अपडेटेड 26 February 2025 at 22:33 IST

Bihar: OBC के 3, अति पिछड़ा वर्ग से 2 और जनरल 2... चुनाव से पहले नीतीश कैबिनेट विस्तार से NDA ने कैसे साधे जातीय समीकरण?

Bihar News: बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। बिहार का विधानसभा चुनाव हमेशा से ही जातिवाद के मुद्दे पर लड़ा जाता रहा है।

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Bihar Cabinet Expansion
नीतीश कैबिनेट विस्तार से NDA ने कैसे साधे जातीय समीकरण? | Image: ANI

Bihar Cabinet Expansion : पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार दौरे के दौरान नीतीश कुमार को लाडला मुख्यमंत्री कहा, उसके अगले ही दिन BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, नीतीश कुमार से मुलाकात कर बता रहे थे कि कुछ ना कुछ तो खिचड़ी पक रही है। क्योंकि बिहार में चुनाव जो है। नीतीश बाबू के बारे में कहा जाता है वो चुनाव के वक्त पाला बदल लेते हैं, लेकिन इस बार वो पाला बदलने की सोचते उससे पहले ही बीजेपी ने उन्हें मैसेज दे दिया है कि चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

बीजेपी ने दिल्ली जीत के बाद बिहार की तरफ अपना विजयरथ मोड दिया है। जिसका नेतृत्व खुद पीएम मोदी ही कर रहे हैं। ये बिहार में विरोधी पक्ष के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए साल भर से भी कम समय बचा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को अपनी मंत्रिपरिषद में 7 नए चेहरों को शामिल किया। ये सभी गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से हैं। इस कैबिनेट विस्तार के NDA ने बिहार में जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है।

कैसे साधे जातीय समीकरण?

इस मंत्रिमंडल विस्तार को बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले समाज के सभी वर्ग को मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व दिए जाने के एक प्रयास के रूप देखा जा रहा है। बिहार का चुनाव हमेशा से ही जातिवाद के मुद्दे पर लड़ा जाता रहा है। बिहार चुनाव में आजतक सबसे अहम जाति कार्ड देखा गया है। वहीं कार्ड मंत्रिमंडल विस्तार कर बीजेपी ने सबसे पहले खेल दिया है।

  • कृष्ण कुमार मंटू- कुर्मी
  • विजय मंडल - केवट
  • राजू सिंह - राजपूत
  • संजय सरावगी - मारवाडी
  • जीवेश मिश्रा - भूमिहार
  • सुनील कुमार - कोइरी
  • मोती लाल प्रसाद - तेली वैश्य

नए मंत्रियों में से दो, जीवेश मिश्रा (भूमिहार) और राजू कुमार सिंह (राजपूत) उच्च जातियों से हैं, जो बिहार में आबादी का 10 प्रतिशत से अधिक हैं। इन्हें दशकों से BJP का सबसे वफादार मतदाता माना जाता है।

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इसके अलावा, सुनील कुमार को छोड़कर सभी गंगा के उत्तर क्षेत्र से आते हैं। इस क्षेत्र में NDA के मुकाबले राष्ट्रीय जनता दल ( RJD ) कांग्रेस और वाम दलों के गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर रहा है। मंत्रिपरिषद में नए चेहरों को ऐसे दिन शामिल किया गया जब प्रदेश BJP अध्यक्ष और पूर्व राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने पार्टी की ‘‘एक व्यक्ति, एक पद’’ की नीति का हवाला देते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।

अब नहीं बन सकता एक भी नया मंत्री

इस मंत्रिमंडल विस्तार को बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले समाज के सभी वर्ग को मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व दिए जाने के एक प्रयास के रूप देखा जा रहा है।  7 नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल करने के साथ ही मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या बढ़कर 36 हो गई है। बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीट हैं। नियमों के अनुसार सदन की कुल सीट का 15 प्रतिशत ही मंत्री हो सकते हैं। इस लिहाज से राज्य मंत्रिपरिषद में अधिकतम 36 मंत्री ही हो सकते हैं। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 26 February 2025 at 22:29 IST