अपडेटेड 23 November 2025 at 11:27 IST
मां के दूध में कैंसर वाला जहर! नवजात बच्चों की 'पहली बूंद' तक कैसे पहुंचा यूरेनियम? बिहार के 6 जिलों में हड़कंप
Breast Milk: साइंस जर्नल नेचर में छपी स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। बिहार के 6 जिलों में स्तनपान कराने वाली महिला के दूध में यूरेनियम पाया गया है।
- भारत
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Bihar news: नवजात शिशु का सबसे पहला और सर्वोत्तम आहार मां का दूध होता है। ये शिशु की सभी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करता है और इसमें एंटीबॉडी होते हैं, जो उसे संक्रमण से बचाने में मदद करता हैं।
ऐसे में जिस मां के दूध को शिशु के लिए सबसे पौष्टिक आहार माना जाता है, उसी में अगर जहर घुलने लगे, फिर क्या होगा। बिहार से एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है, जिसके मुताबिक भूजल प्रदूषण की समस्या नवजात बच्चों की पहली बूंद तक पहुंच रही है।
दरअसल, बिहार के 6 जिलों में एक स्टडी हुई, जिसमें स्तनपान कराने वाली महिला के दूध में यूरेनियम पाए जाने का खुलासा हुआ है। ये स्टडी प्रतिष्ठित साइंस जर्नल नेचर में छपी है।
स्टडी में इन 6 जिले की महिलाओं को किया शामिल
पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के डॉक्टर अरुण कुमार और प्रोफेसर अशोक घोष के नेतृत्व में नई दिल्ली AIIMS के डॉक्टर अशोक शर्मा की मदद से एक स्टडी की गई, जिसमें अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच अध्ययन हुआ। स्टडी में 6 जिले भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा में 17 से 35 साल की 40 महिलाओं के स्तन दूध के सैंपल की जांच हुई, जिसमें चौंकाने वाली बात निकलकर सामने आई।
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स्टडी के मुताबिक, इन सभी सैंपल्स में यूरेनियम (U238) पाया गया। यूरेनियम की मात्रा 0 से 5.25 g/L तक रिपोर्ट की गई है। जान लें कि स्तन के दूध में यूरेनियम की कोई स्वीकार्य सीमा नहीं है।
खगड़िया में सबसे ज्यादा औसत संदूषण दर्ज हुआ, वहीं नालंदा में सबसे कम। कटिहार में सबसे ज्यादा प्रदूषण स्तर दर्ज किया गया। लगभग 70% शिशुओं को संभावित गैर-कैंसरजन्य स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़े जोखिम स्तरों का सामना करना पड़ा।
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कैसे पहुंचा यूरेनियम?
AIIMS के सह-लेखक डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि संदूषण का स्रोत अभी भी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा, "हमें अभी तक यूरेनियम का स्रोत नहीं पता है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भी इसका पता लगाने की कोशिश कर रहा है। दुर्भाग्य से, यूरेनियम खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करता है और कैंसर, तंत्रिका संबंधी विकारों का कारण बनता है। इससे बच्चों के विकास को प्रभावित करता है, जो एक बहुत ही गंभीर चिंता का विषय है।"
इसके बावजूद एक्सपर्ट्स का यही मानना है कि माताओं को बच्चे को दूध पिलाना बंद नहीं करना चाहिए। ये बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता और विकास के लिए जरूरी है।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 23 November 2025 at 11:26 IST