अपडेटेड 5 May 2025 at 14:50 IST
CJI संजीव खन्ना नहीं करेंगे वक्फ कानून पर सुनवाई; मामला जस्टिस बीआर गवई की बेंच को भेजा, जानिए क्यों
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई नहीं करेगी।
- भारत
- 2 min read

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना अब वक्फ संशोधन अधिनियन को लेकर सुनवाई नहीं करेंगे। एक तरीके से जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को वक्फ कानून के मसले पर अलग कर लिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियन को चुनौती देने का मामला सुनवाई के लिए लगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई नहीं करेगी। इसी बीच जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले को जस्टिस बीआर गवई की बेंच को भेज दिया।
असल में CJI जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर्ड हो रहे हैं और और अंतरिम आदेश पारित करने के लिए भी मामले की लंबी सुनवाई की जरूरत है। मसलन उन्होंने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है और कहा कि मैं अंतरिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहता। इस मामले की सुनवाई किसी उचित दिन होनी चाहिए। येमेरे समक्ष नहीं होगा। हम इसे अंतरिम और अंतिम दोनों आदेशों के लिए बुधवार या गुरुवार को न्यायमूर्ति गवई की पीठ के समक्ष रखेंगे।
अब मामले में सुनवाई 15 तारीख से शुरू होगी
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 3 सदस्यीय बेंच ने मामले पर सुनवाई की। अदालत में एसजी तुषार मेहता ने कहा कि हम आपके मामले को आगे बढ़ाना चाहते थे, क्योंकि हर दलील का जवाब होता है. लेकिन हम आपको शर्मिंदा नहीं कर सकते, क्योंकि समय नहीं है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि बेशक उनके पास हर बात का जवाब है। उसके बाद सीजेआई ने आदेश दिया कि इसे अगले बुधवार को जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करें। वर्तमान CJI का कहना है कि उनके रिटायरमेंट में बहुत कम वक्त रह गया है, इसलिए वो ये मामला नहीं देख पाएंगे। नए CJI इस मामले को देखेंगे और अब मामले में सुनवाई 15 तारीख से शुरू होगी।
संसद से पारित कानून को कोर्ट में चुनौती दी गई
लोकसभा ने 3 अप्रैल को कानून पारित किया था, जबकि राज्यसभा ने 4 अप्रैल को इसे मंजूरी दी थी। संशोधन अधिनियम को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी और उसके बाद ये कानून बना। हालांकि संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिनमें कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे।
Advertisement
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 5 May 2025 at 14:50 IST