अपडेटेड May 3rd 2025, 14:57 IST
Asaduddin Owaisi Bihar: दिल्ली नहीं तो बिहार सही, 2025 में असदुद्दीन ओवैसी की कोशिश देश के मौजूदा राजनीतिक हालातों में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की है। दिल्ली में दो सीटों पर ओवैसी को भले जीत नहीं मिली, लेकिन जहां उम्मीदवार उतारे पार्टी के लिए अच्छे खासे वोट आए। अब AIMIM के प्रमुख ओवैसी की नजर बिहार चुनाव पर है, जहां वो पहले भी अपना कमाल दिखा चुके हैं।
बिहार में जैसे बीजेपी, कांग्रेस, राजद-जदयू एक्टिव हैं, ठीक वैसे ही असदुद्दीन ओवैसी ने अपने नेताओं को चुनावी प्लान के साथ एक्टिव कर लिया है और अब खुद बिहार जाकर इस प्लान को आगे बढ़ाने के लिए राज्य में पहुंचे हैं। शुक्रवार को असदुद्दीन ओवैसी ने किशनगंज से बिहार दौरे की शुरुआत की और शनिवार को बहादुरगंज में चुनावी कार्यक्रम रखा। अगले दिन यानी 4 मई को मोतिहारी और उसी दिन गोपालगंज में असदुद्दीन ओवैसी AIMIM कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे। मतलब स्पष्ट है कि ओवैसी ने चुनाव में AIMIM के लिए चुनावी बिगुल फूंक दिया है।
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने बिहार दौरे का कार्यक्रम ऐसा तरह रखा है कि वो सीमांचल से लेकर मिथिलांचल को कवर करते हुए निकलेंगे। सीमांचल में किशनगंज, अररिया, कटिहार जैसे जिले आते हैं, जहां मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है। सिर्फ किशनगंज में ही तकरीबन 67 फीसदी मुस्लिम आबादी बताई जाती है। सीमांचल के साथ-साथ उससे सटा मिथिलांचल भी ओवैसी के लिए अहम हो जाता है। बिहार के 7 जिले मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी और सहरसा मिथिलांचल में आते हैं। मिथिलांचल में भी कुछ ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स बेहद खास भूमिका अदा करते हैं। ओवैसी सीधे तौर पर मुस्लिम बाहुल्य सीटों को टारगेट करेंगे।
2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार के अंदर असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी छाप छोड़ी। 18 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिनमें से 5 जिताऊ साबित हुए और यही ओवैसी के लिए बड़ी जीत रही। वो इसलिए कि पहली बार ओवैसी ने बिहार में चुनाव लड़ा था और उसके बावजूद 5 सीटें जीतकर आना बड़ी सफलता माना जा सकता है। बिहार में कुल मुस्लिम आबादी 18 प्रतिशत के आसपास है, जिसका फायदा असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम पक्ष की राजनीति करके इस बार भी उठाना चाहेंगे।
हालांकि ओवैसी की मजबूती बिहार में महागठबंधन के लिए मुसीबत साबित हो रही है। ऐसा इसलिए कि राजद की राजनीति में मुस्लिम एक बड़ा फैक्टर हैं। लालू से लेकर तेजस्वी यादव तक राजद के नेता अक्सर मुस्लिम पक्ष की राजनीति करते दिखते रहे हैं। कांग्रेस भी इस काम में पीछे नहीं रहती है, जिसका राजद के साथ ही राज्य में गठबंधन है। मसलन ओवैसी की ओर से मुस्लिम वोट को अपनी ओर खींचने से राजद-कांग्रेस के लिए बड़ा संकट 2025 के चुनाव में फिर हो सकता है।
पब्लिश्ड May 3rd 2025, 14:57 IST