अपडेटेड 30 March 2025 at 13:27 IST

गुड़ी पड़वा: रकुल प्रीत को पसंद है त्योहार पर सजना-संवरना, बताया क्या है पसंदीदा डिश

अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने रविवार को गुड़ी पड़वा के मौके पर बताया कि यह उनके लिए नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का दिन है। सिंह ने यह भी बताया कि उनकी पसंदीदा डिश 'पूरन पोली' है, जो खाकर उन्हें बहुत खुशी मिलती है।

Rakul Preet Singh
Rakul Preet Singh | Image: Instagram

अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने रविवार को गुड़ी पड़वा के मौके पर बताया कि यह उनके लिए नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का दिन है। सिंह ने यह भी बताया कि उनकी पसंदीदा डिश 'पूरन पोली' है, जो खाकर उन्हें बहुत खुशी मिलती है।

यह पूछे जाने पर कि गुड़ी पड़वा पर उनकी पसंदीदा डिश कौन सी है, रकुल ने कहा, "पूरन पोली, इसमें कोई शक नहीं! यह मीठी, मुलायम और घर जैसा एहसास देती है। मैं बचपन से ही त्योहारों के दौरान इसका लुत्फ उठाती रही हूं और इसका हर निवाला मुझे उन खुशनुमा पारिवारिक पलों की याद दिलाता है। इसे इतने प्यार से बनाया जाता है कि आप खुद को रोक नहीं पाते!"

रकुल ने बताया, "मेरे लिए गुड़ी पड़वा नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का दिन है। यह साल का वह समय है जब सब कुछ नया लगता है। इस दिन नई एनर्जी, उम्मीदें और उत्सव भी रहता है। मुझे यह पसंद है कि यह परिवारों को एक साथ लाता है, चाहे वह पूजा के लिए हो, अच्छे भोजन के लिए हो या फिर सिर्फ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए। यह खुशी के साथ बदलाव को अपनाने की याद दिलाता है!"

अभिनेत्री को त्योहारों पर सजना-संवरना बहुत पसंद है। उन्होंने बताया, "गुड़ी पड़वा, साड़ी पहनने का बेहतरीन बहाना है। मैं आमतौर पर पीली या लाल रंग की साड़ी पहनती हूं, बिंदी, बड़े झुमके और बालों में ताजा गजरा लगाती हूं। त्योहारों के दिनों में भारतीय परिधान पहनने में कुछ खास बात होती है- इससे सब कुछ और ज्यादा उत्सवपूर्ण लगता है।“

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गुड़ी पड़वा चैत्र नवरात्रि के साथ आसपास पड़ता है, जिसे उत्तर भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। अभिनेत्री ने कुछ यादें साझा कीं।

उन्होंने कहा, “उत्तर भारत में पले-बढ़े होने के कारण चैत्र नवरात्रि हमेशा एक खास समय होता था। मुझे हर जगह उत्सव का माहौल याद है- सुबह की प्रार्थना, भजन की आवाज और घर पर स्वादिष्ट सात्विक भोजन की सुगंध। आखिरी दो दिन हमेशा मेरे पसंदीदा होते थे क्योंकि हमें रिश्तेदारों के घर कन्या पूजन के लिए आमंत्रित किया जाता था और मुझे उपहार और प्रसाद मिलते थे। यह एक ऐसी परंपरा है, जो आज भी खूबसूरत यादें ताजा कर देती है। मुझे मौका मिलता है तो मैं परंपराओं, खासकर घर पर उपवास और उत्सवों को निभाने की कोशिश करती हूं।”

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Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 30 March 2025 at 13:27 IST