अपडेटेड 14 May 2024 at 11:24 IST
काशी लोकसभा सीट: 1991 से अब तक सिर्फ एक बार कांग्रेस को मिली जीत, SP-BSP का नहीं खुला खाता
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज काशी लोकसभी सीट से अपना पर्चा भरने जा रहे हैं। आइए जाते हैं, काशी लोकसभा सीट का इतिहास और समीकरण।
- चुनाव न्यूज़
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के काशी से आज लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन करेंगे। नामांकन से पहले पीएम मोदी दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान करेंगे। जानकारी के अनुसार नामांकन सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर नामांकन दर्ज कराएंगे। पीएम मोदी काशी लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। पीएम मोदी के आने से काशी हॉट सीट बन चुकी है।
एक तरफ पीएम मोदी भारतीय जनपार्टी की ओर से वाराणसी लोकसभा सीट के उम्मीदवार हैं तो वहीं सपा और कांग्रेस गठबंधन में यहां कांग्रेस ने अजय राय उम्मीदवार उतारा है। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने अतहर जमाल लारी को मैदान में उतारा है। बता दें, 1991 के बाद से लेकर अबतक इस सीट पर कांग्रेस ने केवल एक बार ही जीत हासिल की है। वहीं बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का खाता भी नहीं खुला है।
2019 में PM मोदी ने फूंका था जीत का बिगुल
साल 2019 में पीएम मोदी ने बसपा और सपा गठबंधन के उम्मीदवार BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर के खिलाफ जीत हासिल की थी। पीएम मोदी ने काशी सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की थी।
2014 में चला पीएम मोदी का जादू
लोकसभा चुनाव 2014 में वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल चुनावी मैदान में उतरे। इस चुनाव में पीएम मोदी ने सीएम केजरीवाल को 209238 वोटों से हरा दिया। पीएम मोदी ने 371784 मतों से जीता हासिल की थी।
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बसपा-सपा का नहीं खुला खाता
वहीं बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की बात करें, तो दोनों का अबतक यहां से खाता भी नहीं खुला है। वाराणसी सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। बता दें, अबतक 16 लोकसभा चुनाव की यहां स्थिति देखी गई, जिसमें से 7 बार बीजेपी और 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। वहीं 1991 से अगर देखा जाएग, तो केवल एक बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की। 2004 के आम चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। इसके अलावा एक बार जनता दल, एक बार सीपीएम और एक बार भारतीय लोकदल ने भी जीत हासिल की।
वाराणसी लोकसभा सीट पर 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। ये रोहणिया, वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी छावनी और सेवापुरी हैं। इनमें से एक भी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं है। देश में 1951-52 के समय में जब पहली बार आम चुनाव हुए थे, उस वक्त वाराणसी में लोकसभा की 3 सीटें थी। ये सीटें बनारस मध्य, बनारस पूर्व और बनारस-मीरजापुर थी।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 14 May 2024 at 10:50 IST