अपडेटेड 3 March 2025 at 08:43 IST

Chamoli Avalanche: चमोली में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा, 46 मजदूर को मिली जिंदगी तो 8 की मौत, सेना ने बताया कैसे बचाई लोगों की जान

चमोली में ग्लेशियर टूटने से हुए हादसे के बाद बर्फ के अंदर दबे मजदूर को बचाने के लिए चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया। 46 मजदूर को बचा लिया गया है।

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Chamoli Avalanche
चमोली में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा | Image: ANI

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से हुए हादसे के बाद बर्फ के अंदर दबे मजदूर को बचाने के लिए चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया। मीणा में 57 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया, मगर अफसोस की बात रही कि इसमें से 8 ने दम तोड़ दिया। कुछ और मजदूरों को भी इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तीन दिन से जवान बर्फ के अंदर दबे जिंदगियों को बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू चला रहे थे।

उत्तराखंड के बद्रीनाथ के 3 किलोमीटर दूर माणा गांव में शुक्रवार, 28 फरवरी को खौफनार मंजर देखने को मिली था। माणा गांव के पास एक ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हुआ था जिसमें 54 मजदूर बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़ों के नीचे दब गए थे। बर्फ के नीचे दबे  मजूदरों को बचाने के लिए तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन जलाया गया। सेना, NDRF, SDRF, ITBP और उत्तराखंड पुलिस के जवान ने संयुक्त अभियान चलाकर सभी मजदूरों को बाहर निकाला। एवलांच की चपेट मे आए 8 मजदूरों ने दम तोड़ दिया।

तीन दिनों तक चला सेना का रेस्क्यू

चमोली में IBEX ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर एम.एस. ढिल्लों ने बताया कि कैसे सेना ने तुरंत रेस्क्यू शुरू कर बर्फ में दबे मजदूरों को बाहर निकालने की कवायत शुरू की। उन्होने कहा, 28 फरवरी की सुबह, माना में एक BRO शिविर हिमस्खलन की चपेट में आ गया। भारतीय सेना ने तुरंत कार्रवाई की और खोज और बचाव अभियान शुरू किया। पिछले तीन दिनों में खराब मौसम के बावजूद दिन-रात अभियान चलाया गया।

46 लोगों को सुरक्षित बचाया गया-ब्रिगेडियर

ब्रिगेडियर ने आगे बताया कुल 46 लोगों को बचाया गया और उनका इलाज विभिन्न चरणों में चल रहा है। दुर्भाग्य से, इस घटना में आठ लोगों की जान चली गई। सभी शव अब बरामद कर लिए गए हैं। ऑपरेशन पूरा हो चुका है। भारतीय सेना इस त्रासदी में अपनी जान गंवाने वाले श्रमिकों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है। भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, ITBP, NDRF, सीमा सड़क और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से किए गए अथक और पेशेवर बचाव अभियानों से कई लोगों की जान बचाई गई।

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28 फरवरी को क्या हुआ था?

बता दें कि 28 फरवरी को आए इस एवलांच ने भारत-तिब्बत बॉर्डर के पास माणा गांव में स्थित बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) के कैंप को अपने चपेट में ले लिया था। हादसे के समय 54 मजदूर कैंप में थे और सभी एवलांच की चपेट में आ गए। पहले दिन 33 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला लिया गया था। खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू में परेशानी आ रही थी। इलाके में लगातार बर्फबारी हो रही थी। हालांकि, बाबा बद्री की कृपा से सेना देवदूत बनकर आई और 46 मजदूरों को बचा लिया। अलग-अलग सेना के करीब 200 जवानों को इस रेस्क्यू ऑपेरशन में लगाया गया था।
 

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 3 March 2025 at 08:43 IST