अपडेटेड 3 February 2025 at 20:26 IST
दिल्ली की वो 22 सीटें, जो पलट सकती हैं चुनाव परिणाम, BJP, AAP और कांग्रेस को लेकर असमंजस में मतदाता
2011 की जनगणना के मुताबिक, दिल्ली में मुस्लिम आबादी करीब 13% थी। जानकार मानते हैं कि इस बार मुस्लिम मतदाता BJP, AAP और कांग्रेस को लेकर असमंजस में हैं।
- चुनाव न्यूज़
- 4 min read

Delhi elections: दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर 5 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम गया है। सोमवार को तीनों प्रमुख दलों आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मतदाताओं को रिझाने के लिए अंतिम कोशिश के तहत रोड शो, जनसभाएं, पदयात्राएं और बाइक रैलियां निकालीं। 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए बुधवार को सुबह 7 बजे मतदान शुरू होगा।
AAP अपने वादों और कल्याणकारी योजनाओं के दम पर लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का दावा किया है। दिल्ली में 25 साल से ज्यादा समय बाद सत्ता हासिल करने के इरादे से उतरी BJP ने शहर में 22 रोड शो और रैलियां कीं। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, BJP अध्यक्ष जे.पी नड्डा और पार्टी के कई मुख्यमंत्रियों ने प्रचार किया। पिछले दो चुनावों में कोई भी सीट जीतने में विफल रही कांग्रेस ने भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिशें कीं। सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा ने राजधानी में पार्टी की खोई हुई जमीन फिर से हासिल करने के उद्देश्य से कालकाजी और कस्तूरबा नगर में अलग-अलग रोड शो किए।
मुस्लिम बहुल सीटों पर नजर
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से दो दिन पहले प्रमुख राजनीतिक दलों, खासकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की नजरें मुस्लिम बहुल मानी जाने वाली करीब 22 सीटों पर टिकी हैं। इनमें से पांच सीट- सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान और ओखला सीट से अक्सर मुस्लिम उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंचते रहे हैं, भले ही वे किसी भी दल से हों। इसके अलावा बाबरपुर, गांधीनगर, सीमापुरी, चांदनी चौक, सदर बाजार, किराड़ी, जंगपुरा व करावल नगर समेत 18 सीट ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी 10 से 40 फीसदी मानी जाती है और इन क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय निर्णायक भूमिका अदा करता रहा है।
असमंजस में मुस्लिम मतदाता
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, दिल्ली में मुस्लिम आबादी करीब 13 फीसदी थी। जानकार मानते हैं कि इस बार मुस्लिम मतदाता सत्तारूढ़ AAP और कांग्रेस को लेकर असमंजस में है। जानकारों के मुताबिक, दिल्ली के मुस्लिम मतदाता परंपरागत तौर पर कांग्रेस को वोट देते आए हैं, लेकिन 2015 में वह कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ AAP के पाले में चले गए और 2020 के चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय ने और मजबूती से सत्तारूढ़ दल को समर्थन दिया जिस वजह से ज्यादातर मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।
Advertisement
मगर उत्तर पूर्वी दिल्ली के 2020 के दंगे, कोरोना वायरस महामारी के दौरान उपजे तब्लीगी जमात के मुद्दे और अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े मुद्दों पर पार्टी की कथित चुप्पी से माना जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं में AAP को लेकर नाराज़गी है। कांग्रेस के मुस्लिम समुदायों के साथ ऐतिहासिक जुड़ाव से भी इनकार नहीं किया जा सकता और वह भी अपने लिए जगह बनाने की कोशिश कर रही है।
क्या बोले मुस्लिम वोटर?
सीलमपुर विधानसभा के चौहान बांगर में रहने वाले व आयुष मंत्रालय से सेवानिवृत्त हुए डॉक्टर सैयद अहमद खान ने कहा कि इस बार वोट अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर नहीं बल्कि स्थानीय उम्मीदवार को देखकर पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने अपनी जो छवि बनाई थी वो बीते पांच साल में काफी खराब हुई है, क्योंकि AAP के राष्ट्रीय संयोजक मुस्लिम समुदाय से जुड़े किसी मुद्दे पर नहीं बोले।
Advertisement
जाफराबाद इलाके में हलवाई की दुकान चलाने वाले मोहम्मद यामीन कहते हैं कि यह सही है कि केजरीवाल मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर नहीं बोले, लेकिन “हमारे पास कोई ऐसा विकल्प नहीं है, जहां हम जा सकें। इसलिए AAP को ही वोट देना समझदारी है।”
सीलमपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुल ओखला के जामिया नगर में रहने वाले फरीद असकरी ने कहा कि मुसलमानों के पास आप को वोट देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि बड़ी तस्वीर में केवल AAP ही BJP को सत्ता में आने से रोक रही है। यही बात शाहदरा जिले के बाबरपुर इलाके में रहने वाले व तब्लीगी जमात से जुड़े अब्दुल रहमान भी कहते हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, 13,766 मतदान केंद्रों पर 1.56 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, जिनमें 83.76 लाख पुरुष, 72.36 लाख महिलाएं और 1,267 ‘तृतीय लिंग’ मतदाता हैं। आयोग ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 733 मतदान केंद्र निर्धारित किए गए हैं। आयोग ने कतार व्यवस्था प्रणाली (क्यूएमएस) ऐप भी पेश किया है, जिससे मतदाता मतदान केंद्रों पर भीड़ के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
दिल्ली पुलिस ने 7 जनवरी को लागू हुई आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। पुलिस ने चुनाव अवधि के दौरान कानून उल्लंघन के अलग-अलग मामलों में 33,434 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। चुनाव की तैयारी के लिए आयोग ने अर्धसैनिक बलों की 220 कंपनियां, 19,000 होमगार्ड और 35,626 दिल्ली पुलिसकर्मी तैनात किए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आठ फरवरी को घोषित किए जाएंगे।
(भाषा इनपुट के साथ)
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 3 February 2025 at 20:26 IST