकी खरीद-फरोख्त करना है।
Updated 23:19 IST, September 10th 2024