अपडेटेड 11 July 2025 at 13:18 IST
अब देश में प्लास्टिक कचरे का होगा बड़ा उपयोग, सड़क बनाने के लिए CRRI ने खोजी नई तकनीकि; प्रदूषण से मिलेगी निजात
भारत में शहरी कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए एक बड़ी तकनीकी सफलता सामने आई है। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) ने ऐसी उन्नत तकनीक विकसित की है, जिससे बेकार और रिसाइकल न होने वाले प्लास्टिक का उपयोग सड़क निर्माण में किया जा सकता है। इस तकनीक के जरिए न केवल कचरे के निस्तारण का व्यावहारिक समाधान मिल सकेगा, बल्कि इससे मजबूत, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल सड़कें भी बनाई जा सकेंगी।
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अब आपके द्वारा फेंका गया चिप्स या बिस्किट का रैपर भी एक बड़े बदलाव की कहानी का हिस्सा बन सकता है। भारत में पहली बार ऐसी सड़क बन रही है, जिस पर वाहन दौड़ते समय झटके भी नहीं लगेंगे और यह सड़क तैयार हो रही है रिसाइकल न होने वाली प्लास्टिक और कचरे से। सड़क निर्माण की यह क्रांतिकारी तकनीक सेंटर रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) द्वारा विकसित की गई है। इस तकनीक के जरिए ऐसे प्लास्टिक कचरे को उपयोग में लाया जा रहा है, जिसे अब तक केवल लैंडफिल या जलाने के लिए उपयोग किया जाता था। देश की पहली ऐसी सड़क का निर्माण दिल्ली में डीएनडी-फरीदाबाद-केएमपी एक्सप्रेसवे मार्ग पर किया जा रहा है। इस सड़क की सबसे खास बात यह है कि इसकी सतह ज्यादा मजबूत और टिकाऊ होने के साथ-साथ बेहद स्मूथ भी होगी, जिससे सफर के दौरान यात्रियों को झटके नहीं लगेंगे।
इस पहल से न सिर्फ प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल सड़कें बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित होगा। भारत में सड़क निर्माण की दिशा में एक बड़ा नवाचार होने जा रहा है। पहली बार देश में चिप्स और बिस्कुट जैसे उत्पादों के रैपर से सड़क बनाई जा रही है। इस अनोखी पहल को सेंट्रल फॉर रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। इस तकनीक के तहत रिसाइकल न होने वाले प्लास्टिक कचरे को उपयोग में लाकर सड़क का निर्माण किया जाएगा। यह सड़क दिल्ली में डीएनडी-फरीदाबाद-केएमपी एक्सप्रेसवे पर बनाई जा रही है, जिसकी लंबाई 160 मीटर होगी। इस सड़क के निर्माण में 20 टन बेकार प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाएगा।
CRRI की पहल से प्लास्टिक कचरे से बनेंगी मजबूत सड़कें
सीआरआरआई की इस पहल से न केवल प्लास्टिक कचरे की समस्या का समाधान निकलेगा, बल्कि टिकाऊ और झटकों से मुक्त सड़कों का निर्माण भी संभव होगा। यह परियोजना पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में भी एक प्रेरणादायक कदम है। प्लास्टिक कचरे का निस्तारण आज एक गंभीर वैश्विक चुनौती बन चुका है, खासकर उस प्लास्टिक का, जिसे रिसाइकल नहीं किया जा सकता। नगरपालिकाओं द्वारा इकट्ठा किया जाने वाला मिश्रित कचरा, जिसमें प्लास्टिक की थैलियां, रैपर और अन्य उपयोग न किए जा सकने वाले प्लास्टिक शामिल हैं अब एक बड़ा पर्यावरणीय संकट बनता जा रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) पिछले कुछ वर्षों से निरंतर रिसर्च कर रहा था। CRRI का उद्देश्य था कि इस तरह के गैर-रिसाइकल प्लास्टिक कचरे का ऐसा समाधान निकाला जाए, जिससे न केवल पर्यावरण की रक्षा हो, बल्कि उसका व्यावहारिक उपयोग भी हो सके।
इस तकनीक का नाम जियोसेल (Geocell)
CRRI ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे इन बेकार प्लास्टिकों का उपयोग सड़क निर्माण में किया जा सकता है। यह तकनीक न सिर्फ कचरे के निस्तारण में सहायक होगी, बल्कि मजबूत और टिकाऊ सड़कों के निर्माण को भी आसान बनाएगी। यह सफलता आने वाले समय में शहरी ठोस कचरा प्रबंधन और पर्यावरण-संरक्षण दोनों ही क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। ऐसा प्लास्टिक जो विभिन्न स्रोतों से आता है और जिसकी गुणवत्ता एक जैसी नहीं होती, उसे रीसाइकिल करना अब तक बेहद मुश्किल माना जाता था। यही मिश्रित प्लास्टिक नगरपालिका के कचरे में सबसे बड़ी चुनौती के रूप में मौजूद रहता है। लेकिन अब CRRI और BPCL की इस तकनीक से इसे एक नया जीवन मिलेगा। ‘जियोसेल’ तकनीक के तहत इन बेकार प्लास्टिकों का उपयोग सड़क निर्माण और भू-संरक्षण (geo-technical reinforcement) जैसे कार्यों में किया जा सकता है। यह न केवल प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में मददगार होगा, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल साबित होगा।
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जियोसेल तकनीक का हो चुका है ट्रायल
CRRI और टाटा प्रोजेक्ट्स ने मिलकर इन जियोसेल्स का सफल ट्रायल किया है। यह परीक्षण न केवल तकनीकी दृष्टि से सफल रहा, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि अपशिष्ट प्लास्टिक अब एक स्थायी निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पहल देश में पर्यावरणीय संतुलन और प्लास्टिक कचरे के समाधान की दिशा में एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकती है। भारत में प्लास्टिक कचरे के समाधान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के सहयोग से एक अनोखी सड़क निर्माण परियोजना की शुरुआत की है।
पहली बार बनेगी यह सड़क
इस परियोजना के तहत दिल्ली के डीएनडी-फरीदाबाद-केएमपी एक्सप्रेसवे के लूप पर देश की पहली ऐसी सड़क बनाई जा रही है, जिसमें पुराने और रिसाइकल न होने वाले प्लास्टिक का उपयोग किया जाएगा। सड़क की कुल लंबाई 160 मीटर होगी, जिसमें से 80 मीटर हिस्से में जियोसेल और शेष 80 मीटर हिस्से में प्लास्टिक मॉड्यूल का प्रयोग किया जाएगा। यह तकनीक कुल 1,280 वर्ग मीटर क्षेत्र को कवर करेगी और इसमें लगभग 20 से 25 टन प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। यह परियोजना यह दर्शाती है कि अब प्लास्टिक कचरा सिर्फ एक समस्या नहीं, बल्कि एक संसाधन भी बन सकता है। इस तकनीक के ज़रिए न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सड़कों की मजबूती और टिकाऊपन में भी सुधार होगा। यह पहला प्रयोग सफल रहने पर देशभर में कई अन्य सड़कों के लिए भी यह मॉडल अपनाया जा सकता है।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 11 July 2025 at 13:18 IST