अपडेटेड 11 October 2025 at 18:17 IST

फ्लैश बैक : जब देश में पहली बार बिहार के इस जिले में हुई बूथ कैप्चरिंग, डॉन काका कामदेव सिंह ने बंदूकों के दम पर लूट लिया था वोट

बेगूसराय जिले के रचियाही की यह घटना न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक चेतावनी थी। इसके बाद के दशकों में बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं बढ़ती गईं, खासकर 1980 और 1990 के दशक में बिहार में यह एक आम समस्या बन गई।

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Booth capturing in the country started from Begusarai in Bihar
बिहार से हुई देश में बूथ कैप्चरिंग की शुरुआत | Image: AI Generated Image

First Booth Capturing in India : बिहार भारत का वो राज्य है, जो रोचक घटनाओं, ऐतिहासिक तथ्यों और हैरान करने वाली कहानियों से भरा पड़ा है। भारत के चुनावी इतिहास में बूथ कैप्चरिंग एक गंभीर समस्या के रूप समस्या थी, जो लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करती है। इसमें मतदान केंद्रों पर कब्जा करके फर्जी वोट डाले जाते हैं। इसकी शुरुआत भी बिहार से ही हुई थी।

1957 के आम चुनावों में बिहार के बेगूसराय जिले के रचियाही क्षेत्र में बूथ कैप्चरिंग का पहला दर्ज मामला सामने आया, जो चुनावी हिंसा की शुरुआत का प्रतीक बन गया। इसके बाद देश के अलग-अलग राज्यों से बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं सामने आई है।

भारत में बूथ कैप्चरिंग की शुरुआत

1957 का आम चुनाव भारत के स्वतंत्र इतिहास का दूसरा आम चुनाव था, जिसमें कांग्रेस पार्टी ने भारी बहुमत हासिल किया। लेकिन इस चुनाव के दौरान बिहार के बेगूसराय जिले की मथानी विधानसभा सीट के अंतर्गत आने वाले रचियाही इलाके में मतदान केंद्र पर कुछ लोगों ने जबरन कब्जा कर लिया और फर्जी मतदान कराया। यह भारत में बूथ कैप्चरिंग का पहला आधिकारिक रूप से दर्ज मामला माना जाता है। इस घटना ने चुनाव आयोग को चौंका दिया और चुनावी प्रक्रिया में सुरक्षा की कमी को उजागर किया।

24 फरवरी, 1957 से 9 जून 1957 तक चला आम चुनाव देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की देखरेख में होने वाला दूसरा और आखिरी आम चुनाव था। इसी चुनाव में देश को पता चला कि बूथ कैप्चरिंग या बूथ लूट क्या होती है और इससे चुनाव जीते या हराए जा सकते हैं।

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4 गांवों के लगते थे वोट

रचियाही कचहरी इलाके के कछारी टोला में पोलिंग बूथ बनाया गया था। उस वक्त रचियाही बूथ पर 4 गांवों के लोग वोट करते थे। आज रचियाही मटिहानी विधानसभा का हिस्सा है, लेकिन 1957 में बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में आता था। वोटिंग के दिन जब मचहा, राजापुर और आकाशपुर गांव के लोग रचियाही में वोट करने आ रहे थे, तो दबंगों ने बंदूकों और लाठी-डंडों के दम पर राजापुर और मचहा के गांव के मतदाताओं को रास्ते में ही रोक लिया। दूसरी तरफ मतदान केंद्र से भी मततादाओं को भगा दिया गया। इसी दौरान पोलिंग बूथ पर जमकर फर्जी मतदान हुआ।

डॉन काका कामदेव सिंह पर आरोप

आरोप लगते हैं कि बूथ कैप्चरिंग में कांग्रेस प्रत्याशी सरयुग प्रसाद के समर्थक शामिल थे। विरोध बढ़ता देख गुंडे एक मतदाता पेटी को कुएं में फेंककर फरार हो गए थे। पुराने लोग बताते हैं कि उस दौर में बेगूसराय में डॉन कामदेव सिंह हुआ करता था, जिसे लोग डॉन काका के नाम से जानते थे। डॉन काका और कांग्रेस उम्मीदवार सरयुग प्रसाद के अच्छे संबंध थे और बूथ लूट की यह ऐतिहासिक घटना को सरयुग प्रसाद के कहने पर डॉन काका ने अंजाम दिया था।

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चुनावी हिंसा का प्रतीक

रचियाही की यह घटना न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक चेतावनी थी। इसके बाद के दशकों में बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं बढ़ती गईं, खासकर 1980 और 1990 के दशक में बिहार में यह एक आम समस्या बन गई। चुनाव आयोग ने इसे रोकने के लिए कई कदम उठाए, जैसे सख्त सुरक्षा व्यवस्था, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल और केंद्रीय बलों की तैनाती। लेकिन रचियाही का मामला आज भी चुनावी सुधारों की बहस में उदाहरण के रूप में लिया जाता है।

2 चरणों में होगी वोटिंग

बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 दो चरणों में होने हैं। 6 नवंबर को पहले और 11 नवंबर को दूसरे फेज की वोटिंग होगी। पहले फेज में पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, गोपालगंज, सिवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा, नालंदा, बक्सर और भोजपुर जिलों में 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। दूसरे फेज में 122 विधानसभा सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी। 

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 11 October 2025 at 18:17 IST