अपडेटेड 8 June 2025 at 11:59 IST
जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में बना चिनाब पुल अब सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं है, बल्कि डॉ. माधवी लता जैसी भारतीय वैज्ञानिकों की असाधारण मेहनत का प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुल का उद्घाटन किया, जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है, जिसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ज्यादा है।
डॉ. माधवी लता वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में प्रोफेसर हैं। उन्होंने JNU से बीटेक, NIT से गोल्ड मेडल के साथ एमटेक और IIT मद्रास से डॉक्टरेट किया है। 2021 में उन्हें इंडियन जियोटेक्निकल सोसाइटी के बेस्ट रिसर्चर अवार्ड से भी नवाजा गया है।
यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक का हिस्सा है और इसका निर्माण 2003 में शुरू हुआ था, जो अब 2025 में जाकर पूरी तरह तैयार हुआ है। इसमें डॉ. लता ने भू-तकनीकी सलाहकार की भूमिका निभाई और पूरे 17 सालों तक इसका हिस्सा रहीं।
माधवी लता भारत की जानी-मानी महिला वैज्ञानिक हैं, जो फिलहाल देश के बड़े शिक्षण संस्थान भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में प्रोफेसर के रूप में काम कर रही हैं। उन्होंने साल 1992 में जेएनयू (नई दिल्ली) से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया और ये डिग्री उन्होंने प्रथम श्रेणी में पास की। इसके बाद उन्होंने एनआईटी वारंगल से भू-तकनीक (Geotechnical) इंजीनियरिंग में एमटेक किया और गोल्ड मेडल जीता।
डॉ. माधवी लता ने अपनी पीएचडी की पढ़ाई IIT मद्रास से पूरी की, जिसमें उन्होंने भू-तकनीक इंजीनियरिंग को ही अपना विषय चुना। इस क्षेत्र में उनके काम को बहुत सराहा गया है। साल 2021 में उन्हें इंडियन जियोटेक्निकल सोसाइटी ने देश की सर्वश्रेष्ठ भू-तकनीक शोधकर्ता (Best Geotechnical Researcher) का अवॉर्ड दिया था। उनकी मेहनत, लगन और वैज्ञानिक सोच ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है, जहां वे आज देश की प्रेरणादायक महिला वैज्ञानिकों में गिनी जाती हैं।
माधवी लता जब छोटी थीं, तब उनका सपना था डॉक्टर बनने का, लेकिन परिवार से इस सपने को पूरा करने के लिए जरूरी समर्थन नहीं मिला। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। जब वे बी.टेक की पढ़ाई कर रही थीं, तो उनके शिक्षकों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और कहा कि वो एक दिन बेहतरीन रिसर्चर बनेंगी। यही बात उनके अंदर आत्मविश्वास भरने लगी। असल में, उनका वैज्ञानिक जुनून उस वक्त और गहरा हुआ जब उन्होंने एम.टेक में भू-तकनीक इंजीनियरिंग को चुना। यहीं से उन्होंने रिसर्च को अपना रास्ता बना लिया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
डॉ. लता की टीम ने Design as you go सिद्धांत अपनाया, जिसमें निर्माण के दौरान आने वाली रियल-टाइम चुनौतियों जैसे टूटी चट्टानें, छिपी गुफाएं, भूगर्भीय अनिश्चितताएं (Geological uncertainties) आदि के अनुसार डिजाइन को बदला गया। उन्होंने इस अनुभव पर एक शोध पत्र भी लिखा है, जो Indian Geotechnical Journal के महिला विशेषांक में प्रकाशित हुआ है।
चिनाब पुल की सफलता सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि महिलाओं की विज्ञान में बढ़ती भागीदारी का प्रतीक है। डॉ. लता जैसी महिलाएं नई पीढ़ी को प्रेरित कर रही हैं कि वैज्ञानिक सफलता सिर्फ लैब में नहीं, देश की रगों में दौड़ती परियोजनाओं में भी गूंजती है।
पब्लिश्ड 8 June 2025 at 11:59 IST