अपडेटेड 4 July 2025 at 14:13 IST
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर एक सप्ताह का समय पूरा किया। वीकेंड पर भारतीय भारतीय एस्ट्रोनॉट ने अपने परिवार से पहली बार बात की। उन्होंने इस बातचीत के दौरान अपनी मां आशा शुक्ला को अंतरिक्ष से सूर्योदय का दुर्लभ दृश्य दिखाया। यह पूरे परिवार के लिए भावुक कर देने वाला पल था। पंद्रह मिनट की इस बातचीत में पूरा परिवार एक साथ जुड़ा था।
25 जून को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च किया गया, एक्स-4 टीम को ले जाने वाला ड्रैगन अंतरिक्ष यान 26 जून को शाम 4.05 बजे निर्धारित समय से पहले अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ गया। मिशन का संचालन एक्सिओम स्पेस द्वारा किया जा रहा है। इस मिशन एक सप्ताह का समय पूरा होने के बाद एक दिन अंतरिक्ष यात्रियों ने ऑफ-ड्यूटी दिन का आनंद लिया। इस दौरान सभी अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने-अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत की।
लखनऊ त्रिवेणी नगर स्थित एक साधारण परिवार उस समय असाधारण पल का क्षण का साक्षी बना, जब अंतरिक्ष में मौजूद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पहली बार अपने परिजनों से वीडियो कॉल के जरिए संवाद किया। इस 15 मिनट की बातचीत में भावनाओं का अंबार उमड़ा। हर आंख नम और हर चेहरा गर्व से खिला हुआ नजर आया। गुरुवार शाम 5:20 से 5:35 बजे के ये बातचीत का सिलसिला चला। यह बातचीत एक्सिऑम स्पेस, नासा और स्पेस एक्स के एक्स-4 चालक दल ने नासा के टीडीआरएस नेटवर्क के माध्यम से की।
शुभांशु शुक्ला ने इस बातचीत के दौरान अपनी मां आशा शुक्ला को अंतरिक्ष से सूर्योदय का दुर्लभ दृश्य दिखाया। दरअसल बातचीत के दौरान ISS पर सूर्योदय हो रहा था। खिड़की से धरती की ओर नजर डालते हुए और वीडियो दिखते हुए शुभांशु ने कहा, 'मां, देखो, यह है अंतरिक्ष से सूरज निकलता हुआ। इस क्षण में उनकी मां की आंखों में आंसू थे, पर होठों पर एक अविस्मरणीय मुस्कान।
शुभांशु ने परिजनों को अन्तरारष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की वर्चुअल सैर कराई। पूरे परिवार के लिए यह पल अविस्मरणीय था। पंद्रह मिनट की इस बातचीत में पिता शंभूदयाल शुक्ला, मां आशा शुक्ला व बड़ी बहन शुचि मिश्रा लखनऊ के त्रिवेणीनगर स्थित आवास से जुड़ीं तो सबसे बड़ी बहन निधि मिश्रा नोएडा और शुभांशु की पत्नी कामना शुक्ला अमेरिका के अटलांटा से जुड़ीं। शुभांशु ने अपनी बहन के बच्चों से भी बात की।
शुभांशु ने अपने परिवार से बातचीत के दौरान बताया कि शुरुआत में अंतरिक्ष में रहना थोड़ा अटपटा लगा। उन्होंने बताया कि ISS हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है, जिससे उन्हें प्रतिदिन 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का अनुभव होता है। उन्होंने कहा, यह अनुभव कल्पना से परे है।
पब्लिश्ड 4 July 2025 at 14:13 IST