अपडेटेड 2 September 2024 at 20:02 IST

जम्मू-कश्मीर में दिखने लगी चुनाव की रौनक, वक्त से पहले मैदानी इलाकों में लौटने लगा बकरवाल समुदाय

गुज्जर और बकरवाल परिवार गर्मियों की शुरुआत में अपने मवेशियों के साथ चरागाहों की तलाश में ऊपरी इलाकों की ओर पलायन करते हैं और सर्दियों से पहले लौट आते हैं।

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Jammu kashmir bakerwal community
मैदानी इलाकों में लौटने लगा बकरवाल समुदाय | Image: AI Photo

चरवाहा मोहम्मद सिद्दीक किश्तवाड़ के ऊंचे घास के मैदानों से भेड़ और बकरियों के झुंड के साथ जम्मू-कश्मीर में अपने मूलनिवास कठुआ जिले की ओर लौट रहे हैं। उनकी तरह, चरवाहा बकरवाल समुदाय के कई सदस्य जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए प्रवास की निर्धारित अवधि से दो महीने पहले ही मैदानी इलाकों में लौटने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्यों को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

गुज्जर और बकरवाल परिवार गर्मियों की शुरुआत में अपने मवेशियों के साथ हरे-भरे चरागाहों की तलाश में जम्मू-कश्मीर के ऊपरी इलाकों की ओर पलायन करते हैं और सर्दियों से पहले मैदानी इलाकों में लौट आते हैं। दूरदराज के दच्छन क्षेत्र से किश्तवाड़ शहर के चौगाम मैदान पहुंचने पर सिद्दीक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “ हम इस बार वोट डालने के लिए जल्दी घर लौट रहे हैं। हम मूल रूप से कठुआ जिले के रहने वाले हैं और हर साल अप्रैल में अपने मवेशियों को चराने के लिए किश्तवाड़ आते हैं।”

तीन चरणों में होगा मतदान

उन्होंने कहा कि दर्जनों अन्य परिवार भी मतदान में भाग लेने के लिए जल्दी लौट रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में - 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को मतदान होगा। मतों की गिनती आठ अक्टूबर को होगी। कठुआ जिले की छह विधानसभा सीटों के साथ-साथ उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला और बांदीपुरा जिलों तथा जम्मू क्षेत्र के उधमपुर, सांबा और जम्मू जिलों की 34 अन्य सीटों पर अंतिम चरण में मतदान होगा।

चुनाव को लेकर उत्साहित

उन्होंने कहा, “हम ऐसे उम्मीदवार को वोट देंगे जो हमारा ध्यान रख सके, खासकर हमारे छमाही प्रवास के दौरान।” मोहम्मद शफी ने इस बात पर जोर दिया कि लोकप्रिय सरकार बनाने के लिए सभी को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि एक अच्छी पार्टी जीते और सरकार बनाए ताकि लोगों के मुद्दे सुलझ सकें।” उन्होंने अपने समुदाय के सभी सदस्यों से मतदान का मौका न छोड़ने का आग्रह किया।

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बकरवाल समुदाय के सदस्य अब्दुल कयूम “लंबे इंतजार के बाद” हो रहे चुनाव में भाग लेने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, “हमारा समुदाय कई समस्याओं से जूझ रहा है। शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से हम समाज के अन्य वर्गों की तुलना में पिछड़े हैं। हमें उम्मीद है कि नई सरकार हमारे उत्थान पर ध्यान देगी।” लोकसभा चुनावों के दौरान, गुज्जर और बकरवाल समुदायों के सैकड़ों सदस्य पैदल लंबी दूरी तय करके अपने मतदान केंद्र पहुंचे थे।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 2 September 2024 at 20:02 IST