अपडेटेड 24 June 2025 at 15:41 IST
Panchayat Season 4: लोकप्रिय वेब सीरीज ‘पंचायत’ का चौथा सीजन लंबे इंतजार के बाद 24 जून 2025 को दर्शकों के सामने आ चुकी है। प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई इस बहुप्रतीक्षित सीजन ने एक बार फिर गांव फुलेरा की गलियों में राजनीति, भावनाओं और हास्य का ऐसा ताना-बाना बुना है, जो दर्शकों को पहले एपिसोड से ही बांध लेता है। इस सीरीज का निर्देशन किया है दीपक कुमार मिश्रा ने, जबकि पटकथा चंदन कुमार ने लिखी है। द वायरल फीवर (TVF) के बैनर तले बनी इस कहानी में इस बार भी वही पुराना फुलेरा गांव है, लेकिन समस्याएं नई हैं और रिश्तों की उलझनें पहले से कहीं अधिक गहरी।
मुख्य भूमिकाओं में जितेंद्र कुमार (अभिषेक त्रिपाठी), रघुबीर यादव (प्रधानपति), नीना गुप्ता (मंजू देवी), चंदन रॉय (विकास), संविका (रिंकी), दुर्गेश कुमार (बिनोद) और अशोक पाठक (सचिव जी का चिर-परिचित साया) एक बार फिर अपने पूरे रंग में नजर आते हैं। इस बार की कहानी में न सिर्फ पंचायत कार्यालय के मुद्दे हैं, बल्कि राजनीतिक टकराव, दोस्ती की परख और प्रेम की हल्की झलकें भी देखने को मिलती हैं। पंचायत सीज़न 4 में दिखाया गया है कि कैसे सचिव अभिषेक अब गांव के सिस्टम को पहले से बेहतर समझने लगे हैं, लेकिन हर बार कोई नया मोड़ या राजनैतिक चाल उसे नए संकट में डाल देती है। वहीं, प्रधानपति और मंजू देवी के बीच की राजनीतिक साझेदारी इस बार और भी दिलचस्प मोड़ लेती है। दर्शकों के लिए यह सीज़न केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक व्यंग्य और ग्रामीण जीवन के यथार्थ का आईना भी बनकर सामने आता है।
वेब सीरीज ‘पंचायत’ सीजन 4 की कहानी इस बार गांव की राजनीति के सबसे दिलचस्प मोड़ फुलेरा गांव के प्रधानी चुनाव पर केंद्रित है। जहां एक तरफ मंजू देवी (नीना गुप्ता) अपनी सत्ता बचाने की कोशिश में जुटी नजर आती हैं, वहीं दूसरी ओर क्रांति देवी (सुनीता रजवार) पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरती हैं और इसी चुनावी जंग ने फुलेरा गांव की सियासत में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। सीजन भर में दोनों ही महिला प्रत्याशियों के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिलती है। शब्दों के वार से लेकर रणनीतियों की मार तक, मंजू देवी और क्रांति देवी अपनी-अपनी साख बचाने और बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। गांववालों की सहानुभूति, जातीय समीकरण और विकास के वादे सभी इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते हैं। लेकिन जो दर्शक यह सोच रहे थे कि हमेशा की तरह मंजू देवी ही जीतेंगी, उनके लिए इस बार कहानी ने एक चौंकाने वाला मोड़ ले लिया है। इस बार फुलेरा की नई प्रधान बनती हैं क्रांति देवी। मंजू देवी को करारी हार का सामना करना पड़ता है, जिससे फुलेरा की राजनीति में एक नई हवा बहने लगती है।
क्रांति देवी की जीत का मतलब है कि बनराकस की टीम को अब पंचायत भवन में अधिक ताकत मिलने वाली है। यह जीत केवल एक चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि गांव की बदलती सोच, सत्ता के नए समीकरण और आने वाले सीजन के लिए कई नए संघर्षों की भूमिका भी है। इस बदलाव ने दर्शकों को भी चौंका दिया है और अब वे बेसब्री से देखना चाहेंगे कि सत्ता परिवर्तन के बाद सचिव अभिषेक त्रिपाठी की भूमिका क्या मोड़ लेती है और फुलेरा गांव में कौन-कौन सी नई चुनौतियां खड़ी होती हैं।
फुलेरा गांव में चुनावी समर अपने चरम पर है। गांव की गलियों से लेकर तहसील के चौराहों तक बस एक ही चर्चा है, कौन बनेगा अगला प्रधान? इस सियासी उबाल के बीच शो में एक और दिलचस्प मोड़ आता है, जब मंच पर उतरते हैं प्रधान जी, जिनका किरदार निभा रहे हैं मंझे हुए अभिनेता रघुबीर यादव। जनता के बीच लोकप्रियता तो है, लेकिन इस बार लड़ाई आसान नहीं। विरोधियों की चालें गहरी हैं। रैलियों के शोर के बीच एक दिन अचानक गोलियों की आवाज गूंजती है प्रधान जी पर हमला हो गया है!खबर आग की तरह फैलती है। लोग सकते में हैं। गांव दो धड़ों में बंट जाता है। हर कोई शक की उंगली बनराकस की ओर उठाता है विपक्ष का तेजतर्रार और उग्र नेता। लेकिन जैसे-जैसे परतें खुलती हैं, कहानी एक चौंका देने वाला मोड़ लेती है।
प्रधानजी पर हमला करने वाला बनराकस नहीं है बल्कि सांसद जी हैं, वही सांसद जी, जिनकी मुस्कराहट के पीछे एक साजिश पल रही थी। उन्होंने ही वो गोली चलाई न केवल सत्ता की भूख से अंधे होकर, बल्कि अपनी पकड़ और दबदबा बनाए रखने के लिए। लेकिन इस हमले से प्रधान जी को वैसा फायदा नहीं मिल पाता जैसा राजनीतिक हमदर्दी से अक्सर मिलता है। उल्टा, यह घटना पूरे चुनावी मैदान को और ज्यादा उलझा देती है। अब सवाल सिर्फ यह नहीं कि हमला क्यों हुआ, बल्कि यह भी कि लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं, और कौन उसे खोद रहा है दुश्मन, या अपने ही? शो में प्रधान जी के रोल में रघुबीर यादव नजर आ रहे हैं। इस बार चुनावी जंग के बीच उन पर गोली चलाई जाएगी, जिसका खासा फायदा तो उन्हें नहीं मिलेगा, लेकिन इसके साथ ही ये सवाल पैदा होता है कि आखिर उन पर हमला किया किसने? अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि बनराकस है तो आप पूरी तरह से गलत हैं। ये शख्स बनराकस नहीं बल्कि सांसद जी है, जिन्होंने धड़ल्ले से गोली चलाई है।
सीजन 4 तक ‘पंचायत’ की कहानी जहां मंजू देवी और क्रांति देवी के प्रधानी चुनाव की तीखी टक्कर पर केंद्रित रही, वहीं अब शो का अगला अध्याय यानी सीजन 5 एक बड़े राजनीतिक मोड़ के साथ आगे बढ़ने को तैयार है। अब गांव की सीमाएं पार होंगी, और नजरें टिकेंगी विधायकी चुनाव पर, जहां दांव बड़ा होगा, और खेल और भी गहरा। गांव फुलेरा में अब चर्चा केवल पंचायत तक सीमित नहीं है। विधायक की सीट को लेकर हलचल तेज है। बनराकस गुट हो या प्रधान जी का खेमा हर कोई इस मौके को भुनाने में लगा है। लेकिन इस बार कहानी फिर एक चौंकाने वाला मोड़ लेने वाली है। अब तक एक साइड कैरेक्टर की तरह शांत-गंभीर अंदाज में नजर आने वाले प्रह्लाद चा, जो अपने बेटे की शहादत के बाद एक भावनात्मक लहर में डूबे नजर आए थे, अब गांव की राजनीति में बड़ी छलांग लगाते हैं। गांववालों की सहानुभूति, ईमानदार छवि और वक्त के साथ पनपा भरोसा ये सब मिलकर उन्हें विधायक की कुर्सी तक पहुंचा देते हैं। ‘पंचायत’ सीजन 5 में कहानी पंचायत भवन की चारदीवारी से बाहर निकलकर विधानसभा की राजनीति तक पहुंचेगी, जहां प्रह्लाद चा अब केंद्र में होंगे। सत्ता, संवेदना और संघर्ष के नए समीकरणों के साथ शो एक नया पड़ाव छूने को तैयार है।
हाल ही में रिलीज हुए ‘पंचायत’ के सीजन 4 ने जहां एक ओर गांव की राजनीति और प्रधानी चुनाव की जंग दिखाई, वहीं दूसरी ओर एक लंबे समय से पनप रहे रिश्ते ने आखिरकार अपनी मंज़िल पा ली। जी हां, इस बार रिंकी और सचिव अभिषेक त्रिपाठी का मिलन हो गया है और यही इस सीज़न की सबसे दिल छू लेने वाली कहानी बन गई। अब तक जिनके बीच सिर्फ झिझक और अनकही बातें थीं, इस बार वे खुलकर सामने आईं। दोनों के बीच कई रोमांटिक और भावनात्मक पल सीज़न में देखने को मिले, जो दर्शकों को मुस्कुराने और भावुक होने पर मजबूर कर देते हैं। उनकी बॉन्डिंग अब महज़ संकेतों तक सीमित नहीं, बल्कि रिश्ते की ठोस बुनियाद पर खड़ी होती दिख रही है। इस नए रिश्ते का असर सिर्फ रिंकी और सचिव तक नहीं, बल्कि प्रधान जी के पूरे परिवार पर भी पड़ा है। जहां एक ओर मंजू देवी और प्रधान जी को यह रिश्ता भावनात्मक रूप से जोड़ता है, वहीं विकास और गांव के लोग भी इसे लेकर खुश नजर आते हैं। सचिव अब परिवार का हिस्सा बनते दिख रहे हैं न सिर्फ दफ्तर में, बल्कि दिलों में भी।
अब जबकि यह रिश्ता सबके सामने है, तो अगला बड़ा सवाल यही है कि क्या सीजन 5 में रिंकी और सचिव की शादी भी देखने को मिलेगी? या फिर राजनीति के बढ़ते दायरे में निजी रिश्तों की अग्नि परीक्षा होगी? ‘पंचायत’ सीजन 4 में जहां सत्ता की लड़ाई ने गांव को हिला दिया, वहीं रिंकी और सचिव जी का मिलन इस सीज़न का सबसे कोमल और खास पहलू बनकर उभरा। अब यह रिश्ता ना सिर्फ दिलों को जोड़ रहा है, बल्कि कहानी को भी एक नए मुकाम की ओर ले जा रहा है जहां राजनीति और प्रेम साथ-साथ चलेंगे।
पब्लिश्ड 24 June 2025 at 15:41 IST