अपडेटेड 18 October 2025 at 13:22 IST

'ऑपरेशन सिंदूर में सेना को 100% फ्रीडम दी गई, पहले कभी नहीं देखा ऐसा...', Forces First Conclave 2025 में बोले सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी

Forces First Conclave 2025: फोर्सेस फर्स्ट कॉन्क्लेव में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि आज बदलते परिदृश्य में, एक चिंतित राष्ट्र के रूप में असली परीक्षा केवल क्षमताओं की नहीं, बल्कि इस स्पष्टता की है कि हम युद्ध के बारे में कैसे सोचते हैं।

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Army Chief General Upendra Dwivedi at Forces First Conclave
Army Chief General Upendra Dwivedi at Forces First Conclave | Image: Republic
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Forces First Conclave 2025: रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के फोर्सेस फर्स्ट कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन शनिवार (18 अक्टूबर) को दिल्ली में हो रहा है। ये कॉन्क्लेव 'वैश्विक संघर्षों के युग में जीवन' विषय पर रखा गया है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी इस आयोजन में शिरकत की और अपने विचार साझा किए।

हम निरंतर संघर्षों के युग में रह रहे हैं- जनरल उपेंद्र द्विवेदी

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि हम निरंतर संघर्षों के युग में रह रहे हैं। आज लगभग 56 संघर्ष हैं जो 90 देशों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चल रहे हैं। यह हर दिन बदलते और बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं देख रहा हूं कि आज की दुनिया में चार अलग-अलग युद्ध की प्रवृत्तियां उभर रही हैं। पहला है व्यापक संघर्ष। हर युग की अपनी अलग-अलग सीमाएं और अपनी विशिष्ट पूर्वधारणाएं रह रही हैं। दूसरा प्रवृत्ति अनुकूलन चक्र का है। तीसरा प्रवृत्ति क्षमता का अभिगमन है। आज हम जिस चौथी प्रवृत्ति पर बात कर रहे हैं, वह संघर्ष की संरचना है। 

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले सेना प्रमुख

उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी अपनी बातें मंच पर साझा की। सेना प्रमुख ने कहा कि मैं यह रिकॉर्ड पर रखना चाहता हूं कि पहली बार ऐसा हुआ जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सशस्त्र बलों को 100% स्वतंत्रता दी गई थी। मैंने दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसा होते हुए पहले कभी नहीं देखा। यही तालमेल और राजनीतिक-सैन्य समन्वय आज भारत को इतना महान देश बनाता है।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि आज बदलते परिदृश्य में, एक चिंतित राष्ट्र के रूप में असली परीक्षा केवल क्षमताओं की नहीं, बल्कि इस स्पष्टता की है कि हम युद्ध के बारे में कैसे सोचते हैं। उन्होंने आगे कहा, "आधुनिक युद्ध के जिन पहलुओं पर हम चर्चा करते हैं, वे ऑपरेशन सिंदूर की योजना और क्रियान्वयन में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। यह एक लयबद्ध ऑर्केस्ट्रा की तरह था जिसमें सभी गाने अलग-अलग डेसिबल में एक साथ बज रहे थे। सरल शब्दों में कहें तो, राफेल का मतलब राष्ट्र से था, और जवान का मतलब जहान से था।"

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इस साल की शुरुआत में किए गए मिशन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "सिर्फ 88 घंटों में युद्ध के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया गया। पाकिस्तान को युद्ध विराम की मांग करने पर मजबूर होना पड़ा क्योंकि इस ऑपरेशन ने उसका भ्रम तोड़ दिया, पंजाब और रावलपिंडी समेत उसके गढ़ में गहरी चोट की और उस परमाणु बम को ध्वस्त कर दिया जिसने लंबे समय से पारंपरिक प्रतिक्रिया को बाधित किया था। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए हमने जो हासिल किया, वह संयोग से नहीं, बल्कि सोची-समझी योजना, दूरदर्शिता, तैयारी और संगठनात्मक बदलाव से प्रेरित था। 

उन्होंने इस तालमेल को उनका "मज़बूत पक्ष" बताया, जिसने दूसरों को झकझोर दिया। उन्होंने आगे कहा, "तालमेल बिठाना, जो उनका मज़बूत पक्ष बन गया, और जिसने दूसरों को भी झकझोर दिया कि वे इतने एकजुट, एक साथ मिलकर और एकता में कैसे काम कर सकते हैं। मुझे लगता है कि यह एक अद्भुत बात थी और इसी ने हमें इतने अच्छे नतीजे दिए हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने इस बात का भी गहरा सच उजागर किया कि आधुनिक संघर्षों को किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा जा सकता।"

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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (CLAWS) के सहयोग से रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क फोर्सेस फर्स्ट कॉन्क्लेव का आयोजन कर रहा है। कॉन्क्लेव में लेफ्टिनेंट जनरल अजय चांदपुरिया, लेफ्टिनेंट जनरल अभिजीत पेंडारकर, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव गाई, लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान देकुना, लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह (CLAWS), एयर मार्शल दीप्तेंदु चौधरी, लेफ्टिनेंट जनरल एमयू नायर, लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट, लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला और मेजर जनरल जीडी बख्शी शिरकत कर रहे हैं।

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Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 18 October 2025 at 12:33 IST