अपडेटेड 2 April 2025 at 15:19 IST
समय के साथ हम नहीं चले तो फिर दुनिया की दौड़ में...वक्फ बिल का समर्थन कर बाबूलाल मरांडी ने विपक्ष पर बोला हमला
बाबूलाल मरांडी ने विपक्ष के विरोध पर कहा, "विपक्ष हर किसी बिल का विरोध करता है। तीन तलाक जैसी कुप्रथा जो मुस्लिम देशों में भी नहीं है, उसका भी विरोध किया गया।
- भारत
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लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया गया। किरेन रिजिजू ने प्रश्नकाल के बाद दोपहर इसे सदन में चर्चा के लिए पेश किया। स्पीकर ओम बिरला ने बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तय किया है। इसमें से NDA को 4 घंटे 40 मिनट दिए गए हैं, बाकी वक्त विपक्ष को मिला है। लोकसभा में चर्चा के बीच राजनेताओं की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है। वक्फ संशोधन विधेयक पर झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, समय के साथ यदि हम चलना नहीं सीखते हैं तो फिर व्यक्ति दुनिया की दौड़ में पिछड़ जाता है। कोई भी समाज या राष्ट्र समय के साथ चलना चाहिए और इसलिए आज केंद्र सरकार जो वक्फ बिल पेश कर रही है, मैं समझता हूं कि सभी लोग उसका समर्थन करेंगे और उसे पास करवाएंगे।"
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, "विपक्ष हर किसी बिल का विरोध करता है। तीन तलाक जैसी कुप्रथा जो मुस्लिम देशों में भी नहीं है, उसका भी विरोध किया गया। आज मुस्लिम समाज में कई सारे धर्म गुरू हैं जो इसकी लंबे समय से मांग कर रहे थे और आज वे इसका समर्थन भी कर रहे हैं।"
सबसे बड़ी ईदी है- वक्फ संशोधन विधेयक को मोहसिन रजा ने बताया सबसे बड़ी ईदी
वहीं लोकसभा में वक्फ बिल पेश किए जाने से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मोहसिन रजा ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन पारित होना हाशिए पर पड़े मुसलमानों के लिए सबसे बड़ी "ईदी" होगी। रजा ने एएनआई से कहा, "देश के सभी दलित और पिछड़े मुस्लिम भाइयों और बहनों की ओर से मैं इस वक्फ संशोधन विधेयक के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करता हूं। यह पिछड़े मुसलमानों के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सबसे बड़ी 'ईदी' होगी।"
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बिल पेश कर क्या बोले किरेन रिजिजू
लोकसभा में बिल पेश कर किरेन रिजिजू ने कहा कि इससे अधिक संख्या में आजतक किसी भी बिल पर लोगों की याचिकाएं नहीं आईं। 284 डेलिगेशन ने अलग-अलग कमेटी के सामने अपनी बात रखी है। 25 राज्यों के वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा। पॉलिसी मेकर्स, विद्वानों ने भी अपनी बात कमेटी के सामने रखी हैं। इस बिल का पॉजिटिव सोच के साथ विरोध करने वाले भी समर्थन करेंगे। यह प्रस्ताव खुले मन से पॉजिटिव नोट के सामने पेश कर रहा हूं। किसी ने असंवैधानिक बताया तो किसी ने नियमविरुद्ध। जब पहली बार ये प्रस्ताव सदन में पेश किया गया था 1913 में, उसके बाद जब दोबारा एक्ट पास किया गया था। 1930 में एक्ट लाया गया था।
आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार आजाद भारत का एक्ट बना और उसी में राज्य के बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था। 1995 में व्यापक रूप से एक्ट बना। उस समय किसी ने इसे असंवैधानिक, नियमविरुद्ध नहीं कहा। आज हम जब ये बिल ला रहे तो ये बोलने का विचार कैसे आया। जिसका बिल में कोई लेना-देना नहीं है, उसे लेकर आपने लोगों को गुमराह करने का काम किया। 1995 में ट्रिब्यूनल का इंतजाम किया गया।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 2 April 2025 at 15:19 IST