अपडेटेड 12 December 2024 at 19:08 IST

'मेरी मृत्यु आपकी विफलता का एकमात्र बिंदु, आपकी हर नैतिकता बेईमानी है...', अतुल सुभाष की आखिरी कविता

AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला काफी हैरान करने वाला है। इन सबके बीच अतुल सुभाष की आखिरी कविता भी सामने आई है, जो उन्होंने मौत पर लिखी।

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अतुल सुभाष की आखिरी कविता | Image: Youtube Video Grab

अतुल सुभाष की मौत से उनके परिवार पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। माता-पिता का रो-रोकर बुराह हाल हो रहा है, वहीं दूसरी ओर उन्हें अबतक इंसाफ नहीं मिला है। आत्महत्या से पहले अतुल ने एक कविता लिखी थी। इस कविता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अतुल जिंदगी के किस दौड़ से गुजर रहे होंगे। उन्होंने अपनी आखिरी कविता भी मौत के ऊपर ही लिखी है।

उनकी आखिरी कविता का शीर्षक है- 'मृत्यु का कोई भय नहीं'। उनकी कविता की कुछ लाइनें है, जिसका हिंदी में अर्थ है कि कुछ योजनाओं को उजागर करने के लिए सिर ऊंचा करके चलना चाहिए। मेरी मृत्यु: आपकी विफलता का एकमात्र बिंदु। कई लोग दुख के जाल के खेल की लालसा रखते हैं, लेकिन बहादुर वे हैं जो वहां खेलने से इनकार करते हैं।

अतुल सुभाष के पिता ने क्या कहा?

अतुल सुभाष के पिता ने रिपब्लिक भारत से कहा, 'मेरा बेटा बहुत दिनों से घुट-घुटकर जी रहा था। हमें इसका तो अंदाजा नहीं था कि वो आत्महत्या कर लेगा लेकिन पिछले 2-3 महीनों से अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से टूट गया था। हमलोग को डर था कि वो ऐसा कदम उठा सकता है।''

भगत सिंह से की बेटे की तुलना

अतुल सुभाष के पिता पवन मोदी ने अपने बेटे की तुलना भगत सिंह से की और कहा कि जैसे भगत सिंह देश की आजादी के लिए फांसी पर चढ़ गए थे वैसे ही मेरे बेटे ने न्यायपालिका और कानूनी सिस्टम के लिए अपनी जान दी है। इतना बोलने के बाद अतुल के पिता फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे ने पीएम मोदी और नीतीश कुमार को संदेश दिया है।

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पीएम मोदी से लगाई गुहार

अतुल सुभाष के पिता ने अपने बेटे को इंसाफ दिलाने की मांग की है। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि मुझे पीएम मोदी पर पूरा भरोसा है कि वो मेरे बेटे को इंसाफ दिलाएंगे और उन्होंने कभी कुछ गलत नहीं होने दिया है। उन्होंने रिपब्लिक भारत से कहा कि मैंने अपने पोते का चेहरा भी नहीं देखा है और मैं चाहता हूं कि वो हमलोग के साथ रहे।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 12 December 2024 at 19:08 IST