अपडेटेड 20 August 2025 at 23:52 IST
पाकिस्तान को सपने में याद आता है ऑपरेशन सिंदूर, अब अग्नि-5 के सफल परीक्षण से आसिम मुनीर की उड़ेगी नींद, जानिए क्यों है खतरनाक?
Agni-5 Missile : ऑपरेशन सिंदूर और अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत की सैन्य और सामरिक ताकत का प्रतीक है। ये पाकिस्तान और पूरी दुनिया के लिए एक संदेश हैं कि भारत आतंकवाद और बाहरी खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
- डिफेंस न्यूज
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Agni 5 Ballistic Missile : भारत ने पिछले कुछ सालों में अपनी सैन्य ताकत और सामरिक रणनीति को तेजी से आगे बढ़ाया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद बुधवार को भारत ने ओडिशा के चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से अपनी पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। अग्नि-5 ने जैसे ही हवा का सीना चीर आसमान की और बढ़ना शुरू किया होगा, तो पड़ोसी देश पाकिस्तान और उसके सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की पेशानी पर पसीना आ गया होगा।
इस मिसाइल की मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर है, जो इसे भारत के सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक बनाती है। अग्नि-5 मिसाइल 5 हजार किलोमीटर की रेंज के साथ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक से लैस यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों पर परमाणु हमला कर सकती है। इसकी सटीकता, लंबी रेंज, और उन्नत तकनीक इसे गेम-चेंजर बनाती है। यह मिसाइल पाकिस्तान जैसे देशों के लिए मजबूत संदेश है कि भारत किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
आसिम मुनीर की क्यों उड़ी नींद?
अग्नि-5 की रेंज पूरे पाकिस्तान को आसानी से कवर करती है, इसकी रेंज में इस्लामाबाद, कराची और लाहौर जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं। पाकिस्तान पहले ही ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य शक्ति के सामने घुटने टेक चुका है। अग्नि-5 का यह परीक्षण उसके लिए एक और झटका है। आसिम मुनीर बार-बार परमाणु हथियारों की धमकी देते हैं, लेकिन अग्नि-5 की क्षमता ने उनकी रणनीति पर सवालिया निशान लगा दिया है।
अग्नि-5 मिसाइल पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकती है। इसकी MIRV तकनीक इसे और भी घातक बनाती है, क्योंकि यह एक साथ कई ठिकानों को पूरी सटीकता के साथ नष्ट करने में सक्षम है। ऐसे में पाकिस्तानी सेना प्रमुख की बेचैनी बढ़ना लाजमी है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने न केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य कमजोरियों को भी उजागर किया। अग्नि-5 के सफल परीक्षण ने पाकिस्तान के सामने एक ऐसी चुनौती पेश की है, जिसका जवाब देना उनके बस में नहीं है।
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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है और ऑपरेशन सिंदूर में हुए नुकसान ने उनकी सैन्य तैयारियों पर और दबाव डाला है। ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी नौसेना अपने युद्धपोतों को छिपाने के लिए मजबूर हो गई थी। उनके रडार और एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा है। कई एयरबेस को 3 महीने बाद भी ठीक नहीं हो पाए हैं।
अग्नि-5 की ताकत
अग्नि-5 MIRV टेक्नोलॉजी से लैस है। इस तकनीक का इस्तेमाल चुनिंदा देश करते हैं। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इसकी पेलोड क्षमता डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार ले जाने की है। ये आवाज की स्पीड से 24 गुना अधिक की गति से अपने टारगेट की तरफ बढ़ती है। भारत के अलावा दुनिया के सिर्फ 8 देशों के पास इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल हैं।
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अग्नि-5 की सटीक रेंज और प्रभाव क्षेत्र इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितना पेलोड ले जा रही है। अधिक पेलोड के साथ रेंज थोड़ी कम हो सकती है। मिसाइल 7500 किलोग्राम के बंकर बस्टर वॉरहेड ले जाने और जमीन में 100 मीटर की गहराई तक न्यूक्लियर सिस्टम, रडार सिस्टम, कंट्रोल सेंटर और हथियार स्टोरेज को राख करने में सक्षम है।
यूरोप और पूरा एशिया जद में
अग्नि-5 की रेंज पूरे पाकिस्तान को आसानी से कवर करती है। चीन के अधिकांश हिस्से विशेष रूप से बीजिंग, शंघाई और हांगकांग जैसे महत्वपूर्ण शहर और सैन्य ठिकाने इसकी रेंज में आते हैं। यह मिसाइल तिब्बत और दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों को भी निशाना बना सकती है। इसके अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, नेपाल और भूटान जैसे सभी पड़ोसी देश भी पूरी तरह अग्नि-5 की रेंज में हैं।
मध्य एशिया के अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के कुछ हिस्से आएंगे। दक्षिण-पूर्व एशिया में म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम और इंडोनेशिया के कुछ हिस्से। मध्य-पूर्व में सऊदी अरब, ईरान, इराक और संयुक्त अरब अमीरात के कुछ हिस्से आ सकते हैं। इसके अलावा रूस के दक्षिणी और मध्य क्षेत्र जैसे कि साइबेरिया के कुछ हिस्से, तकनीकी रूप से इसकी रेंज में हैं। पूर्वी अफ्रीका की बात करें तो सोमालिया और केन्या के कुछ हिस्से, दक्षिण-पूर्वी यूरोप में तुर्की और यूक्रेन के कुछ क्षेत्र रेंज में आ सकते हैं।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 20 August 2025 at 23:52 IST