अपडेटेड 8 March 2025 at 13:24 IST
किसान परिवार से बॉक्सिंग चैंपियन तक का सफर, राम सिंह की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं
2013 में एक ऐसी घटना घटी, जिसने उनकी पूरी दुनिया हिला दी। मार्च 2013 में उनका नाम एक ड्रग केस में सामने आया 2013 में एक ऐसी घटना घटी, जिसने उनकी पूरी दुनिया हि
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राम सिंह की जीवन यात्रा किसी प्रेरक कहानी से कम नहीं है। पंजाब के एक छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियन बनने तक, और फिर एक विवाद के कारण अपने करियर को खोने के बाद उसे फिर से हासिल करना, यह सब कुछ उनके संघर्ष और हार न मानने की ताकत का परिचायक है। एक किसान परिवार से आने वाले राम ने अपनी मुश्किलों और निजी जीवन के संकटों को पार करके, बॉक्सिंग की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन की मुश्किलें कभी भी किसी की पहचान को खत्म नहीं कर सकतीं, बल्कि संघर्ष और कड़ी मेहनत के साथ हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
किसान परिवार से बॉक्सिंग के अखाड़े तक का सफर
राम सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1983 को पंजाब के पटियाला जिले के अस्मानपुर गांव में हुआ था। उनका बचपन साधारण था और उनका परिवार एक किसान परिवार था। उनके पिता रंधीर सिंह और माता गुरमेल कौर ने खेती-बाड़ी में दिन-रात मेहनत की, लेकिन राम के मन में हमेशा कुछ बड़ा करने का ख्वाब था। राम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी हाई स्कूल, नैन कलां से प्राप्त की और फिर सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, भुनारहेड़ी से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की। उनका ध्यान हमेशा खेलों में था। पहले उन्होंने कबड्डी खेला, फिर 1999 में एथलेटिक्स (हर्डल्स) में हाथ आज़माया। हालांकि, 2002 में उनकी तकदीर ने उन्हें बॉक्सिंग की ओर मोड़ लिया। उन्होंने स्कूल नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने जूनियर नेशनल्स में रजत और नेशनल गेम्स में कांस्य पदक हासिल किया।
राम सिंह की सफलता में उनका कठिन परिश्रम और मानसिक दृढ़ता प्रमुख कारक रही। एक ओर जहां उनके परिवार की परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण थीं, वहीं राम ने खेल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कभी भी कमजोर नहीं होने दिया। उन्होंने अपनी बॉक्सिंग की तकनीक में निरंतर सुधार करने के लिए कई कठिन प्रशिक्षणों को सहन किया। उनकी कड़ी मेहनत के बाद, उनकी सफलता ने उन्हें भारतीय सेना और पंजाब पुलिस दोनों से जुड़ने का अवसर दिया। यह उनका सबसे सुनहरा दौर था, जहां उन्होंने बॉक्सिंग में अपनी सफलता का परचम लहराया। 2003 से 2008 तक, उन्होंने ऑल इंडिया पुलिस गेम्स में लगातार पांच स्वर्ण पदक जीते। इसके बाद, उन्होंने 2005 में पाकिस्तान में एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता, और 2008 में सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।
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कानूनी और व्यक्तिगत संघर्षों का सामना
राम सिंह के जीवन में 2013 में एक ऐसी घटना घटी, जिसने उनकी पूरी दुनिया हिला दी। मार्च 2013 में उनका नाम एक ड्रग केस में सामने आया, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और उनका करियर पूरी तरह से रुक गया। पंजाब पुलिस से बर्खास्तगी, कोर्ट के चक्कर, और जेल की सलाखों ने उन्हें एक ऐसे दौर में धकेल दिया, जहां उनकी मेहनत और संघर्ष को कोई नहीं देख पा रहा था। इस कठिन दौर ने केवल उनके करियर को प्रभावित नहीं किया, बल्कि उनकी वित्तीय स्थिति भी खराब हो गई। उन्हें अपनी गाड़ियाँ बेचनी पड़ीं और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना पड़ा। इसके साथ ही, उन्होंने ट्रैक्टर वर्कशॉप में भी काम किया ताकि अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें। लेकिन राम ने इस मुश्किल दौर में भी हार नहीं मानी।
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उन्होंने समाना के पब्लिक कॉलेज में बॉक्सिंग कोच की नौकरी की और धीरे-धीरे खुद को फिर से खड़ा करना शुरू किया। इसके बावजूद, उनके निजी जीवन में और समस्याएँ आ गईं। उनकी पत्नी मंदीप कौर ने उन पर कई आरोप लगाए, जिससे उनके खिलाफ कानूनी मुकदमे बढ़ गए। राम सिंह का निजी जीवन और भी जटिल हो गया था। उनके ऊपर आरोप लगे और कई बार मीडिया ने उनके खिलाफ तीव्र आलोचनाएँ कीं। इसके बावजूद, राम ने कभी हार नहीं मानी। वे लगातार अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति से खुद को पुनः स्थापित करने में लगे रहे। इस कठिन दौर में उनका जीवन पूरी तरह से कोर्ट और बॉक्सिंग कोचिंग के बीच उलझकर रह गया। वे दिन में कोर्ट की सुनवाई में जाते और रात में खुद की ट्रेनिंग करते। यह समय उनके जीवन का सबसे कठिन था, लेकिन राम ने कभी हार नहीं मानी। उनकी जिजीविषा और मानसिक मजबूती ने उन्हें इस कठिन समय से उबरने का हौसला दिया।
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में सफलता
राम सिंह के लिए सबसे बड़ा सवाल था कि क्या वह फिर से बॉक्सिंग कर सकते हैं। क्या उनके मुक्कों में अब भी वही दम था? उन्होंने साबित कर दिया कि असली फाइटर वही होता है, जो गिरकर फिर से खड़ा हो और अपनी ताकत को साबित करे। 2016 में उन्होंने प्रोफेशनल बॉक्सिंग में वापसी की। उनकी पहली फाइट बेंगलुरु में हुई, जहां उन्होंने शानदार जीत हासिल की। इसके बाद, उन्हें सुपर बॉक्सिंग लीग में मुंबई असैसिंस टीम का कप्तान बनने का अवसर मिला। यह टीम अभिनेता सोहेल खान द्वारा स्पॉन्सर की गई थी। राम सिंह ने टीम के कप्तान के तौर पर कई शानदार मुकाबले खेले और अपनी टीम को जीत दिलाई। इसके अलावा, उन्होंने पंजाब, राजस्थान और हैदराबाद में भी प्रोफेशनल मुकाबले जीतकर अपने करियर को फिर से संवारना शुरू किया। राम सिंह की सबसे बड़ी जीत 2019 में हुई, जब छह साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, अदालत ने उन्हें ड्रग केस से बरी कर दिया। यह फैसला उनके लिए केवल कानूनी राहत नहीं था, बल्कि उनके खोए हुए सम्मान को भी वापस पाने का मौका था। इसके बाद, उन्होंने पंजाब पुलिस में बहाली के लिए भी अपील की और अपने करियर को नई दिशा देने की ओर कदम बढ़ाए।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 8 March 2025 at 13:24 IST