अपडेटेड 9 January 2025 at 22:23 IST

दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से अरविंद केजरीवाल का मुकाबला, नई दिल्ली सीट पर कांटे की टक्कर; क्या है वोटरों की राय?

अरविंद केजरीवाल के सामने 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें BJP के प्रवेश सिंह वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित शामिल हैं।

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Arvind Kejriwal Close contest on New Delhi Assembly seat
नई दिल्ली सीट पर कांटे की टक्कर | Image: ANI

New Delhi Assembly seat: नई दिल्ली विधानसभा सीट से 2013 से तीन बार के वर्तमान विधायक अरविंद केजरीवाल का इस बार दिल्ली के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों के साथ कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला है। भ्रष्टाचार विरोधी लहर पर सवार होकर राजनीति में एंट्री करने वाले आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इस बार चुनाव में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। केजरीवाल मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering) संबंधी मामले में जमानत पर रिहा हैं।

दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा और चुनाव परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। तीन प्रमुख दलों, आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवारों के बीच हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्रों में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र राजनीतिक सरगर्मी का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसका वो एक दशक से अधिक समय से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से मुकाबला

अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली के 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों की उम्मीदवार के तौर पर घोषणा की गई है। इनमें BJP के प्रवेश सिंह वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित शामिल हैं। प्रवेश वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। वहीं संदीप दीक्षित, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं। शीला दीक्षित तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। इस बार तीनों नेताओं के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है।

क्या है वोटरों की राय?

अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आंदोलन के दौरान प्रमुखता से उभरे अरविंद केजरीवाल एक दशक से अधिक समय से नई दिल्ली सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने पिछले 3 विधानसभा चुनावों- 2013, 2015 और 2020 में नई दिल्ली विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। कई स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि इस बार चुनाव में कोई पसंदीदा उम्मीदवार नहीं है, इसलिए मुकाबला कड़ा होगा। कुछ अन्य लोगों का दावा है कि इलाके में विकास को लेकर जो वादा किया गया था, वह पूरा नहीं हुआ।

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गोल मार्केट निवासी और दुकान की मालिक मोनिका ने कहा, 'इस बार लड़ाई दलों के बीच है। मतदाता पूरी तरह से किसी एक के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि हर पार्टी दूसरों द्वारा किए गए वादों की बराबरी करने की कोशिश कर रही है।'

विकास के मुद्दे में कितना दम?

संजय बस्ती के निवासी सतीश ने कहा कि विकास के नाम पर जिस भी चीज का प्रचार किया जा रहा है वह दिखावा है। उन्होंने कहा, 'सड़क जैसे कई मुद्दे हैं। सतही तौर पर तो सबकुछ ठीक लग सकता है, लेकिन एक बार जब आप कॉलोनियों में प्रवेश करते हैं, तो आपको वास्तविकता का पता चलता है। हम जो विकास देखते हैं, वह ज्यादातर शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान हुआ था और तब से चीजें वैसी ही बनी हुई हैं।'

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उन्होंने कहा, 'इस बार बीजेपी और कांग्रेस बहुत मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरती दिख रही हैं। अगर वे जीत नहीं भी पाती हैं तो भी वे AAP के मतदान प्रतिशत में काफी कटौती कर देंगी।'

गोल मार्केट से शशि पाल ने कहा, ‘‘एक तरह से ऐसा लगता है कि सभी पार्टी मतदाताओं को पैसे देने के वादों से लुभाने की कोशिश कर रही हैं। यह लगभग वोट खरीदने की रणनीति की तरह है।'

क्या कहता है मध्यम वर्ग?

उनके मुख्य मतदाता आधार में निम्न-मध्यम वर्ग के मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले, ऑटो-रिक्शा चालक आदि शामिल हैं। उनका यह आधार अब भी काफी हद तक बरकरार है। महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा जैसी AAP की कल्याणकारी योजनाएं मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बनी हुई हैं। महिलाओं के लिए 2,100 रुपये मासिक भत्ते जैसे वादों ने भी ध्यान आकर्षित किया है।

ऑटो चालक बृजलाल प्रजापति ने अपना बिजली बिल दिखाते हुए कहा, 'मेरा बिल शून्य है। मैं बिजली के लिए कुछ भी नहीं दे रहा हूं, इसलिए मैं उनसे खुश हूं क्योंकि उन्होंने मेरे जैसे लोगों के लिए कुछ किया है।'

नई दिल्ली विधानसभा सीट पर कुल 109,022 मतदाता हैं, जिनमें 58,950 पुरुष मतदाता और 50,071 महिला मतदाता हैं। दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए 5 फरवरी को चुनाव होगा। 

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 9 January 2025 at 22:23 IST