अपडेटेड 1 July 2024 at 11:28 IST
सिर्फ 3 क्रिमिनल लॉ नहीं, 7 साल पहले 1 जुलाई को ही देश में लागू हुई थी बड़े बदलाव की ये व्यवस्था
देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने वाले एक कदम के तहत 3 नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू हुए हैं। 2017 में एक जुलाई को ही देश में बड़े स्तर का बदलाव हुआ था।
- भारत
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एक जुलाई की तारीख न्याय व्यवस्था में बड़े बदलाव के तौर पर भारत के इतिहास दर्ज हो चुकी है। देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने वाले एक कदम के तहत तीन नए आपराधिक कानून आज, 1 जुलाई से लागू हो चुके हैं। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी, भारतीय साक्ष्य अधिनियम...ये सारे नियम बदले गए हैं और नए तरीके के कानून लागू हुए हैं। अधिसूचना के अनुसार, तीनों कानून सजा के बजाय न्याय पर ध्यान केंद्रित हैं। इनका उद्देश्य त्वरित न्याय दिलाना, न्यायिक और न्यायालय व्यवस्था को मजबूत करना और 'सभी के लिए न्याय तक पहुंच' पर जोर देना है।
तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) पिछले साल दिसंबर में संसद में पारित हुए थे। तीनों नए कानूनों को 21 दिसंबर 2023 को संसद की मंजूरी मिली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर 2023 को अपनी मुहर लगाई। उन तीनों कानूनों ने आज, एक जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)- 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी)- 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 1872 की जगह ली है।
नए आपराधिक कानूनों के मुख्य बिंदु
- आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला।पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करनी होगी।
- चाइल्ड ट्रैफिकिंग को जघन्य अपराध की श्रेणी में लाया गया है, जिसके लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है।
- रेप पीड़िता के बयान उनके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में महिला पुलिस अधिकारी दर्ज करेगी। मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी। नाबालिग के साथ गैंगरेप के लिए मौत की सजा या फिर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
- शादी के झूठे वादे कर शारीरिक संबंध बनाने वालों के लिए नए आपराधिक कानून में सजा का प्रावधान है।
- वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से बच्चे को खरीदने पर कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान। इसे बढ़ाकर 14 साल करने और जुर्माने का भी प्रावधान है।
- महिलाओं के साथ अपराध के मामले में पीड़िता को मुफ्त इलाज दिया जाएगा। केस में 90 दिनों के अंदर नियमित अपडेट हासिल करने का अधिकार होगा।
- आरोपी हो या पीड़ित, दोनों को 14 दिनों के भीतर FIR, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की कॉपी हासिल करने का अधिकार होगा।
- किसी भी घटना में FIR कराने के लिए पुलिस स्टेशन आने की जरुरत नहीं। रिपोर्ट ऑनलाइन माध्यम दर्ज कराई जा सकेगी। जीरो FIR के तहत व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में, चाहे उसका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो, प्राथमिकी दर्ज करा सकता है।
- किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में अपने करीबी को सूचित करने का अधिकार है, ताकि उसे तत्काल सहायता मिल सके।
- गंभीर अपराध के मामलों में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की टीम का घटनास्थल पर जाना और सबूत इकट्ठा करना अनिवार्य है।
- समानता को बढ़ावा देने के लिए लिंग में अब ट्रांसजेंडर समुदाय भी शामिल। महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए पीड़िता के बयान को महिला मजिस्ट्रेट दर्ज करेंगी।
- अगर महिला मजिस्ट्रेट ना हो तो पुरुष मजिस्ट्रेट को महिला की उपस्थिति में बयान दर्ज कराना होगा। बलात्कार से संबंधित बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो और पीड़िता को सुरक्षा मिले।
एक जुलाई को ही देश में लागू हुआ GST
ये न्याय व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य के साथ एक बड़ा बदलाव है, जिसकी शुरुआत 1 जुलाई से हुई है। इसके पहले 2017 में भी एक जुलाई को ही देश में आर्थिक तौर पर बड़े स्तर का बदलाव हुआ था। एक जुलाई 2017 को देश में अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया गया था। जीएसटी ने पुराने टैक्स स्ट्रक्चर के व्यापक प्रभाव को हटाने में मदद की। सालों के विचार-विमर्श के बाद केंद्र सरकार ने 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी कानून लागू किया था। जीएसटी ने 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के 4 स्लैब रखे गए। उसके अलावा केंद्र और राज्य करों के जटिल जाल को बदल दिया गया।
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जीएसटी कलेक्शन
मई महीने के जीएसटी कलेक्शन की बात करें तो जीएसटी रेवेन्यू 1.73 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त मंत्रालय के मुताबिक,जीएसटी रेवेन्यू में साल-दर-साल 10 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई, जो घरेलू लेनदेन में मजबूत वृद्धि (15.3 प्रतिशत वृद्धि) और आयात में कमी (4.3 प्रतिशत) दर्शाता है। वित्त वर्ष 2024-25 में मई 2024 तक जीएसटी कलेक्शन 3.83 लाख करोड़ रहा। जीएसटी कलेक्शन ने अप्रैल 2024 में रिकॉर्ड बनाया। सरकार ने अप्रैल 2024 में GST से रिकॉर्ड 2.10 लाख करोड़ रुपए जुटाए।
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Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 1 July 2024 at 11:28 IST