अपडेटेड 19 August 2024 at 20:29 IST

Haryana Elections: हरियाणा में सत्ता के दो बड़े दावेदारों के लिए तीसरा कारक बिगाड़ सकता है खेल

हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस सत्ता के मुख्य दावेदार हैं, यहां तीसरा कारक भी है जो किसी का भी खेल बिगाड़ने की क्षमता रखता है।

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Haryana Assembly Election 2024
Haryana Assembly Election 2024 | Image: Facebook

हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल कांग्रेस सत्ता के मुख्य दावेदार हैं, लेकिन यहां तीसरा कारक भी है जो दोनों बड़ी पार्टियों में से किसी का भी खेल बिगाड़ने की क्षमता रखता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्षेत्रीय दल और निर्दलीय विधानसभा चुनावों में कितना समर्थन हासिल कर पाते हैं।

हाल के लोकसभा चुनावों में राज्य में विपक्षी वोटों के एकजुट होने से भाजपा की सीटों की संख्या घटकर पांच रह गई तथा शेष सीट कांग्रेस के खाते में चली गईं, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि अब छोटी पार्टियां अधिक वोट हासिल करेंगी, जैसा कि अक्सर विधानसभा चुनावों में होता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी।

कांग्रेस नेताओं को बीजेपी विरोधी वोटर के एक साथ आने का विश्वास

कांग्रेस नेताओं को विश्वास है कि एक अक्टूबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों की अनुपस्थिति में भाजपा से दूरी रखने वाले मतदाताओं की लामबंदी और तेज होगी।

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इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का गठबंधन, पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) और 2019 में जीत हासिल कर चुके कई निर्दलीय विधायक राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

जजपा और इनेलो (जिसका नेतृत्व दुष्यंत सिंह चौटाला के चाचा अभय सिंह चौटाला कर रहे हैं) तथा विधायक बलराज कुंडू जैसे निर्दलीय उम्मीदवारों को मुख्य रूप से जाटों से समर्थन प्राप्त है, वहीं भाजपा का मानना ​​है कि वे गैर-भाजपा वोटों में सेंध लगाएंगे। हरियाणा में 26 प्रतिशत से ज्यादा आबादी के साथ जाट सबसे बड़ा जाति समूह है। वहीं, बसपा का समर्थन मुख्य रूप से दलितों के एक वर्ग तक ही सीमित है।

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भूपेंद्र हुड्डा ने क्षेत्रीय दलों को ‘‘वोट कटवा’’ बताया

हाल में ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने क्षेत्रीय दलों को ‘‘वोट कटवा’’ करार दिया था। उन्होंने कहा था कि कोई भी इन पाटियों को वोट नहीं देगा।

जजपा को लोकसभा चुनाव में एक प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे करीब 15 प्रतिशत वोट और 10 सीट मिली थीं। जजपा अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है क्योंकि अब उसके पास केवल तीन वफादार विधायक बचे हैं, जिनमें दुष्यंत सिंह चौटाला और उनकी मां नैना सिंह चौटाला शामिल हैं।

विधानसभा चुनाव अभियान में शामिल भाजपा नेताओं ने भरोसा जताया है कि चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ पार्टी का पारंपरिक गैर-जाट वोट लामबंद होगा, जिससे उसे तीसरी बार सत्ता में बने रहने में मदद मिलेगी।

हरियाणा विधानसभा में 90 सीट

राज्य विधानसभा में 90 सीट हैं। अगर भाजपा कांग्रेस के भीतर गुटबाजी से लाभ उठाने की उम्मीद कर भी रही है, लेकिन पार्टी के लिए चिंता का विषय यह है कि विधानसभा चुनाव में उसका वोट प्रतिशत अक्सर लोकसभा चुनावों की तुलना में काफी कम हो जाता है।

वर्ष 2014 में हरियाणा में पहली बार बहुमत हासिल करने के बाद, भाजपा 2019 में 40 सीटों पर सिमट गई और उसने जजपा के समर्थन से सरकार बनाई।

भाजपा ने हरियाणा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब को क्रमश: चुनाव प्रभारी और सह-प्रभारी नियुक्त किया है।

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 19 August 2024 at 20:29 IST