अपडेटेड 10 July 2025 at 13:00 IST
बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन मामले पर SC में सुनवाई, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा- चुनाव आयोग की शक्ति को चुनौती दे रहे हैं?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। विपक्ष दलों की याचिका पर कोर्ट मे सुनवाई हो रही है।
- भारत
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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण (S.I.R.) का मुद्दा गहरा गया है। इसके विरोध में विपक्षों दलों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। विपक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज, 10 जुलाई को सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉय माल्य बागची शामिल हैं, मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने दलीलें रखीं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि चुनाव आयोग गलत कर रहा है, इस आप साबित कीजिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह भारत निर्वाचन आयोग की ओर से उपस्थित हुए हैं। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति धूलिया ने याचिकाकर्ता से कहा, चुनाव आयोग जो कर रहा है वह संविधान के तहत अनिवार्य है। आप यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कुछ कर रहे हैं जो संविधान के तहत अनिवार्य नहीं है। उन्होंने एक जनवरी 2003 की तारीख तय की है क्योंकि गहन अभ्यास किया जा चुका है। उनके पास इसके आंकड़े हैं। वे फिर से अपना सिर क्यों खुजाएं? चुनाव आयोग के पास इसके पीछे एक तर्क है।
कपिल सिब्बल ने बताया SIR पर आपत्ति क्यों?
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जवाब में कहा कि चुनाव आयोग के पास इसमें कोई शक्ति नहीं है। वे कौन होते हैं यह कहने वाले कि हम नागरिक हैं या नहीं? ये वे लोग हैं जो नागरिक के रूप में पंजीकृत नहीं हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो पंजीकृत हैं और जिन्हें केवल धारा 3 के तहत ही हटाया जा सकता है। इसलिए यह पूरी प्रक्रिया चौंकाने वाली है। वे कहते हैं कि अगर आप फॉर्म नहीं भरते हैं तो आप वोट नहीं दे सकते। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? जिम्मेदारी उन पर है, मुझ पर नहीं। उनके पास यह साबित करने के लिए कोई सामग्री होनी चाहिए कि मैं नागरिक नहीं हूं! मुझ पर नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से किए ये सवाल
जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से सवाल किया, क्या यह देखना उनका अधिकार नहीं है कि योग्य लोग वोट दें और अयोग्य लोग वोट न दें? याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब जबकि चुनाव कुछ ही महीनों दूर हैं, चुनाव आयोग कह रहा है कि वह 30 दिनों में पूरी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करेगा। उन्होंने कहा कि वे आधार को मान्य नहीं करेंगे और वे माता-पिता के दस्तावेज भी मांग रहे हैं। वकील का कहना है कि यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण है।
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 10 July 2025 at 12:53 IST