अपडेटेड 22 January 2025 at 11:34 IST

Beti Bachao Beti Padhao: कितना सफल रहा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान...क्या था उद्देश्य, कब और कहां से हुई शुरुआत? जानिए सब कुछ

Beti Bachao Beti Padhao: 10 बरस पहले 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की शुरुआत हुई। 22 जनवरी 2025 को इस अभियान ने अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं।

Follow : Google News Icon  
beti bachao beti padhao 10th anniversary
beti bachao beti padhao 10th anniversary | Image: PTI

Beti Bachao Beti Padhao: बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, एक ऐसा अभियान जो हर गांव-कस्बे तक पहुंचा और इसका समाज में असर भी दिखा। ना सिर्फ बाल लिंग अनुपात में सुधार हुआ, बल्कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान ने ये सुनिश्चित करने के लिए सही माहौल बनाया कि बेटियों को शिक्षा और अपने सपनों को हासिल करने के अवसरों तक पहुंच मिले। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सफल अभियानों में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' कैंपेन भी शामिल है।

आज से ठीक 10 बरस पहले 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की शुरुआत हुई। 22 जनवरी 2025 को इस अभियान ने अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं। इसे जश्न के तौर पर फिलहाल सरकार मना रही है। बकायदा कार्यक्रम रखे गए हैं, जो राज्य और जिला स्तर पर भी आयोजित किए जाएंगे। फिलहाल यहां इस अभियान के उद्देश्य और उसमें सफलता की बात करते हैं।

कहां से शुरू हुआ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान?

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत जिले से हुई। पीएम मोदी ने भारत में लिंग असंतुलन और घटते बाल लिंग अनुपात को खत्म करने उद्देश्य से अभियान को शुरू किया था, जो अपने नीतिगत पहल से राष्ट्रीय आंदोलन में बदला। पीएम मोदी कहते हैं कि पिछले एक दशक में ये लोगों की तरफ से संचालित एक परिवर्तनकारी पहल बन गई है और इसने सभी क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी को आकर्षित किया है। पीएम मोदी उन लोगों की सराहना भी करते हैं, जिन्होंने आंदोलन को जमीनी स्तर पर जीवंत बनाया है।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान कितना सफल?

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक, जन्म के समय राष्ट्रीय लिंग अनुपात जो 2014-15 में 918 था, वो 2023-24 में सुधरकर 930 हुआ। माध्यमिक स्तर पर लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 2014-15 में 75.51 फीसदी था, जो 2023-24 में सुधरकर 78 प्रतिशत पहुंचा। संस्थागत प्रसव 61 फीसदी से बढ़कर 97.3 फीसदी पर आया और पहली तिमाही में प्रसवपूर्व देखभाल पंजीकरण 61 फीसदी से बढ़कर 80.5 प्रतिशत तक पहुंचा, जो अभियान की सफलता को बताता है।

Advertisement

पढ़ाई के मामले में बात की जाए तो पिछले कुछ सालों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ने महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक, स्कूल न जाने वाली 1 लाख से अधिक लड़कियों का फिर से नामांकन हुआ। टीवी शो के साथ सहयोग करके बालिकाओं को छोड़े जाने के बारे में जागरुकता बढ़ाने जैसी पहल की गईं। कौशल पर राष्ट्रीय सम्मेलन के जरिए बेटियां बनें कुशल, अभियान चलाए गए। फिलहाल बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का ये 10 साल का सफर एक विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी दिखाता है।

अभियान को आगे बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम

इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से विशेष कार्यक्रम आयोजित होने वाले हैं। 22 जनवरी 2025) को दिल्ली के विज्ञान भवन में उद्घाटन समारोह है, जिसके बाद 8 मार्च 2025 तक विशेष कार्यक्रम जगह-जगह आयोजित होंगे और समापन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर होगा। मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति पोर्टल का भी इस दौरान शुभारंभ किया जाना है।

Advertisement

यह भी पढ़ें: बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के 10 साल, पीएम मोदी ने रख दिया एक और संकल्प

Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 22 January 2025 at 11:34 IST