अपडेटेड May 7th 2025, 17:07 IST
22 अप्रैल को जब कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने एक वीभत्स आतंकी हमले में 26 निर्दोष भारतीय पर्यटकों की हत्या कर दी, तभी से देश का खून खौल रहा था। यह हमला केवल जानलेवा नहीं था, बल्कि उसने दर्जनों महिलाओं के सुहाग को भी छीन लिया। टूटे घरों, रोती मांगों और बुझी हुई आंखों ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस दर्द और क्रोध की अग्नि ने बिहार के हाजीपुर की महिलाओं को भी जला दिया। उन्होंने संकल्प लिया, 'जब तक हमारी बहनों का सिंदूर बहाने वालों को मिटा नहीं दिया जाता, तब तक हम खुद भी मांग में सिंदूर नहीं भरेंगी।' और फिर 6 मई की रात को आया इंडियन ऑर्मी का जवाब मंगलवार आधी रात को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमला किया।
इंडियन ऑर्मी ने महज 25 मिनट में 9 आतंकी अड्डे नेस्तनाबूद कर दिए गए। सबसे बड़ा झटका बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को तबाह कर दिया गया, जिसमें उसके ट्रेनिंग कैंप, जिम और हथियार डिपो पूरी तरह नष्ट हो गए। जैसे ही ये खबर हाजीपुर पहुंची, वहां उदासी में डूबी महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान लौट आई। उन्होंने एक-दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाया और कहा,"यह सिर्फ बदला नहीं था, यह सम्मान की वापसी थी।" एक ऑपरेशन, जो सिर्फ सीमाओं पर नहीं लड़ा गया यह दिलों में भी जीता गया 'ऑपरेशन सिंदूर' अब सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन गया है, हर उस स्त्री की जीत का, जो दर्द में भी शक्ति बन जाती है। भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि वह न सिर्फ सहन कर सकता है, बल्कि सटीक प्रहार भी कर सकता है।
कश्मीर के पहलगाम में 26 भारतीयों की निर्मम हत्या के बाद जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, तो पूरे देश में गूंजा एक ही नाम,'ऑपरेशन सिंदूर'। इस जवाबी कार्रवाई के बाद, हाजीपुर के गांधी आश्रम में एक बेहद भावुक और गौरवपूर्ण दृश्य सामने आया। यहां की महिलाओं ने पारंपरिक 16 श्रृंगार कर एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और इसे 'सिंदूर पर्व' के रूप में मनाया। यह कोई साधारण उत्सव नहीं था। यह उन आंसुओं का जवाब था, जो पहले देश की बेटियों की आंखों से आतंक के कारण छलके थे। बिहार के हाजीपुर में महिलाओं ने भावुक स्वर में कहा,'आज हमारे दिल को सुकून मिला है। जिन हाथों ने हमारे सुहाग को उजाड़ा था, उन्हें सेना ने मिटा दिया। और यह सब मुमकिन हो पाया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और सेना की वीरता से।' उन्होंने कहा कि देश की सेना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने न केवल आतंक का जवाब दिया बल्कि हर पीड़ित महिला के आत्मसम्मान की रक्षा भी की।
‘सिंदूर पर्व’ अब सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं रहा, बल्कि यह बन गया है देशभक्ति, वीरता और न्याय की जीत का प्रतीक। हाजीपुर की ये महिलाएं आज पूरे देश की उन महिलाओं की आवाज़ बन गई हैं, जो हर हाल में देश के साथ खड़ी हैं। कई महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की रक्षा और शौर्य का प्रतीक दर्शाया। उनके लिए सिंदूर सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि उस दर्द और गर्व की पहचान बन गया, जो उन्होंने आतंकियों की बर्बरता के बाद महसूस किया। वे याद करती हैं उस काली घड़ी को, जब आतंकवादियों ने उनके सामने ही उनके पतियों को बेरहमी से मार डाला और कहा, 'जाकर मोदी जी को बता दो।' लेकिन उस चुनौती का जवाब भी उसी प्रतीक 'सिंदूर' से दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकवादियों के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया और करारा बदला लिया। डॉक्टर अर्चना बताती हैं, 'उन्होंने हमारे 26 लोगों को मारा, लेकिन हमने उनके 90 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया।'
पब्लिश्ड May 7th 2025, 17:07 IST