अपडेटेड 29 January 2025 at 21:33 IST
'यमुना में जहर मिलाकर नरसंहार की कोशिश' वाले बयान पर केजरीवाल का EC को जवाब, बोले- कानून का उल्लंघन नहीं किया
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना जल प्रदूषण के बारे में अपने बयानों के संबंध में चुनाव आयोग के नोटिस
- चुनाव न्यूज़
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आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना जल प्रदूषण के बारे में अपने बयानों के संबंध में चुनाव आयोग के नोटिस पर अपना जवाब दिया। केजरीवाल ने अपने बयान की विश्वसनीयता साबित करने वाले तथ्य प्रस्तुत किए और कहा कि तथ्यों से साबित होता है कि किसी भी कानून या किसी भी संहिता का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यमुना के पानी पर दी गई मेरी टिप्पणी दिल्ली में पेयजल की गुणवत्ता के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के संदर्भ में थी।
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि यमुना के जल पर बयान गंभीर विषाक्तता और हरियाणा से मिलने वाले अशोधित पानी के संदूषण को सामने लाने के लिए दिया गया था। चुनाव आयोग को लिखे पत्र में केजरीवाल ने जवाब देते हुए कहा, हरियाणा से हाल ही में प्राप्त कच्चा पानी अत्यधिक दूषित और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जहरीला है। हरियाणा से आने वाले अशोधित पानी में प्रदूषण इतना अधिक होता है कि दिल्ली के जल शोधन संयंत्र इसे सुरक्षित सीमा के भीतर संसाधित करने में असमर्थ हैं।
केजरीवाल ने क्या कहा था
केजरीवाल ने हाल ही में हरियाणा सरकार पर यमुना नदी के पानी में "जहर मिलाने" का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा था कि हरियाणा सरकार की ओर से यमुना में औद्योगिक कचरा मिलाया जा रहा है, जिससे दिल्ली का पानी प्रदूषित हो रहा है। इस बयान के बाद भाजपा और आप के बीच जुबानी जंग शुरू हो गया है। वहीं, चुनाव आयोग ने इस बयान को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि चुनाव के दौरान ऐसे आरोपों के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करना आवश्यक है।
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इसपर चुनाव आयोग ने कहा था कि आयोग ने कहा कि इस तरह के आरोपों से क्षेत्रीय समूहों और पड़ोसी राज्यों के निवासियों के बीच दुश्मनी पैदा होने, पानी की वास्तविक या कथित कमी या अनुपलब्धता के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति का खतरा पैदा होने का गंभीर प्रभाव पड़ता है। आयोग ने केजरीवाल को 29 जनवरी, 2025 को रात 8 बजे तक शिकायतों पर अपना जवाब देने का निर्देश दिया है, खासकर तथ्यात्मक और कानूनी मैट्रिक्स के साथ साक्ष्यात्मक समर्थन के साथ ताकि आयोग मामले की जांच कर सके और उचित कार्रवाई कर सके।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 29 January 2025 at 21:33 IST