अपडेटेड 23 April 2024 at 14:26 IST

बिहार में 4 सीटों पर मतदान के बाद क्या है माहौल? हवा का रुख भांपने वाले प्रशांत किशोर ने किया खुलासा

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के बाद बिहार में जनता के मूड को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि लोग एनडीए और महागठबंधन के दलों को देखकर त्रस्त हो गए हैं।

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Prashant Kishor
प्रशांत किशोर | Image: PTI/File

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के बाद बिहार में जनता के मूड को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि लोग एनडीए और महागठबंधन के दलों को देखकर त्रस्त हो गए हैं। बता दें, बिहार में पहले चरण में वोटिंग प्रतिशत में काफी गिरावट दर्ज की गई। इस वजह से सियासी गलियारों में वोटिंग दर कम होने के पीछे की वजह को लेकर चर्चा हो रही है।

प्रशांत किशोर पिछले कुछ समय से जन सुराज पदयात्रा के सहारे बिहार की राजनीति में अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं। वहीं जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार में बदलाव की बात करते हुए कहा, “बिहार की जनता का मूड अगर समझा जाए तो सूबे की जनता नया विकल्प चाहती है। हालांकि, वो विकल्प कौन है अभी हाल-फिलहाल में ये नहीं बताया जा सकता है। बिहार में आप कहीं भी चले जाइए लोग नीतीश कुमार और लालू यादव के 32 सालों के शासन से इस हद तक झेल चुके हैं कि जनता का कहना है कि उन्हें नया विकल्प चाहिए। बिहार की जनता भाजपा और महागठबंधन दोनों दलों के अलायंस से त्रस्त हैं।”

50 फीसदी लोगों को चाहिए नया विकल्प

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार में अगर सर्वे कराकर देखेंगे तो पचास प्रतिशत लोग एक नई विकल्प चाहते हैं। लेकिन वो विकल्प कौन होगा और कैसा होगा, इस पर व्यापक स्तर पर सकारात्मक बहस जरूर होनी चाहिए। बिहार की जनता यहां के तीनों दलों से विमुख हो चुकी है। क्योंकि पिछले दस वर्षों में यहां के लोगों की किसी भी स्तर पर तरक्की नहीं हुई है और बिहार सभी मानकों पर, चाहे शिक्षा, रोजगार और आर्थिक विकास में से किसी पर भी प्रगति नहीं कर पाया है और आज भी देश का सबसे गरीब राज्य है।

पीके ने लगाई तेजस्वी की क्लास

इससे पहले प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव की जमकर क्लास लगाई थी। नीतीश कुमार की जदयू से लेकर राजद और कांग्रेस तक के लिए काम कर चुके प्रशांत किशोर अब लालू यादव के परिवार को घेर रहे हैं। बिना नाम लिए तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए पीके ने कहा, “बिहार में नेता को भले विकास में ह्रस्व और दीर्घ की मात्रा लिखनी ना आती हो, मगर वो विकास पर लंबा-चौड़ा भाषण जरूर दे रहा है।” उन्होंने कहा कि बिहार में नेता वही है, जिसे ना भाषा का ज्ञान हो, ना विषय का ज्ञान हो। जो शर्ट के ऊपर गंजी पहने उसी को समाज जमीनी नेता मानता है। जो जीवन में कभी स्कूल नहीं गया, फेल हुआ और सबसे पिछली बेंच पर बैठा, वही यहां का नेता है। विडंबना देखिए कि वही बताता है कि विकास हो रहा है। नेता को भले विकास में ह्रस्व और दीर्घ की मात्रा लिखनी ना आती हो, मगर वो विकास पर लंबा-चौड़ा भाषण दे रहा है।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 23 April 2024 at 14:17 IST