अपडेटेड 12 December 2025 at 14:10 IST

Rohini Acharya: परिवार से नाता तोड़ने वाली रोहिणी आचार्य का छलका 'मायके वाला दर्द' तो JDU बोली- उनका हक है कि वह CM नीतीश के पास आएं और...

RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य का मायके छोड़ने का दर्द एक बार फिर छलका है। उन्होंने नीतीश सरकार से बड़ी मांग भी की है जिसपर JDU की प्रतिक्रिया आई है।

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रोहिणी आचार्य के समर्थन में उतरी JDU | Image: X/ANI

RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक बार फिर बेटियों के अधिकार को लेकर सवाल उठाया है। रोहिणी ने वर्तमान नीतीश सरकार की महिला सशक्तीकरण के लिए किए जा रहे कामों की तारीफ तो की है, मगर उन्हें इस पर सवाल भी उठाया। उन्होंने बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग भी की है। अब रोहिणी आचार्य की इस मांग पर JDU की प्रतिक्रिया आई है।

रोहिणी आचार्य ने गुरुवार को महिला सशक्तीकरण को लेकर अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लंबा-चौड़ा पोस्ट किया। इस पोस्ट में कहीं न कहीं रोहिणी का दर्द भी झलक रहा था। लालू प्रसाद यादव की बेटी ने कहा कि बेटियों के लिए मायका एक सुरक्षित स्थान होना चाहिए, जहां वो बेहिचक कभी भी आ और जा सकती है। अब पूरे मामले पर JDU की प्रतिक्रिया आई है।

रोहिणी को नीतीश से गुहार लगाने का हक है- नीरज कुमार

JDU नेता नीरज कुमार ने RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के बयान पर कहा, "रोहिणी आचार्य ने अपमान झेला है और अभी तक लालू प्रसाद यादव की जुबान और उनका ट्विटर खामोश है। देश और दुनिया में बेटी का सम्मान होता है और बिहार में बेटी को सम्पत्ति में भी बराबर का हक मिलता है। यह बिहार की बेटी का सवाल है। रोहिणी आचार्य को हक है कि वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार करें। हम किसी को भाषाई हिंसा भी नहीं करने देंगे।"

रोहिणी ने नीतीश सरकार की योजना पर क्या है?

रोहिणी ने अपने पोस्ट में लिखा है- लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिलें बांटना, भले ही नेक इरादे से किया गया हो, लेकिन ये भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा डालने वाले व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के मद्देनजर अपर्याप्त है। सरकार और समाज का यह प्रथम दायित्व होना चाहिए कि वह बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए, खासकर सामाजिक और पारिवारिक उदासीनता के मद्देनजर l

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मायका बेटियों के लिए सुरक्षित स्थान होना चाहिए-रोहिणी

बिहार में गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक मानसिकता सामाजिक और राजनीतिक, दोनों क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता पैदा करती है। प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार है कि उसका मायका एक ऐसा सुरक्षित स्थान है ,जहां वह बिना किसी डर, अपराधबोध, शर्म या किसी को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना लौट सकती है। इस उपाय को लागू करना केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं है, बल्कि अनगिनत महिलाओं को भविष्य में होने वाले शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 12 December 2025 at 14:10 IST