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Published 21:01 IST, September 30th 2024

EXPLAINER/ Jammu Kashmir चुनावों के बीच शिया वोट पर सुलगी सियासत, NC और PDP में जगा नसरल्लाह प्रेम

जम्मू-कश्मीर में शिया मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्लाह की मौत पर जोरदार मातम किया और सड़कों पर निकलकर नारेबाजी की।

Reported by: Ravindra Singh
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Jammu Kashmir चुनावों के बीच शिया वोट पर सुलगी सियासत, NC और PDP में जगा नसरल्लाह प्रेम | Image: PTI

जम्मू-कश्मीर में 10 सालों के बाद विधानसभा चुनाव हो रहा है। एक अक्टूबर को आखिरी चरण की वोटिंग होनी है। इसी दौरान 27 सितंबर की रात को बेरूत में एयर स्ट्राइक कर इजरायलन हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या कर दी। हसन नसरल्लाह की हत्या का बड़ा असर भारत के कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव में दिखाई देता है। यहां की स्थानीय सियासी पार्टी पीडीपी और एनसी में विधानसभा चुनाव के दौरान ही नसरल्लाह प्रेम जाग उठा। दोनों ही पार्टियों ने नसरल्लाह की हत्या को गलत बताया और उसे शहीद का दर्जा दिया। आखिर क्या है वो बात जिसकी वजह से दोनों ही सियासी दलों में नसरल्लाह के लिए अपार प्रेम जाग उठा।

शनिवार से ही कश्मीर का माहौल बदल गया है। अचानक से वहां की सड़कों पर हसन नसरल्लाह, इस्माइल हानिया और कासिम सुलेमानी के हजारों समर्थक सड़कों पर उतर आते हैं और ये लोग नसरल्लाह की मौत पर मातम मनाने लगते हैं। ये शिया मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। इन्होंने नसरल्लाह की मौत पर जोरदार मातम किया और सड़कों पर निकलकर नारेबाजी की। ये लोग सड़कों पर उतरकर नसरल्लाह की मौत के मातम पर 'जब तक सूरज चांद रहेगा हिजबुल्लाह का नाम रहेगा', 'अमेरिका का जो यार है, वो गद्दार है...'  जैसे नारों से इजरायल और अमेरिका को कोस रहे हैं। कश्मीर में कई नेताओं ने हिजबुल्ला चीफ की मौत पर चुनाव प्रचार तक बंद कर दिए हैं। अब यहां पर सबसे बड़ा सवाल है कि हिजुबल्ला का चीफ मर गया तो इसका असर कश्मीर में क्यों दिखाई दे रहा है?

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शिया समुदाय के वोटों पर कश्मीर की सियासी पार्टियों की नजर

कश्मीर की अंतिम चरण की वोटिंग से पहले बेरूत में हुई हिजबुल्ला चीफ की मौत क्या इस चरण की वोटिंग को प्रभावित करेगी? कश्मीर में जिस तरह से हिजबुल्ला चीफ की मौत के बाद वहां के स्थानीय नेता क्यों मातम मना रहे हैं आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह। दरअसल पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने रविवार को नसरल्लाह की मौत के बाद पहले महबूबा मुफ्ती ने चुनाव प्रचार बंद करने का ऐलान किया था और अब उमर अब्दुल्ला ने चुनाव प्रचार बंद करने का ऐलान कर दिया। चूंकि नसरल्लाह या फिर इस्माइल हानिया ये सभी आतंकी शिया समुदाय से आते थे और जम्मू कश्मीर के नेताओं की शिया वोट बैंक पर नजर है। कश्मीर के जिन इलाकों में प्रदर्शन या मातम हो रहा है वो शिया बाहुल्य क्षेत्र हैं।


कश्मीर में कितनी है शिया वोटों की संख्या?

कश्मीर में शिया समुदाय के मुसलमानों की कुल आबादी लगभग 15 प्रतिशत है कश्मीर में कुल 47 विधानसभा सीटें हैं इसमें से 15 सीटों पर शिया वोटरों की बड़ी भूमिका है। कश्मीर का बडगाम इलाका जहां पर नसरल्लाह की मौत के बाद लोग मातम मना रहे हैं वहां लगभग 50 फीसदी वोटर शिया समुदाय से आते हैं। सेकेंड फेज की वोटिंग यहां पर हो चुकी है अब तीसरे फेज की वोटिंग में वो सीटें हैं जहां पर शिया समुदाय के वोटर सबसे ज्यादा हैं। आइए आपको बताते हैं शिया बाहुल्य वो इलाके जहां पर तीसरे और आखिरी चरण में वोटिंग होनी है।  

  • कश्मीर में बारामुला का गुलमर्ग क्षेत्र में 22- 25 फीसदी शिया वोटर
  • कश्मीर के बारामुला की उरी क्षेत्र लगभग 21-22 फीसदी शिया वोटर
  • कश्मीर के बांदीपोरा का सोनावारी क्षेत्र  लगभग 30 - 35 फीसदी शिया वोटर
  • बारामुला का पट्टन क्षेत्र जहां 30-35 फीसदी शिया वोटर


नसरल्लाह फैक्टर ही कश्मीर के शिया वोटरों का सबसे बड़ा हमदर्द!

जम्मू-कश्मीर में दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है। इन दो चरणों के चुनाव में मुद्दे आम जनता के विकास, बिजली, पानी, बेरोजगारी और 370 थे लेकिन अब नसरल्लाह की मौत के बाद तीसरे चरण की वोटिंग में नसरल्लाह की मौत के बाद वो ही बाजी मारेगा जो शिया समुदाय के मुसलमानों को खुश कर पाएगा। नसरल्लाह की मौत से सुन्नी समुदाय के वोटरों पर कोई खास फर्क तो नहीं पड़ने वाला है इस चरण में शिया वोटरों की भूमिका निर्णायक होगी तभी वहां के सियासी दल शिया समुदाय को आकर्षित करने के लिए नसरल्लाह की मौत को शहादत बताते हुए दिखाई दे रहे हैं। ये पहला मौका नहीं है जब महबूबा मुफ्ती या फारूक अब्दुल्ला को आतंकी की मौत शहादत दिखाई देती हो इसके पहले भी महबूबा ने आतंकी बुरहानी की मौत को भी शहादत बताया था।

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NC सांसद ने बताया हानिया और नसरल्लाह को शहीद

अब अगर बात करें जम्मू-कश्मीर के दूसरे बड़े सियासी दल नेशनल कांफ्रेंस का तो वो भी हिजबुल्ला के नाम का जाप करते हुए दिखाई दे रहे हैं। सोमवार को एनसी के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने हमास के पूर्व चीफ हानिया और नसरल्लाह के मारे जाने पर उन्हें शहीद करार देते हुए कहा, 'कभी इस्माइल हानिया को शहीद कर दिया जाता है कभी नसरल्लाह को शहीद किया है। ये हमारी लड़ाई को कमजोर करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। सिर्फ हिजबुल्ला ही ऐसा संगठन था जिसने इजराइल फोर्स को लेबनान से बाहर निकाला था। इस्माइल हनीया की तरह हसन नसरल्लाह एक महान नेता और प्रतिरोध की भावना वाले व्यक्ति थे। वह आज शहीद हो गए हैं। हमें बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। मुस्लिम उम्माह उनकी मौत पर शोक मना रहे है।'  


क्या कहता है कश्मीर में शिया वोट का पैटर्न?

  • कश्मीरी शिया समुदाय में नसरल्लाह की मौत पर दुख
  • अगर नसरल्लाह के नाम पर एक सियासी पार्टी पर शिया वोट गए तो बन सकता है उसका काम
  • शिया समुदाय वोटिंग के मामले में सुन्नी समुदाय से ज्यादा जागरुक है वो वोटिंग में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं
  • शिया वोट के लालच में आतंकी की मौत पर मातम मना रहीं कश्मीर में सियासी पार्टियां

 

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कश्मीर की तर्ज पर इजरायल पर होते हैं आतंकी हमले

कश्मीर में शिया वोटरों को लुभाने के लिए सियासी पार्टियां आतंकी की हत्या पर मातम मना रही है। आतंकी लेबनान और गाजा पट्टी में मारे जा रहे हैं और मातम भारत के कश्मीर में मनाया जा रहा है। ये ऐसे नेता हैं जो भारत में रहकर हमास और हिजबुल्ला की तारीफ करते हैं। इजरायल के हमले को ये आतंकियों पर हमला न समझकर मुस्लिमों पर हमला समझते हैं। यहां ठीक वैसा ही मामला है जैसे कश्मीर को डिस्टर्ब करने के लिए पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन आए दिन हमले किया करते हैं वैसे ही गाजा पट्टी और फिलिस्तीन में छिपकर बैठे हिजबुल्ला और हमास के आतंकी आए दिन इजरायल को डिस्टर्ब किया करते हैं। 

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Updated 21:01 IST, September 30th 2024