अपडेटेड 15 July 2025 at 19:35 IST

VIRAL VIDEO: चादर हटाओ तो छिपकली ही छिपकली, आखिर ये लड़की क्यों करती है Lizard की खेती? लोग हैरान

यह लड़की घर में छिपकली की खेती करती है। वीडियो वायरल होने के बाद भारत में लोगों ने चौंकाने वाले रिएक्शन दिए हैं।

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Lizard farming
छिपकली की खेती | Image: @sports.jx.china

Lizard Farming: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें चीन की एक युवती अपने घर की दीवारों पर छिपकलियों की फार्मिंग करती दिखाई दे रही है। वीडियो में लड़की एक चादर हटाती है, जिसके पीछे छिपकलियों का बगीचा नजर आता है, एक ऐसा दृश्य जिसे देख भारतीय यूजर्स हैरान रह गए।

वीडियो में लड़की दीवार पर बने छोटे-छोटे खांचों में छिपकलियों को पनपता दिखाती है। एक खुद से बनाया गया एक वातावरण है, जो खासतौर पर इन सरीसृपों के लिए बनाया गया है। लड़की उन्हें खाना देती है, साफ-सफाई करती है और पूरी तरह उनकी देखरेख करती है, जैसे कोई पालतू जानवर को पालता है ठीक इसी तरह लड़की छिपकलियों का ध्यान रखती है। 

भारतीय यूजर्स ने उड़ाया मजाक

जहां चीन में यह ट्रेंड आम होता जा रहा है, भारत में इस वीडियो ने विवाद खड़ा कर दिया है। एक यूजर ने लिखा- 'छिपकली? वो भी पालने के लिए? डर से तो जान निकल जाती है।' वहीं दूसरे ने मजाक में कहा- 'भारत में होती तो चप्पल से स्वागत होता।'

चीन में क्यों होती है लिजर्ड फार्मिंग? 

चीन में कई प्रकार की छिपकलियों की फार्मिंग की जाती है। गेको और मॉनिटर लिजर्ड जैसी प्रजातियां पारंपरिक चीनी चिकित्सा में उपयोग की जाती हैं। माना जाता है कि इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यून-बूस्टिंग गुण होते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग इन्हें विदेशी पालतू जानवर के रूप में भी पालते हैं। वहीं, भारत में छिपकली को अशुभ या डरावना जीव माना जाता है। ऐसे में फार्मिंग जैसे विचार को सहजता से स्वीकार करना मुश्किल है।

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क्या भारत में भी हो सकती है लिजर्ड फार्मिंग? 

भारत में छिपकली की फार्मिंग फिलहाल अवैध है और वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत संरक्षित प्रजातियों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़, पालन या व्यापार अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि वैश्विक बाजार में कुछ प्रजातियों की मांग और औषधीय उपयोग को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या भारत जैव विविधता के तहत नियंत्रित और नैतिक फार्मिंग की दिशा में आगे बढ़ सकता है। लेकिन फिलहाल सामाजिक स्वीकृति, कानून और संरक्षण नीति इसे असंभव बनाते हैं। 

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 15 July 2025 at 19:35 IST