अपडेटेड 17 May 2025 at 14:42 IST
Bhangarh Fort: शाम होते ही जाग जाती हैं आत्माएं, एक राजकुमारी के हुस्न ने भानगढ़ को बना दिया 'भूतिया किला'? जानिए पूरी कहानी
भानगढ़ किला 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस किले का निर्माण मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने करावाया था। राजा माधो सिंह उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे।
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Bhangarh Fort Story In Hindi: पुराने किले, मौत, अतीत और रूहों का अपना एक अलग ही संबंध और संयोग होता है। ऐसी कोई जगह जहां मौत का साया बनकर रूहें घूमती हों उन जगहों पर इंसान अपने डर पर काबू नहीं कर पाता, और एक अजीब दुनिया के सामने जिसके बारें में उसे कोई अंदाजा नहीं होता, अपने घुटने टेक देता है। दुनिया भर में कई ऐसे पुराने किले हैं जिनका अपना एक अलग ही काला अतीत है। वहां आज भी रूहों का वास है। दुनिया में ऐसी जगहों के बारें में लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम ही लोग होते हैं, जो इनसे रूबरू होने की हिम्मत रखतें है। जैसे हम दुनिया में अपने होने या ना होने की बात पर विश्वास करतें हैं वैसे ही हमारे दिमाग के एक कोने में इन रूहों की दुनिया में होने का भी आभास होता है। कुछ ऐसा ही एक किलें के बारे में आज आपको बताएंगे जो अपने सीने में शानदार बनावट के साथ-साथ एक डरावना अतीत भी छुपाए हुए है। जी हां हम बात कर रह हैं राजस्थान के भानगढ़ किले के बारे में जहां सूरज डूबते ही रूहों का कब्जा हो जाता है और शुरू हो जाता है मौत का तांडव।
आपको बता दें कि भानगढ़ किला 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस किले का निर्माण मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने करावाया था। राजा माधो सिंह उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे। उस समय भानगढ़ की जनसंख्या तकरीबन 10,000 थी। भानगढ़ अल्वर जिले में स्थित एक शानदार किला है जो कि बहुत ही विशाल आकार में तैयार किया गया है। चारों तरफ से पहाड़ों से घिरे इस किले में बेहतरीन शिल्पकलाओं का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा इस किले में भगवान शिव, हनुमान की अति प्राचीन मंदिर है। भानगढ़ किला देखने में जितना शानदार है उसका अतीत उतना ही भयानक।
राजकुमारी रत्नावती पर पड़ी काले जादूगर की नजर
भानगढ़ किले के बारें में प्रसिद्ध एक कहानी के अनुसार वहां की राजकुमारी रत्नावती जो कि नाम के ही अनुरूप बेहद खुबसुरत थी। उस समय उनके रूप की चर्चा पूरे राज्य में थी और दुनिया के कोने-कोने के राजकुमार उनसे विवाह करने के इच्छुक थे। उस समय उनकी उम्र महज 18 वर्ष ही थी। उसी दौरान वो एक बार किले से अपनी सहेलियों के साथ बाजार में निकली थीं। राजकुमारी रत्नावती एक इत्र की दुकान पर पहुंची और वो इत्रों को हाथों में लेकर उसकी खुशबू ले रही थीं।
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उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूरी एक सिंघीया नाम व्यक्ति खड़ा होकर उन्हे बहुत ही गौर से देख रहा था। सिंघीया उसी राज्य में रहता था और वो काले जादू का महारथी था। ऐसा बताया जाता है कि वो राजकुमारी के रूप का दिवाना था और उनसे प्रगाण प्रेम करता था। वो किसी भी तरह राजकुमारी को हासिल करना चाहता था। इसलिए उसने उस दुकान के पास आकर एक इत्र के बोतल जिसे रानी पसंद कर रही थी उसने उस बोतल पर काला जादू कर दिया जो राजकुमारी के वशीकरण के लिए था।
तांत्रिक ने दिया शाप और फिर आत्माएं करने लगी वास
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राजकुमारी रत्नावती ने उस इत्र के बोतल को उठाया, लेकिन उसे वही पास के एक पत्थर पर पटक दिया। पत्थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गया और सारा इत्र उस पत्थर पर बिखर गया। इसके बाद से ही वो पत्थर फिसलते हुए उस तांत्रिक सिंघीया के पीछे चल पड़ा और तांत्रिक को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि इस किले में रहने वाले सभी लोग जल्द ही मर जायेंगे और वो दोबारा जन्म नहीं ले सकेंगे।
ताउम्र उनकी आत्माएं इस किले में भटकती रहेंगी। उस तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों के बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच युद्व हुआ जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गए। यहां तक की राजकुमारी रत्नावती भी उस शाप से नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गयी। एक ही किले में एक साथ इतने बड़े कत्लेआम के बाद वहां मौत की चीखें गूंज गयी और आज भी उस किले में उनकी रूहें घुमती हैं।
सूरज ढ़लने के बाद जाने पर मनाही, जाग जाती हैं आत्माएं
फिलहाल इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। एएसआई ने सख्त हिदायत दे रखा है कि सूर्यास्त के बाद इस इलाके किसी भी व्यक्ति के रुकने के लिए मनाही है। इस किले में जो भी सूर्यास्त के बाद गया वो कभी भी वापस नहीं आया है। कई बार लोगों को रूहों ने परेशान किया है और कुछ लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा है। एक बार भारतीय सरकार ने अर्धसैनिक बलों की एक टुकड़ी यहां लगायी थी ताकि इस बात की सच्चाई को जाना जा सके।
लेकिन वो भी असफल रही। कई सैनिकों ने रूहों के इस इलाके में होने की पुष्टि की थी। इस किले में आज भी जब आप अकेले होंगे तो तलवारों की टनकार और लोगों की चीख को महसूस कर सकतें है। इसके अलावा इस किले के भीतर कमरों में महिलाओं के रोने या फिर चुडि़यों के खनकने की भी आवाजें साफ सुनी जा सकती हैं। किले के पिछले हिस्से में जहां एक छोटा सा दरवाजा है उस दरवाजें के पास बहुत ही अंधेरा रहता है कई बार वहां किसी के बात करने या एक विशेष प्रकार के गंध को महसूस किया गया है। वहीं किले में शाम के वक्त बहुत ही सन्नाटा रहता है और अचानक ही किसी के चिखने की भयानक आवाज इस किलें में गूंज जाती है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 17 May 2025 at 14:39 IST