अपडेटेड 7 July 2025 at 14:56 IST
Bihar Election: '15-20% लोग लिस्ट से गायब हो सकते हैं...', चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पर बवाल के बीच विपक्ष पहुंचा चुनाव आयोग फिर क्या हुआ?
बिहार में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब AIMIM प्रमुख ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया है।
- भारत
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बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। तारीखों की घोषणा से पहले राज्य में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान को लेकर सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्ष आयोग के इस फैसले के खिलाफ खड़ी है। इसे लेकर INDIA गठबंधन की दस प्रमुख पार्टियों ने दिल्ली में 5 जुलाई को मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात भी की थी। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस 'विशेष गहन पुनरीक्षण' अभियान को लेकर सवाल उठाया है।
बिहार में मतदाता सूची के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (Special Intensive Revision) कराने के अभियान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट में मामले की सुनवाई 10 जुलाई को होगी। वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन(S.I.R) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कहा, "हम अपनी पार्टी में बैठकर चर्चा करेंगे और इस पर फैसला लेंगे। हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि इतने कम समय में आप S.I.R. कैसे कर पाएंगे, आप उन लोगों का जन्म प्रमाण पत्र क्यों मांग रहे हैं जिन्होंने अपना पता बदल लिया है, जो अब कहीं और चले गए हैं।
जल्दबाजी में 15-20% लोगों के भी नाम छूट सकते हैं-ओवैसी
ओवैसी ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में कुछ नहीं हुआ, रोजगार नहीं है, इसलिए लोग मजबूरी में बाहर गए। हमने ये सारी समस्याएं चुनाव आयोग के सामने रखी हैं। अगर जल्दबाजी में 15-20% लोगों के भी नाम छूट गए तो ये नागरिकता का मामला बन जाएगा। इसलिए हम कहते हैं कि हम S.I.R. के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन समय तो दीजिए। मैंने चुनाव आयोग से भी पूछा कि इतने कम समय में ये कैसे होगा।
तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप
वहीं, बिहार में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन(S.I.R) पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, 5 जुलाई को हमने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी और उनके समक्ष अपने सवाल रखे थे। चिंता की बात यह है कि हमें अभी तक चुनाव आयोग से कोई स्पष्टता नहीं मिली है। आप सभी जानते हैं कि बिहार चुनाव आयोग केवल डाकघर के रूप में काम करता है और उसके पास जवाब देने का कोई अधिकार नहीं है। कल चुनाव आयोग ने तीन अलग-अलग निर्देश जारी किए। इससे साबित होता है कि चुनाव आयोग भ्रमित है।
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विपक्ष क्यों कर रहा है S.I.R. का विरोध
बता दें कि विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं है। विपक्षी दलों का आरोप है कि बिहार में 20 फीसदी आबादी मुख्यतः दलित, पिछड़े, गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय से आती है। जो परंपरागत रूप से विपक्ष का समर्थन करते हैं। नेताओं का मानना है कि यह मतदाता सूची से उनके नाम हटाने की एक सोची-समझी रणनीति है, जिससे सत्तारूढ़ पक्ष को चुनावी लाभ मिल सके। विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं बनाया, तो वे सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन करेंगे।
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 7 July 2025 at 14:56 IST