अपडेटेड 12 June 2025 at 16:22 IST

Ahmedabad Plane Crash: 1978 का वो Air India विमान हादसा, जब क्रैश होकर अरब सागर में गिरा था प्लेन, 213 लोगों की गई जान

आखिर देश में पहले हुए विमान हादसों से एविएशन डिपार्टमेंट सीख क्यों नहीं लेता ताकि आने वाले समय में ऐसे विमान हादसों से बचा जा सके। इसके पहले देश में 1978 में ऐसा ही एक विमान हादसा हुआ था जिसमें 213 यात्रियों की जान चली गई थी। ये बड़ा विमान हादसा एक जनवरी 1978 को हुआ था। एयर इंडिया की फ्लाइट 855 ने मुंबई के सांता क्रूज एयरपोर्ट से दुबई के लिए उड़ान भरी थी। इस विमान के क्रैश होने से इसमें सवार सभी 213 लोग, जिसमें 190 यात्री और 23 क्रू सदस्य शामिल थे, की मृत्यु हो गई थी।

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Ahmedabad Plane Crash: 1978 का वो Air India विमान हादसा, जब क्रैश होकर अरब सागर में गिरा था प्लेन, 213 लोगों की गई जान | Image: Meta - AI

गुजरात के अहमदाबाद में एअर इंडिया (Air India) का प्लेन अचानक से क्रैश हो गया। विमान हादसे के बाद इसमें आग लग गई। इस प्लेन ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी थी। इस प्लेन में लगभग 242 यात्री सवार थे। टेक ऑफ के दौरान प्लेन क्रैश होने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ये वीडियो देखकर आपका दिल दहल जाएगा। टेक ऑफ से कुछ ही मिनटों में प्लेन मेघानीनगर के पास क्रैश हो गया, जो कि एयरपोर्ट से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने विमान हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि एयर इंडिया का B787 विमान VT-ANB, उड़ान संख्या AI-171 के लिए अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में 242 लोग संवार थे, जिनमें 2 पायलट और 10 केबिन क्रू मेंबर्स शामिल थे। विमान की कमान कैप्टन सुमीत सभरवाल के पास थी और उसके साथ फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर थे।

एक जनवरी 1978 की शाम थी। नया साल शुरू हुआ था और मुंबई का सांता क्रूज़ एयरपोर्ट रोज़ की तरह व्यस्त था। एयर इंडिया की फ्लाइट 855 दुबई के लिए रवाना होने वाली थी। विमान में 190 यात्री और 23 क्रू सदस्य सवार थे। कुछ व्यवसायी, कुछ प्रवासी कामगार, और कुछ ऐसे लोग जो परिवार से मिलने जा रहे थे। समय पर बोर्डिंग पूरी हुई और बोइंग 747 विमान ने रनवे से उड़ान भरी। उड़ान भरते ही यात्रियों की आंखों में नई उम्मीदें और सपने थे, लेकिन किसी को क्या पता था कि यह उड़ान उनकी ज़िंदगी की आख़िरी होगी। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के भीतर, विमान समुद्र के ऊपर था जब अचानक पायलटों को नेविगेशन उपकरण में कुछ गड़बड़ी महसूस हुई। शुरुआती जांचों में बताया गया कि कृत्रिम क्षितिज संकेतक (Artificial Horizon) की खराबी ने पायलटों को भ्रमित किया, जिससे उन्होंने विमान को झुकाव में नियंत्रित करने में चूक की।


उड़ान के कुछ ही समय बाद विमान अनियंत्रित होकर अरब सागर में समा गया

कुछ ही पलों में विमान ने नियंत्रण खो दिया और अरब सागर में गिर गया। इस भयंकर दुर्घटना में विमान में सवार सभी 213 लोग मारे गए। पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। यह हादसा भारतीय विमानन के इतिहास में एक काला अध्याय बन गया। सरकारी जांचों ने तकनीकी गड़बड़ी, मानव भूल और पर्याप्त बैकअप सिस्टम की कमी को इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। इसके बाद भारत में एविएशन सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। आज भी, यह हादसा न केवल एक तकनीकी सबक है, बल्कि उन 213 जानों की याद भी है जो एक उड़ान में सवार होकर कभी लौट कर नहीं आए।


अनुभवी पायलट्स और इंजीनियर्स के हाथों में थी विमान की कमान

वो 1 जनवरी 1978 की रात थी  एक नया साल, नई उम्मीदें और नए सफर। मुंबई के सांता क्रूज़ हवाई अड्डे पर एयर इंडिया की प्रतिष्ठित फ्लाइट 855, दुबई जाने को तैयार थी। चमचमाते बोइंग 747-237B विमान का नाम था 'Emperor Ashoka', जो 1971 में एयर इंडिया के बेड़े में शामिल हुआ था। विमान में 190 यात्री और 23 चालक दल के सदस्य सवार थे। कॉकपिट में थे तीन अत्यंत अनुभवी एविएटर कप्तान मदन लाल कुकार, जिनके पास 18,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव था, अधिकारी इंदू वीरमानी जिनके पास 4,500 घंटों की उड़ान का अनुभव और फ्लाइट इंजीनियर अल्फ्रेडो फारिया, जो 11,000 घंटों की उड़ान का अनुभव रखते थे।  रात करीब 8 बजे, 'Emperor Ashoka' ने रनवे से उड़ान भरी। टेकऑफ़ सामान्य था। लेकिन उड़ान भरने के महज 101 सेकंड बाद, सब कुछ बदल गया।

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अरब सागर के ऊपर विमान हुआ था अनियंत्रित

विमान अब अरब सागर के ऊपर था, अंधेरे और समुद्री क्षितिज के बीच था, और तभी पायलटों को नेविगेशन उपकरणों में असामान्यता का अहसास हुआ। मुख्य कृत्रिम क्षितिज संकेतक (attitude indicator) में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिससे पायलटों को विमान की स्थिति का सही अनुमान नहीं हो सका। उन्होंने महसूस किया कि विमान दाईं ओर झुक रहा है, जबकि वास्तव में वह बाईं ओर गिर रहा था। कॉकपिट में भ्रम की स्थिति थी। कप्तान ने नियंत्रण लेने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मात्र कुछ ही क्षणों में, विशाल विमान संतुलन खो बैठा और समुद्र की ओर गिरने लगा। चंद सेकंड के भीतर, 'Emperor Ashoka' अरब सागर में समा गया, और उसके साथ ही विमान में सवार सभी 213 लोग मौत के अंधेरे में डूब गए।


पूरे देश में छा गई थी शोक की लहर

दुर्घटना की जांच में सामने आया कि पायलटों ने दोषपूर्ण उपकरण के कारण गलत निर्णय लिए। यह एक क्लासिक spatial disorientation का मामला था, जहां दृश्य संकेतों की अनुपस्थिति में पायलटों को विमान की वास्तविक स्थिति का भ्रम हो गया। इस हादसे ने न केवल भारत को शोक में डुबो दिया, बल्कि विमानन उद्योग को यह भी दिखा दिया कि तकनीकी विश्वसनीयता और क्रू ट्रेनिंग कितनी महत्वपूर्ण होती है। इसके बाद एयर इंडिया और DGCA ने नेविगेशन उपकरणों की अतिरिक्त रीडंडेंसी और क्रू को बेहतर प्रशिक्षण देने के दिशा में कई अहम कदम उठाए।

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1978 में क्या थी विमान दुर्घटना की वजह?

एक जनवरी 1978 को बोइंग 747 उड़ान भरने के केवल 101 सेकंड बाद, कुछ असामान्य घटित हुआ। कप्तान कुकार को लगा कि विमान दाईं ओर झुक रहा है। उन्होंने तुरंत विमान को संतुलित करने के लिए बाएं तरफ नियंत्रण इनपुट दिया। लेकिन वे नहीं जानते थे कि उनके सामने जो ‘Attitude Director Indicator’ (ADI) है यानी वह उपकरण जो उन्हें विमान की दिशा और झुकाव की जानकारी देता है वो गलत जानकारी दे रहा था। वास्तव में, विमान पहले ही बाईं ओर झुक चुका था, और कप्तान के इनपुट ने उसे और भी तेजी से उसी दिशा में गिरने पर मजबूर कर दिया। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) ने इन अंतिम क्षणों को दर्ज किया। कप्तान की आवाज़ में चिंता साफ थी, जब उन्होंने कहा था, 'मेरे पास यहां मौजूद उपकरणों को क्या हो गया है?'यह वाक्य उस भ्रम और तनाव का प्रमाण था जो ADI की खराबी के कारण उत्पन्न हुआ था। उन्हें यह अंदाज़ा नहीं था कि उनकी नज़रें जिस उपकरण पर टिकी हैं, वह उन्हें ग़लत दिशा दिखा रहा है और उस भ्रम ने महज़ कुछ ही पलों में एक विशाल विमान को समुद्र में गिरा दिया। पूरा विमान अरब सागर में समा गया। कोई नहीं बचा।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 12 June 2025 at 16:22 IST