अपडेटेड 10 July 2025 at 12:01 IST

केंद्रीय कर्मचारियों की होगी बल्ले-बल्ले, 8वें वेतन आयोग की नई रिपोर्ट आई सामने सैलरी में होगी जबरदस्त बढ़ोत्तरी!

केंद्र सरकार अगर कर्मचारियों की वेतन और पेंशन में संभावित बढ़ोतरी की योजना बनाती है, तो उसे अपने वित्तीय संतुलन को बनाए रखने के लिए कुछ कठिन फैसले लेने पड़ सकते हैं। ब्रोकरेज फर्म एंबिट कैपिटल ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को तीन प्रमुख विकल्पों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, ताकि वह बढ़ते खर्चों और घटते राजस्व के बीच संतुलन बना सके।

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केंद्रीय कर्मचारियों की होगी बल्ले-बल्ले, 8वें वेतन आयोग की नई रिपोर्ट आई सामने सैलरी में होगी जबरदस्त बढ़ोत्तरी! | Image: PTI

वित्त वर्ष 2027 से 8वां वेतन आयोग लागू होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। ब्रोकरेज फर्म एम्बिट कैपिटल की 9 जुलाई को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में 30 से 34 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस फैसले का लाभ करीब 1.12 करोड़ केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स को मिलेगा। इसके चलते उनकी डिस्पोजेबल इनकम (खर्च करने योग्य आय) में बड़ी वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ी हुई आय देश में उपभोग और मांग को नई गति दे सकती है, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, खासकर तब जब महंगाई पर काबू पाने और आर्थिक गतिविधियों को तेज करने की कोशिशें चल रही हैं।

ब्रोकरेज कंपनी एम्बिट कैपिटल का मानना है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में प्रस्तावित बढ़ोतरी से यात्री वाहन, बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनेंसियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस), एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) और क्यूएसआर (क्वालिटी सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) जैसे प्रमुख सेक्टरों को लाभ होगा। हालांकि, वेतन वृद्धि की वास्तविक मात्रा इस बात पर निर्भर करेगी कि फिटमेंट फैक्टर (वेतन समायोजन का मानदंड) कितना बड़ा होगा और यह वृद्धि कब लागू की जाएगी। अगर लागू करने में देरी होती है, तो इसका असर कर्मचारियों को एकमुश्त अतिरिक्त भुगतान (अधिक ड्यू पेमेंट) के रूप में दिख सकता है, जो उपभोग को अचानक बढ़ावा देगा। एम्बिट कैपिटल ने वेतन वृद्धि के दो परिदृश्यों का विश्लेषण किया है, एक में 14% और दूसरे में 54% तक की वृद्धि संभव है। इसके लिए सरकार को लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजकोषीय संसाधन आवंटित करने की आवश्यकता पड़ सकती है।


देश की अर्थव्यवस्था पर दिखेगा सकारात्मक प्रभाव

यह बढ़ोतरी न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति मजबूत करेगी, बल्कि इससे जुड़ी उपभोग वृद्धि का देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। मौजूदा समय कर राजस्व, खासकर आयकर से प्राप्त राजस्व वृद्धि की गति धीमी हो गई है, जिससे सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों को अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना पड़ सकता है। इसके साथ ही, सार्वजनिक उपक्रमों और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मिलने वाले लाभांश पर निर्भरता भी जारी रह सकती है। साथ ही, जीएसटी दरों को भी और अधिक युक्तिसंगत और व्यावहारिक बनाना आवश्यक होगा ताकि सरकारी आय में सुधार हो सके। यह रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि वेतन वृद्धि के आर्थिक प्रबंधन के लिए सरकार को बजट संतुलन बनाए रखने हेतु कई वित्तीय साधनों का सहारा लेना पड़ेगा।


वेतन आयोग को लेकर ब्रोकरेज फर्म एंबिट कैपिटल का दावा

ब्रोकरेज फर्म एंबिट कैपिटल ने कहा है कि केंद्र सरकार को कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में संभावित बढ़ोतरी के प्रबंधन के लिए पूंजीगत व्यय में कटौती, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों से लाभांश पर निर्भरता बढ़ाने जैसे विकल्पों पर गंभीरता से विचार करना होगा। यह कदम खासकर तब जरूरी है जब सरकार को राजस्व में कमी और लगातार बढ़ रहे प्रतिबद्ध खर्चों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले, सातवें वेतन आयोग (जनवरी 2016 से दिसंबर 2025 तक) ने केवल लगभग 14% की मामूली वेतन वृद्धि लागू की थी, जो 1970 के बाद सबसे कम थी। एंबिट कैपिटल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले वेतन आयोगों के दौरान (छठा और सातवां) सरकार ने उच्च वेतन बिल को संभालने के लिए पूंजीगत खर्च में कटौती की थी।

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शेयर बाजारों में बड़े निवेश की उम्मीद

एम्बिट कैपिटल ने कहा है कि वित्त वर्ष 2026 से लागू होने वाली इंटीग्रेटेड पेंशन योजना के तहत सरकार का पेंशन फंड में योगदान बढ़ जाएगा। कर्मचारी वेतन के प्रतिशत के रूप में सरकार का योगदान पहले नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत 14% था, जो अब बढ़कर 18.5% हो जाएगा। इसमें से 8.5% योगदान सरकार के विवेक पर निर्भर होगा कि वह इसे किस प्रकार के फंड में निवेश करती है। एम्बिट कैपिटल ने आगे कहा, 'यदि सरकार कंपनी इक्विटी में लगभग 45% निवेश करने के वैश्विक मानदंडों का पालन करती है, तो इक्विटी बाजारों में निवेश का प्रवाह वित्त वर्ष 2025 में वर्तमान 24,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 46,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह घरेलू इक्विटी बाजार में शुद्ध निवेश प्रवाह का लगभग 7.7% होगा।' इस कदम से न केवल पेंशन फंड की मजबूती होगी, बल्कि शेयर बाजारों में भी बड़े पैमाने पर निवेश प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है, जो बाजार की स्थिरता और विकास के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 10 July 2025 at 12:01 IST