अपडेटेड 6 July 2025 at 16:29 IST
23 दिन बाद अपनी जगह से हिला ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 जेट, अब हैंगर में हुआ शिफ्ट, मरम्मत के लिए पहुंचे ब्रिटिश एक्सपर्ट
ब्रिटिश रॉयस नेवी का F-35B लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर जेट ने 14 जून को तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग की थी अब उसे ग्राउंडेड पोजिशन से हैंगर में ले जाया गया है।
- भारत
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F-35B Fighter Jet: ब्रिटिश रॉयस नेवी का F-35B लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर जेट 14 जून से केरल के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के बे-4 पर खड़ा हुआ था, अब इस ब्रिटिश फाइटर जेट को उसके ग्राउंडेड पोजिशन से हैंगर में ले जाया जा रहा है। ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स एयरबस A400M एटलस पर सवार तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम F-35 फाइटर जेट का आकलन करने के लिए तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची है।
ब्रिटिश रॉयस नेवी का F-35B लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर जेट ने 14 जून को तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग की थी। जिसके बाद से ये फाइटर जेट तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के बे-4 पर खड़ा था। अब इसे जांच के लिए हैंगर में जाया गया है।
तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर खड़ा है F-35B
भारत ने विमान को हैंगर में शिफ्ट करने और मरम्मत में सहायता प्रदान करने की पेशकश की थी, लेकिन ब्रिटेन ने इसे शुरू में ठुकरा दिया। ब्रिटिश रॉयल नेवी ने विमान को खुले में ही रखने का फैसला किया, क्योंकि उन्हें अपनी संवेदनशील स्टील्थ तकनीक के लीक होने का डर था। जानकारी के मुताबिक, विमान को टुकड़ों में बड़े जेट में लोड करके यूनाइटेड किंगडम ले जाने की तैयारी है। C-17 ग्लोबमास्टर पर लोड करके भी एयरलिफ्ट किया जा सकता है। F-35B तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के बे-4 पर खड़ा था, जहां इसकी सुरक्षा के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवान तैनात हैं।
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F-35B की खासियत
F-35B को अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है। ये पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है। शॉर्ट टेक-ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग (STOVL) इसकी खासियत है। यह बिना कैटापुल्ट सिस्टम वाले विमानवाहक पोतों और छोटे रनवे पर भी संचालित हो सकता है। इसका डिजाइन और आंतरिक हथियार बे इसे दुश्मन के रडार से बचाने में मदद करते हैं। F-35B हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमले करने में सक्षम है। इसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम लगे हैं। इसकी कीमत लगभग 950 करोड़ रुपये है और इसकी तकनीक इतनी जटिल है कि मरम्मत के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है।
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Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 6 July 2025 at 16:29 IST